श्रीलंका में तमिल समुदाय के लोगों ने बाजार बंद कर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी गृहयुद्ध के दौरान मारे गए तमिलों की सामूहिक कब्रों की विश्वसनीय जांच की मांग कर रहे थे। वर्ष 2009 में श्रीलंका की सेना और अलगाववादी तमिल टाइगर्स के बीच 26 सालों से चल रहा गृहयुद्ध खत्म हुआ था। इस गृहयुद्ध में एक लाख से अधिक लोगों के मारे जाने का दावा किया गया था। श्रीलंकाई सरकार के आंकड़ों के अनुसार 20000 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं।बीते माह जून में एक विकास परियोजना के लिए खुदाई के दौरान कोक्कुथुडुवई में एक कथित सामूहिक कब्र मिलने की बात सामने आई थी। इसके बाद छह जुलाई को मुल्लातिवु मजिस्ट्रेट की अदालत ने कथित सामूहिक कब्र की खुदाई की निगरानी की। तमिल समुदाय की ओर से यहां तेरह मानव अवशेष पाए जाने का दावा किया गया। इससे पहले एक रिपोर्ट में कहा गया था कि इन अज्ञात सामूहिक कब्र में अब भी हजारों शव दफन किए गए हो सकते हैं, जिनका पता नहीं चला है।

श्रीलंका के कई इलाकों में सामूहिक कब्र में दर्जनों नर-कंकाल पाए गए थे। इसके बाद उन कंकालों की जांच की मांग होने लगी। एक रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंकाई सरकारों द्वारा स्थापित कई जांच आयोगों में से किसी को भी सामूहिक कब्र की जांच करने का आदेश नहीं दिया गया। इसके बजाय, सच्चाई को उजागर करने के प्रयासों को अवरुद्ध किया गया।

अब अलगाववादी सशस्त्र संघर्ष के दौरान लापता लोगों के रिश्तेदारों ने कब्र की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है। इस मांग को लेकर श्रीलंका के तमिल बहुल उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में शुक्रवार को बंद रहा और श्रीलंका में अल्पसंख्यक समुदाय तमिल ने उत्तर पूर्वी जिले मुल्लाथिवु में एक कथित सामूहिक कब्र की विश्वसनीय जांच की मांग की। श्रीलंका में गृहयुद्ध और अन्य संघर्षों में जाफना, किलिनोच्ची, मन्नार और मुल्लाथिवु के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में गायब हुए लोगों के रिश्तेदारों ने व्यवसाय बंद करके और घर के अंदर रहकर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। जाफना विश्वविद्यालय के संयुक्त छात्र संगठन ने एक बयान में बंद का आह्वान किया था।(एएमएपी)