फ्रांस और यूएई की यात्रा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने एक फ्रांसीसी अखबार को दिए साक्षात्कार में दक्षिणी और पश्चिमी दुनिया के बीच “पुल” के रूप में भारत की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक दक्षिण के अधिकारों को लंबे समय से नकारा गया है। इसके परिणामस्वरूप इन देशों में पीड़ा की भावना है। प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया कि भारत अब दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश है और उसे अपना उचित स्थान पुनः प्राप्त करने की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता पर उन्होंने जोर देकर कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र के लिए सिर्फ विश्वसनीयता का मुद्दा नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दुनिया के पक्ष में बोलने का दावा कैसे कर सकती है जब इसका सबसे अधिक आबादी वाला देश और इसका सबसे बड़ा लोकतंत्र इसका स्थायी सदस्य नहीं है? दुनिया को दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी बहुपक्षीय शासन संरचनाओं के बारे में ईमानदारी से चर्चा करने की जरूरत है। संस्थानों के स्थापित होने के लगभग आठ दशक बाद दुनिया बदल गई है। सदस्य देशों की संख्या चार गुना बढ़ गई है। वैश्विक अर्थव्यवस्था का स्वरूप बदल गया है। हम नई तकनीक के युग में रहते हैं। नई शक्तियों का उदय हुआ है जिससे वैश्विक संतुलन के सापेक्ष में बदलाव आया है। हम जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद, अंतरिक्ष सुरक्षा, महामारी सहित नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हम इन बदलावों से आगे बढ़ सकते हैं।
2047 तक भारत बनेगा विकसित देश
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ 2047 के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ काम कर रहा है। हम 2047 में भारत को एक विकसित देश बनते देखना चाहते हैं। एक विकसित अर्थव्यवस्था जो अपने सभी लोगों की जरूरतों- शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और अवसरों को पूरा करती हो। भारत एक जीवंत और सहभागी संघीय लोकतंत्र बना रहेगा, जिसमें सभी नागरिक अपने अधिकारों के प्रति सुरक्षित होंगे। भारत नवाचार और प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेता बनेगा। हमारी अर्थव्यवस्था अवसरों का केंद्र, वैश्विक विकास का इंजन और कौशल एवं प्रतिभा का स्रोत होगी। भारत लोकतंत्र की ताकत का सशक्त प्रमाण बनेगा।(एएमएपी)