लगभग पिछले दो माह से अधिक समय बीत गया हैं। लेकिन मणिपुर में हो रही हिंसक गतिविधियां निरंतर चल रही हैं। कुछ दिन पहले मणिपुर से एक भयावह विडियो सामने आया, जिसको शब्दों में बयां करना सरल नहीं है। बात की जाए मणिपुर में हो रही हिंसा की, तो इसे सीधे तौर पर सरलता से समझने के लिए हमें वहां की वस्तु स्थिति को समझने की आवश्यकता है। सबसे पहलें हमें यह समझने की आवश्यकता है कि मणिपुर में जो हिंसा हो रही हैं, वो मूल हिंदू जनजाति को मिले संवैधानिक अधिकारों के विरोध में हो रही है। मैतेई जनजाति मूल भारतीय हिंदू जनजाति वर्ग हैं। किंतु लैण्ड रिफॉर्म एक्ट के चलते मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा प्राप्त नही था। मैतेई समुदाय अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए लगातार अनेक वर्षों से संघर्ष कर रहे थे। और उनके संघर्ष का ही परिणाम था कि मणिपुर उच्च न्यायालय ने मैतेई समुदाय को केंद्र सरकार की सिफारिश पर जनजाति का दर्जा प्रदान कर दिया। मणिपुर की हिंसा का मूल कारण यह भी है कि कूकी और नगा जनजाति समुदाय जो कि मुख्य रूप से क्रिस्चियन रिलिजन को मानने वालें अधिक हैं, वे मूल हिंदू जनजाति को मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों का विरोध कर रही है। कूकी और नगा के साथ वहां के मुस्लिम भी मैतेई समुदाय के अधिकारों का विरोध कर रहें हैं। जिससे लगातार हिंसा को बढा़वा मिल रहा हैं।

यह जो मणिपुर में हो रहा हैं। वह सभी कुछ संवैधानिक अधिकारों को लेकर हो रहा हैं। जो मूल भारतीय हिंदू जनजाति वर्ग है। उसे उसके मूल अधिकारों से वंचित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। अब बात आती हैं कि भारत में और भी स्थान हैं, जहां के हिंदू अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्षरत है। किंतु देश विरोधी लोगों को मणिपुर की हिंसा से इतना दुख क्यों हो रहा है और क्या कारण है कि मणिपुर की हिंसा सामान्य चर्चा का भी विषय बनी हुई है। मणिपुर में स्थानीय मैतेई हिंदू जनजाति वर्ग के द्वारा खुलकर कूकी क्रिस्चियनों के विरोध का जवाब दिया जा रहा है। मैतेई हिंदू समुदाय ने कूकी क्रिस्चियनों के हिंसक विरोध का जवाब उन्हीं की भाषा में दिया। कुल मिलाकर बात यह है कि मणिपुर के हिंदू वर्ग के द्वारा अन्य रिलिजन और मजहब के विरोध का जबरदस्त प्रतिकार किया। और यह प्रतिकार ही मणिपुर सहित सम्पूर्ण भारत में चर्चा का विषय बन गया है।

जब जब हिंदू समुदाय के द्वारा अपने ऊपर हो रहें अत्याचार का प्रतिकार किया जाता हैं। तब तब वामपंथी मीडिया और देश विरोधी लोग उस स्थान पर जाकर डट जाते हैं। मणिपुर में भी यही हो रहा हैं। इससे भिन्न जाकर हम यदि देखे तो मणिपुर में जो रहा हैं। वह भारत के अन्य जनजाति क्षेत्रों के लिए भी उदाहरण बन सकता हैं। यह समझना बहुत आवश्यक हैं कि जो वामपंथी और देश विरोधी लोग भारत के अन्य क्षेत्रों में जनजाति के अधिकारो के नाम पर झण्डा लेकर घूमते हैं। वही लोग मणिपुर के स्थानीय हिंदू जनजाति के संवैधानिक अधिकारों के विरोधियों का समर्थन कर रहें। सभी प्रकार की हिंसा और अपराध को रोकने का काम भी स्थानीय प्रशासन का दायित्व हैं और सभी प्रकार के षड्यंत्रों को समाप्त कर शांति स्थापना का काम भी प्रशासन के जिम्मे हैं। नागरिकों का कर्तव्य हैं सरकार के साथ मिलकर शांति स्थापित करने का कार्य शीघ्रता से होना चाहिए। (एएमएपी)