देवेंद्र फडणवीस के करीबियों में बढ़ी बेचैनी।
सुनील देवधर आंध्र के प्रभारी
राष्ट्रीय सचिव पद पर रहे सुनील देवधर को पार्टी ने पद से हटा दिया है, लेकिन आंध्र प्रदेश का प्रभारी बनाए रखा है। वहीं, केंद्रीय महासचिव पद के साथ महाराष्ट्र प्रभारी पद से सी.टी. रवि की छुट्टी हो गई है। हालिया कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वे चुनाव हार गए गए थे। अब जल्द ही महाराष्ट्र बीजेपी को नया प्रभारी मिलने की उम्मीद है। दिल्ली में महाराष्ट्र के नए प्रभारी के रूप में कैलाश वर्गीस के नाम की चर्चा है।

नड्डा ने फडणवीस विरोधियों को बनाया मजबूत
हाई कमान ने महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के विरोधियों को केंद्रीय नेतृत्व टीम में जगह देकर उन्हें ताकत दी है। इनमें विनोद तावडे और पंकजा के नाम प्रमुख हैं। विनोद तावडे बिहार के प्रभारी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। साथ ही उन पर 144 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी भी है, जिस पर बीजेपी काफी कम अंतर से हारी थी। पंकजा मुंडे को भी फडणवीस का विरोधी माना जाता है। बीच में उनके एनसीपी में जाने की अटकलें लगाईं जा रही थीं, लेकिन पार्टी ने सचिव पद पर बरकरार रख कर उन्हें ताकत देने की कोशिश की है। वे महाराष्ट्र बीजेपी में ओबीसी का चेहरा हैं। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी पंकजा को मैदान में उतारेगी।
तावडे को अधिक पावरफुल बनाने की वजह
केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व में विनोद तावडे को और ताकत दी गई है। माना जा रहा है कि तावडे ने अपने पहले कार्यकाल में पार्टी के लिए सराहनीय काम किया है, जिसका इनाम पार्टी ने उन्हें दोबारा राष्ट्रीय महामंत्री बना कर दिया है। अपने काम के दम पर काफी कम समय में तावडे प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के करीबी नेताओं में शामिल हो गए हैं। पार्टी तावडे को लंबी रेस का घोड़ा मानकर चल रही है। केंद्रीय नेतृत्व में तावडे को मजबूती मिलने से महाराष्ट्र में अगर किसी नेता की परेशानी और बढ़ेगी, तो वह देवेंद्र फडणवीस हैं। वैसे भी केंद्रीय नेतृत्व के साथ फडणवीस के रिश्ते में खटास सामने आई है। बोरीवली विधानसभा से टिकट काटने से लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में तावडे को साइड करने का श्रेय फडणवीस को दिया जाता है, लेकिन तावडे ने केंद्र में अपनी अलग जगह बनाकर फडणवीस के समर्थकों को चिंता में डाल दिया है।(एएमएपी)



