फरमाते हैं, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के चलते दोनों देशों में नफरत।
प्रदीप सिंह।सनी देओल की एक फिल्म आ रही है गदर-2, गदर-1 आपने देखी भी होगी। भारत-पाकिस्तान के बैकग्राउंड पर फिल्म निर्भर है। दोनों देशों के लोगों के बीच किस तरह से संबंध हैं उस पर बनी है गदर-2। इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ है। फिल्म में क्या है, कैसी है, कैसी होनी चाहिए उस पर यहां चर्चा नहीं करूंगा, बल्कि मैं चर्चा कर रहा हूं उस बात की जो फिल्म के ट्रेलर के रिलीज पर सनी देओल ने कही है। हम सबको मालूम है कि बॉलीवुड में ज्यादातर लोग अनपढ़ हैं। उनमें से ज्यादातर जाहिल हैं जिनको न तो देश के गौरवशाली इतिहास का ज्ञान है, न भूगोल का, न देश की संस्कृति और सभ्यता की जानकारी है, लेकिन बातें ऐसी करते हैं कि उनसे बड़ा ज्ञानी तो कोई है ही नहीं। सनी देओल को भी यह गलतफहमी हो गई है।
वह गुरदासपुर से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सदस्य हैं। गुरदासपुर के लोगों का कहना है कि हमें बड़ा अफसोस है कि इस व्यक्ति को चुना। जो संसद में गुरदासपुर की समस्याओं के बारे में एक शब्द भी कभी नहीं बोला वह भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर टिप्पणी कर रहा है। इस फिल्म में काम करके उन्हें लगा कि भारत-पाकिस्तान की समस्या को वह पूरी तरह से समझ गए हैं और उसकी जड़ में पहुंच गए हैं। ट्रेलर रिलीज के मौके पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के चलते दोनों देशों के बीच नफरत का संबंध है। दुश्मनी का यह माहौल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की वजह से है। पहली बात तो यह कि उन्होंने इस बयान के जरिये यह बताया कि उनको कोई समझ ही नहीं है। विदेश नीति की तो बात ही छोड़ दीजिए, जो सामान्य ज्ञान स्कूल में पढ़ाया गया, इतिहास की किताब में जो पढ़ाया गया उसकी भी जानकारी नहीं है। आजादी के आंदोलन की जानकारी नहीं है, देश के विभाजन की जानकारी नहीं है और देश के विभाजन के बाद जो कुछ हुआ उसकी न तो जानकारी है और न ही समझ है। यह उनकी समझ से परे की बात है, लेकिन उनको कुछ बोलना था और यह बताना था कि वह बहुत ज्ञानी व्यक्ति हैं और बता सकते हैं कि पाकिस्तान से संबंध की जो हमारी समस्या है उसकी जड़ में वह जा सकते हैं।
गलतफहमी पाले बैठे हैं सनी देओल

उन्होंने कहा कि दोनों तरफ ऐसे लोग हैं जो शांति चाहते हैं। सनी देओल और उनके जैसे लोगों से कई सवाल होने चाहिए। पहला सवाल, सनी देओल को पता है कि इस देश का बंटवारा क्यों हुआ? इस देश का बंटवारा इसलिए हुआ कि मुसलमानों ने कहा कि हम हिंदुओं के साथ नहीं रह सकते, हम एक जैसे नहीं हैं, हमारा और हिंदुओं का कोई मेल नहीं है, इसलिए हमको अलग देश चाहिए। इसलिए पाकिस्तान बना। यह जो आपको गलतफहमी है कि दोनों तरफ एक जैसे लोग हैं, तो पहले अपनी गलतफहमी दूर कर लीजिए। विभाजन हुआ तो लाखों लोग मारे गए और करोड़ों बेघर हुए, इसका आपकी नजर में कोई मतलब नहीं है। आपको अगर यह बात समझ में नहीं आती है तो कोई समझा भी नहीं सकता। दूसरी बात, जो देश पिछले 30 साल से भारत में आतंकवादी भेज रहा है, उनको पैसे, हथियार और ट्रेनिंग दे रहा है उसके बारे में ऐसा कैसे कह सकते हैं। सनी देओल तो मुंबई में रहते हैं, क्या कोई मुंबई वाला या भारत का कोई नागरिक 26/11 को कैसे भूल सकता है जब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया था। वह दृश्य टेलीविजन पर पूरी दुनिया ने देखा, उसको कैसे भुलाया जा सकता है। उसके लिए पाकिस्तान जिम्मेदार था।
शांति चाहने वालों की करतूतें देख लें

उसके अलावा मुंबई में जो सिलसिलेवार बम धमाके हुए उसे किसने करवाया, पाकिस्तान में जो लोग शांति चाहते हैं उन्होंने कराया था। जो शांति चाहते हैं वह कह सकते हैं कि पाकिस्तानी सरकार, सेना, आईएसआई यह कर रही थी, आम नागरिक ऐसा थोड़े न कर रहा था। तो फिर आम नागरिक की ही कुछ बात कर लेते हैं। भारत का जब विभाजन हुआ और जो हिस्सा पाकिस्तान में गया उसमें 20.5 फीसदी हिंदू जनसंख्या थी। 1998 की आखिरी गणना के हिसाब से हिंदू जनसंख्या 1.6 फीसदी रह गई। अब शायद 1 फीसदी से भी नीचे होगी। यह किया शांतिपूर्ण लोगों ने। वे 19 फीसदी लोग कहां चले गए। बहुत से लोगों को भागकर आना पड़ा। इस देश पर चार युद्ध थोपे पाकिस्तान के शांति चाहने वालों ने। 1947-48 में कश्मीर का 40 फीसदी हिस्सा ले गए। उसके बाद 1965 में, फिर 1971 में और उसके बाद कारगिल का युद्ध। यही नहीं अभी तक जम्मू-कश्मीर में जो होता रहा है और जो हो रहा है, लाखों कश्मीरी पंडितों को अपना घर-बार छोड़कर भागना पड़ा, या फिर मारे गए या फिर उनके साथ आगजनी, हत्या, बलात्कार सबकुछ हुआ। यह सब उन्होंने झेला। यह सब शायद पाकिस्तान के शांतिपूर्ण लोगों ने किया होगा। सनी देओल आखिर कहना क्या चाहते हैं? पुरानी बात को अगर हम एक बार भूल भी जाएं, तो यह कैसे भूल सकते हैं कि अभी भी पाकिस्तान में रोज हिंदू लड़कियों पर अत्याचार हो रहा है, हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है। उनका मंदिर गिरा दिया जाता है, लड़कियों को उठा लिया जाता है, जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है। धर्म परिवर्तन की धमकी देकर उनसे जो चाहे करवाते हैं और आखिर में धर्म परिवर्तन कराया जाता है।
“There is love on both sides (India-Pakistan). It is the political game that creates all this hatred,” Actor Sunny Deol at the trailer launch of his film Gadar 2 #Gadar2 #SunnyDeol #AmeeshaPatel #India #Pakistan #IndiaPakistan #Gadar2TrailerLaunch pic.twitter.com/Rw3uRP5ZN2
— News18 (@CNNnews18) July 26, 2023
बोलने पर पता चलता है कौवा और कोयल का अंतर
पाकिस्तान में हिंदू जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को या तो मार दिया गया या फिर उनका धर्म परिवर्तन करा दिया गया। उनके अड़ोसी-पड़ोसी यह सब देखते हैं, उनमें शामिल होते हैं और वे शांतिपूर्ण लोग हैं। सनी देओल जैसे लोगों को ऐसे मुद्दों पर अपना मुंह बंद रखना चाहिए। कौवा और कोयल का अंतर तब पता चलता है जब वह मुंह खोलता है। उनके बोलने से पता चल जाता है कि कौन कोयल है और कौन कौवा। बॉलीवुड में सनी देओल जैसे लोगों की कमी नहीं है। यही लोग हैं जो अमन की आशा और न जाने क्या-क्या चलाते हैं। उसमें एक बड़ा अखबार समूह भी शामिल था। अमन की आशा कैसे हो सकती है जब दूसरा पक्ष वहां से आतंकवादी और हथियार भेज रहा हो, यहां निर्दोष लोगों को मारा जा रहा हो। पिछले नौ साल से बंद हुआ है, नहीं तो देश के किसी न किसी कोने में बम ब्लास्ट होता रहता था। उसका जिम्मेदार कौन था, पाकिस्तान के अलावा और कोई देश है जो इसके लिए जिम्मेदार है। पूरी दुनिया में आतंकवाद का सबसे बड़ा पनाहगाह पाकिस्तान है यह सबको मालूम है। सनी देओल को नहीं पता होगा क्योंकि उनको वहां शांतिपूर्ण लोग दिखाई देते हैं। उन्होंने जैसे ही कहा कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की वजह से संबंध खराब हैं, उन्होंने पाकिस्तान को भारत की बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया कि दोनों ओर के लोग दोषी हैं। मतलब आप अपने देश के लोगों को दोषी ठहरा रहे हैं बिना किसी जानकारी के, बिना किसी समझ के।
अगली बार चुनाव में उन्हें हराए जनता

सनी देओल जैसे लोगों का सार्वजनिक जीवन में कोई स्थान नहीं है। गुरदासपुर के लोगों को अगर आज लग रहा है कि उन्होंने गलती कर दी सनी देओल को चुनकर तो बिल्कुल ठीक लग रहा है। अगले चुनाव में उन्हें इसका प्रतिकार करना चाहिए। अगर भारतीय जनता पार्टी टिकट दे भी देती है तो सनी देओल को हराने की कोशिश करनी चाहिए और उनकी फिल्म को देखें या न देखें इस पर भी विचार करना चाहिए। मैं बायकॉट की अपील नहीं कर रहा हूं। आप फिल्म देखें या न देखें आपकी मर्जी है लेकिन ऐसे लोगों को क्या प्रोत्साहित किया जाना चाहिए? ऐसे लोगों का क्या समर्थन किया जाना चाहिए? ऐसी प्रवृत्तियों को रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए इस पर हम सबको विचार करना चाहिए। जो लोग इस प्रवृत्ति को बढ़ाते हैं दरअसल उनकी सारी कोशिश यह है कि भारत को कठघरे में खड़ा करें। ऐसे पाकिस्तान भक्त की इस देश और समाज को जरूरत नहीं है। मैं फिर कह रहा हूं कि ऐसे लोग जब बोलते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि उनको कोई जानकारी, कोई समझ नहीं है। ऐसे लोगों को चुप रहना चाहिए। अगर चुप नहीं रहे तो उनका विरोध करके बताना चाहिए कि तुम्हें कुछ पता नहीं है, कोई समझ नहीं है। बॉलीवुड की चकाचौंध की यह जो दुनिया है उससे बाहर की दुनिया में बड़ी कठोर सच्चाई है।
ऐसी सोच रखने वालों पर तरस आता है
इस देश के वीर जवानों ने शहादत दी है, सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए हैं। जम्मू-कश्मीर में अभी भी मारे जा रहे हैं, हालांकि उनकी संख्या बहुत कम हो गई है क्योंकि सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ जिस तरह से ऑपरेशन चलाया है उससे पाकिस्तान को अभी तक समझ में नहीं आया है कि आतंकवादी भेज कर वह अपना नुकसान ज्यादा कर रहा है भारत का कम। मगर उसे लगता है कि भारत को परेशान करने का यही एक तरीका है। ऐसे में सनी देओल जैसे लोग आते हैं और भाषण देते हैं कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की वजह से दोनों देशों के बीच में नफरत है। इस तरह की जिनकी सोच है दरअसल उन पर दया आती है। ऐसे लोग सार्वजनिक जीवन में इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंच जाते हैं? ऐसे लोगों की हिम्मत कैसे होती है कि इस तरह की बात कर सकें? गुरदासपुर, जहां से वह सांसद हैं वहां से सेना में जाने वालों की संख्या बहुत बड़ी है जिन्होंने कुर्बानी दी है। पंजाब में जो आतंकवाद चला वह पाकिस्तान प्रायोजित था। पाकिस्तान फिर से खालिस्तानी आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे माहौल और ऐसे समय में सनी देओल कह रहे हैं कि दोनों पक्ष जिम्मेदार हैं और दोनों तरफ शांति चाहने वाले लोग हैं।
बचपन से ही भारत से नफरत का पढ़ाया जाता है पाठ

शांति चाहने वाले लोगों ने पिछले 75 साल में क्या किया यह तो बताइए। मान लिया कि पाकिस्तान के लोग शांति चाहते हैं, तो उन्होंने क्या किया? कभी अपनी सरकार पर इस बात के लिए दबाव डाला कि भारत से संबंध सुधारो, भारत में आतंकवादी मत भेजो, आतंकवादियों को हथियार और ट्रेनिंग मत दो। इसकी कभी कोशिश हुई क्या? जहां प्राइमरी स्कूल से बच्चों को भारत से नफरत करना पढ़ाया और सिखाया जाता है उसके बारे में सनी देओल बोल रहे हैं कि यह राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के कारण है। ऐसे कम पढ़े-लिखे, किसी तरह की कोई जानकारी न रखने वाले लोगों के ऐसे बयान पर चुप नहीं रहना चाहिए। उनको जवाब देना चाहिए और यह अहसास दिलाना चाहिए कि तुम्हें कुछ पता नहीं है। तुम न इस देश का इतिहास जानते हो और न भूगोल जानते हो। तुम्हें न इस देश की समस्याओं की जानकारी है, न इस देश की सभ्यता-संस्कृति की। तुम जो बोल रहे हो उस विषय पर बोलने की तुम योग्यता भी नहीं रखते। उनको अहसास दिलाना बहुत जरूरी है, वरना उनको लगता है कि वह जो बोल रहे हैं वेद वाक्य बोल रहे हैं। ऐसी बात तो पहले किसी ने की ही नहीं। भारत सरकार और पूरा देश इस बात को समझ ही नहीं पा रहा है कि इतनी छोटी सी बात जो सनी देओल के समझ में आ गई, और किसी के समझ में ही नहीं आ रही है।
ऐसे लोगों की बॉलीवुड में भरमार है जो जब बोलते हैं तो ऐसे बोलते हैं कि उनसे बड़ा ज्ञानी पुरुष या स्त्री कोई है ही नहीं। वह सब कुछ जानते हैं कि दुनिया में समस्या क्या है और उसका हल क्या होना चाहिए। नहीं जानते हैं तो वे लोग जो इस काम में लगे हैं, जिन लोगों पर इस काम की जिम्मेदारी है। वहीं नहीं जानते बाकी बॉलीवुड जानता है। वह बॉलीवुड जो आतंकवादियों के पैसों पर पलता बढ़ता रहा है, जो माफिया के पैसे से स्टार बनाता रहा है, वह बॉलीवुड ज्ञान दे रहा है। इस ज्ञान की इस देश को जरूरत नहीं है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और ‘आपका अखबार’ न्यूज पोर्टल एवं यूट्यूब चैनल के संपादक हैं)



