बाढ़ के कारण भारी आर्थिक नुकसान, एसबीआई की रिपोर्ट में खुलासा
बाढ़ ने पूरे देश में भारी तबाही मचाई है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में उफनती नदियों ने आर्थिक रूप से भी गहरी चोट की है। एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप के अनुसार, बाढ़ की वजह से 10,000-15,000 करोड़ रुपये का भारी आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाढ़ से होने वाली भारी क्षति और हाल ही में आए बिपरजॉय चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएं देश के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं।
बाढ़ के कारण भारी नुकसान
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि मौजूदा बाढ़ के कारण आर्थिक नुकसान की वर्तमान स्थिति का अनुमान लगाया जाना अभी बाकी है। हमारा मानना है कि यह 10,000-15,000 करोड़ रुपये के बीच हो सकता है। 1990 के बाद से भारत को अमेरिका और चीन के बाद सबसे अधिक प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है। साल 2001-2022 तक भारत में 361 प्राकृतिक आपदाएं दर्ज की गईं।
आपदाओं से आर्थिक तनाव
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी आपदाओं ने आर्थिक तनाव के नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। प्राकृतिक आपदाओं में भारत में सबसे अधिक बाढ़ आती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 41 प्रतिशत प्राकृतिक आपदाएं बाढ़ और उसके बाद तूफान के रूप में आईं।
भारत में सुरक्षा गैप
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा गैप है। 2022 में प्राकृतिक आपदाओं के कारण वैश्विक स्तर पर कुल 275 अरब डॉलर के आर्थिक नुकसान में से 125 अरब डॉलर बीमा के जरिए कवर किया गया था। 2022 में कुल सेफ्टी अंतर बढ़कर 151 अरब डॉलर हो गया, जो कि 10 साल के औसत 130 अरब डॉलर से बहुत अधिक है। ये बिना बीमा के कुल नुकसान का लगभग 54 प्रतिशत है।भारत में यह सुरक्षा अंतर का आंकड़ा 92 प्रतिशत है। भारत में एक औसत भारतीय को कमाने वाले की मृत्यु के बाद परिवार को वित्तीय संकट से बचाने के लिए आवश्यक राशि का लगभग 8 फीसदी का बीमा किया जाता है। इसका मतलब है कि सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रत्येक 100 रुपये पर सिर्फ 8 रुपये की बचत और बीमा होना। इससे सुरक्षा का अंतर 92 रुपये रह जाता है।
आर्थिक नुकसान और बीमा कवर
रिपोर्ट में बीमा क्षेत्र से जुड़े प्राकृतिक आपदा जोखिमों के लिए एक ‘आपदा पूल’ की जरूरतों पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में 2020 में आई बाढ़ के आंकड़े को देखें, तो कुल आर्थिक नुकसान 7.5 अरब डॉलर (52,500 करोड़ रुपये) का था। लेकिन बीमा कवर केवल 11 प्रतिशत था।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत को प्राकृतिक आपदाओं के लिए ‘आउट-ऑफ-द-बॉक्स समाधान’ और सुरक्षा गैप के संबंध में व्यवसायों में जागरुकता की आवश्यकता है। एमएसएमई क्षेत्र में, देश में केवल पांच फीसदी यूनिट बीमाकृत हैं। इस क्षेत्र को काफी हाई लेवल की सुरक्षा की जरूरत है।(एएमएपी)