प्रमोद जोशी ।
हफ़्तों तक चली खींचतान के बाद अमेरिका की जनरल सर्विस एडमिनिस्ट्रेशन (जीएसए) के सामने यह सुनिश्चित हो गया है कि प्रेसीडेंट इलेक्ट जो बिडेन को राष्ट्रपति चुनावों में जीत मिल गई है। दूसरी ओर, मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी नए प्रशासन के लिए ट्रांज़ीशन प्रक्रिया शुरू करने की इजाज़त दे दी है। लिहाज़ा अमेरिका में बिडेन प्रशासन के लिए ट्रांज़ीशन प्रक्रिया अब शुरू हो गई है।
अमेरिका में राष्ट्रपति पद पर बैठने की तैयारी काफ़ी जटिल और बेहद महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चुनाव जीतने और शपथ ग्रहण समारोह के बीच के समय को ट्रांज़ीशन कहा जाता है। यह ट्रांज़ीशन चुने गए राष्ट्रपति की नॉन-प्रॉफिट ट्रांज़ीशन टीम करती है। यह टीम कैंपेन टीम से अलग होती है और इसका अपना स्टाफ और बजट होता है।
जवाहरलाल नेहरू (जेएनयू) यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ में प्रोफ़ेसर केपी विजयलक्ष्मी बताती हैं, “अमेरिका में सभी राज्यों को 24 दिसंबर तक अपने यहां के चुनाव के नतीजों को सर्टिफ़ाई करना ज़रूरी है। 20 जनवरी को इनॉगरेशन डे है।”
अब होगा क्या?
‘बीबीसी’ की एक रिपोर्ट में उन परिस्थितियों का जिक्र है, जो अब सामने आ रही हैं। शुरू में लगता था कि डोनाल्ड ट्रंप अड़चनें पैदा करेंगे, पर अब लग रहा है कि वे व्यवस्था में रुकावट नहीं डालेंगे, पर अपने हितों की रक्षा करने के लिए अंतिम समय तक प्रयास करेंगे। अमेरिका के राज्यों में चुनाव से जुड़े अलग-अलग नियम हैं, इस वजह से इस प्रक्रिया में देरी लग रही है। बहरहाल राज्यों की चुनाव प्रक्रिया पूरी करने की समय-सीमा 8 दिसंबर है। इसके पहले दुबारा मतगणना हो सकती है। इसके लिए राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी माँग कर सकते हैं और कई राज्यों में जीत का अंतर कम होने पर यह प्रक्रिया अपने आप शुरू हो जाती है।
अमेरिका का एक संघीय कानून (3 U.S. Code § 5) है जिसे “safe harbor provision” कहा जाता है। इसके अनुसार राज्य को उन सारे विवादों को उस तारीख के छह दिन पहले निपटा लेना चाहिए, जिस दिन मतदाता मंडल राष्ट्रपति का चुनाव करेगा। इस साल 14 दिसंबर को चुनाव होना है, इसलिए 8 दिसंबर विवाद निपटाने की अंतिम तिथि है। अलबत्ता सन 2000 में यह मामला 8 दिसंबर के भी आगे चला गया था। उस साल जॉर्ज बुश बनाम अल गोर मुकाबले में कानूनी प्रक्रिया चलती रही और 12 दिसंबर को देश के सुप्रीम कोर्ट ने कहा फ्लोरिडा में दुबारा मतगणना को रोका। इसके बाद 13 को अल गोर ने बुश को बधाई दी, तब जाकर मतदाता मंडल की बैठक का रास्ता खुला।
और 14 दिसंबर को क्या होगा?
अभी चुनाव हुआ है, राष्ट्रपति को चुनने वालों का। अब 14 को ये मतदाता राष्ट्रपति को चुनेंगे। देश के सभी 50 राज्यों और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया में अब 14 को राष्ट्रपति का चुनाव होगा। इन बैठकों में एक और विवादास्पद बात हो सकती है। जो मतदाता जिसे चुनने के लिए चुना गया है, उसके बजाय दूसरे को वोट दे दे तो क्या होगा? वह ऐसा कर सकता है, केवल उसके नाम पर ‘फेथलैस इलेक्टर’ का धब्बा लगेगा। कुछ राज्य फेथलैस को वोट को स्वीकार करते हैं और कुछ नहीं करते। इस साल जुलाई में संघीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों के कानून वैध हैं।
इस चुनाव के बाद राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे दिसंबर के चौथे बुधवार तक उपराष्ट्रपति को दे दें, जो सीनेट के सभापति भी होते हैं। इस साल वह तारीख 23 दिसंबर है। बहरहाल जब सारे परिणाम आ जाएं, तब संसद का एक संयुक्त सत्र होता है, जिसमें इन वोटों की फिर गिनती होती है और उसके बाद राष्ट्रपति चुनाव के विजेता की घोषणा होती है। 6 जनवरी, 2021 को दिन में एक बजे यह घोषणा होगी।
हाँ राज्यों से आए चुनाव परिणामों को संसद के दोनों सदनों का कोई सदस्य भी चुनौती दे सकता है। ऐसा होने पर हाउस एक घंटे के लिए स्थगित होता है, ताकि विचार किया जाए कि क्या किया जाए। जरूरी हुआ तो उस वोट को अलग किया जा सकता है। यानी कि चुनाव परिणामों में देरी करने के तमाम रास्ते वहाँ उपलब्ध हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह आलेख उनके ब्लॉग ‘जिज्ञासा’ से लिया गया है)