नाटो नेताओं ने लिथुआनिया शिखर सम्ममेलन के निष्कर्षों का सारांश देते हुए कहा कि जब सहयोगी सहमत होंगे और शर्तें पूरी होंगी, तब यूक्रेन इस संगठन में शामिल हो सकता है। यह अस्पष्टता यूक्रेन युद्ध जारी रहने के दौरान नाटो के मौजूदा सदस्यों के बीच आम सहमति तक पहुंचने में चुनौतियों को दर्शाता है। इस बीच, जेलेंस्की ने कहा, वह यह सुनिश्चित करने पर जोर दे रहे हैं कि जब सुरक्षा उपाय अनुमति देंगे तो यूक्रेन को यह निमंत्रण मिलेगा।
पुतिन की आलोचना
सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यूक्रेन पर हमले को लेकर तीखी निंदा की गई। ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने कहा, औपचारिक, बहुपक्षीय और द्विपक्षीय समझौतों के साथ-साथ नाटो सदस्यता की राह में हम यूक्रेन को समर्थन देंगे। इससे पुतिन को मजबूत संकेत जाएंगे। नाटो प्रमुख जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा, यह बैठक ऐतिहासिक है।
सीधे तौर पर रूस से युद्ध छेड़ने की अनिच्छा जताई
लिथुआनिया की राजधानी विलनियस में हुए नाटो शिखर सम्मेलन में गठबंधन देश यूक्रेन को हथियार भेजने के इच्छुक दिखे। इसी मकसद से नाटो का गठन भी हुआ था कि नाटो देश रूस के खिलाफ संतुलन बनाए रखें। लेकिन वे यूक्रेन को अपने रैंक में शामिल होने और युद्ध के दौरान अपनी सुरक्षा से लाभ उठाने की अनुमति देना नहीं चाहते हैं। ऐसा इसलिए कि नाटो का हिस्सा बनते ही कई देशों को रूस के खिलाफ हमले करने पड़ेंगे और इससे बड़े युद्ध का खतरा बढ़ जाएगा। जबकि फिलहाल वे यूक्रेन को हरसंभव मदद देकर युद्ध में परोक्ष भूमिका निभा रहे हैं।
यूक्रेन को सुरक्षा की पेशकश करेगा जी-7
चीन ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नाटो के कदम का किया विरोध
वहीं, यूरोपीय संघ (ईयू) में चीनी मिशन ने कहा, चीन नाटो के एशिया-प्रशांत क्षेत्र में होने वाले मूवमेंट का दृढ़ता से विरोध करता है। उसने चेताया कि चीनी अधिकारों को खतरे में डालने वाली किसी भी कार्रवाई का कड़ा जवाब दिया जाएगा। उसने कहा, चीन विलनियस में नाटो की संयुक्त विज्ञप्ति में अपने देश से संबंधित सामग्री को खारिज करता है।(एएमएपी)