नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव पेश हो गया है। स्पीकर ओम बिरला ने कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, जिसे 26 दलों वाले इंडिया गठंधन का समर्थन हासिल है। स्पीकर ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव को मंजूर किया जाता है। उन्होंने कहा कि चर्चा के बाद प्रस्ताव के वक्त का ऐलान होगा।मणिपुर हिंसा मामले को लेकर विपक्ष ने सड़क से लेकर संसद तक सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। संसद के मानसून सत्र को शुरू हुए छह दिन हो चुके हैं और हर रोज सदन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ रही है। बुधवार को कांग्रेस और बीआरएस की तरफ से इसी मामले को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा में सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय में नो कॉन्फिडेंस मोशन का नोटिस दिया। इसके अलावा तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी बीआरएस ने भी अलग से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।

संसद में संख्याबल के हिसाब से देखें तो अभी मोदी सरकार काफी मजबूत स्थिति में दिखाई देती है। इसके बावजूद विपक्ष की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाया है। सवाल उठ रहा है कि आखिर संसद में संख्याबल कम होने के बावजूद विपक्ष की तरफ से ये अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया जा रहा है? इसके क्या सियासी मायने हैं? भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार के पास अभी लोकसभा में 330 से ज्यादा सांसदों का समर्थन है। अकेले भाजपा के 301 सांसद हैं। वहीं, विपक्षी खेमे यानी इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा में 142 और राज्यसभा में 96 सांसद हैं। संख्याबल के हिसाब से दोनों सदनों में सत्ता पक्ष मजबूत है।

विपक्ष क्यों लाया अविश्वास प्रस्ताव ?

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विपक्ष अभी किसी भी हालत में चर्चा के केंद्र बिंदु में बने रहना चाहता है। सरकार को हावी होने का कोई मौका विपक्ष नहीं देना चाहता है। विपक्ष लगातार मांग कर रहा है कि मणिपुर मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में बयान दें। वहीं, सरकार ने कहा है कि गृहमंत्री अमित शाह इस मसले पर बयान देंगे। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव एक ऐसा तरीका है, जिसके जरिए विपक्ष पीएम मोदी को संसद में बुलाने की कोशिश कर रहा है। कुल मिलाकर सारे विपक्षी दल पीएम मोदी को ही घेरना चाहते हैं।

कैसे लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव?

सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने का भी एक नियम है। इसे नियम 198 के तहत लोकसभा में पेश किया जाता है। इस अविश्वास प्रस्ताव को संसद में पेश करने के लिए करीब 50 सांसदों की जरूरत होती है। अगर संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान 51 प्रतिशत से ज्यादा सांसदों ने इसके पक्ष में मतदान कर दिया तो सरकार मुश्किल में पड़ जाती है। ऐसी स्थिति में सरकार को बहुमत साबित करना होता है।

सरकार की तरफ से जवाब

सरकार की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि लोगों को पीएम मोदी और भाजपा पर भरोसा है। वे (विपक्ष) पिछले कार्यकाल में भी अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। इस देश की जनता ने उन्हें (विपक्ष) सबक सिखाया है। वहीं,  केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव आने दीजिए, सरकार हर स्थिति के लिए तैयार है। हम मणिपुर पर चर्चा चाहते हैं। सत्र शुरू होने से पहले वे चाहते थे चर्चा। जब हम सहमत हुए, तो उन्होंने नियमों का मुद्दा उठाया। जब हम नियमों पर सहमत हुए, तो वे नया मुद्दा लेकर आए कि पीएम आएं और चर्चा शुरू करें। मुझे लगता है कि ये सभी बहाने हैं।(एएमएपी)