लोकसभा चुनाव से पहले 26 विपक्षी दलों के गठबंधन ने जो अपना नाम रखा है, उसका संक्षिप्त रूप इंडिया (INDIA) कहलाता है। इसके खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है, जिस पर अदालत ने विपक्षी दलों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस, जिसका शॉर्ट फॉर्म INDIA कहा जा रहा है। कारोबारी गिरीश भारद्वाज की अर्जी पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने कहा कि यह मामला सुनवाई करने के योग्य है। इसके साथ ही बेंच ने विपक्षी दलों को नोटिस जारी कर नाम रखने को लेकर जवाब मांगा है।

लोकसभा चुनाव से पहले फायदा लेने की कोशिश

याची गिरीश भारद्वाज ने कहा कि विपक्ष ने देश के नाम पर ही अपने गठबंधन का नामकरण कर दिया है। यह देश के नाम पर अगले लोकसभा चुनाव से पहले बेजा फायदा लेने की कोशिश है। इस पर बेंच ने कहा कि यह केस सुनवाई करने योग्य है। हालांकि इसकी अगली सुनवाई अक्टूबर में किए जाने का फैसला लिया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि 18 जुलाई को बेंगलुरु में हुई मीटिंग में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बहुत चालाकी के साथ इस नाम की पेशकश की थी। इसके जरिए यह दिखाने की कोशिश है कि प्रधानमंत्री और सत्ताधारी दल देश से टकरा रहे हैं।

आम लोगों में होगी भ्रम की स्थिति पैदा

उन्होंने कहा कि इससे आम लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा होगी। इससे यह संदेश जाएगा कि चुनाव में एक गठबंधन का मुकाबला दूसरे अलायंस से नहीं बल्कि देश से हो रहा है। इसलिए इस नाम पर पाबंदी लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह देश के नाम पर विपक्षी दल फायदा उठाना चाहते हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि इसे राजनीतिक फायदे के लिए टूल के तौर पर इस्तेमाल करने और चिंगारी भड़काने के लिए किया है, जो आगे बढ़कर राजनीतिक नफरत और बाद में राजनीतिक हिंसा की वजह बन सकता है।

‘INDIA’ राजनीतिक दलों का स्वार्थ

याचिकाकर्ता का कहना है कि शॉर्ट फॉर्म INDIA राष्ट्रीय प्रतीक का हिस्सा है और इसका राजनीतिक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि इन राजनीतिक दलों का यह स्वार्थी काम आगामी 2024 के आम चुनावों के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष वोटिंग को प्रभावित कर सकता है, जिसके चलते नागरिकों को अनुचित हिंसा का सामना करना पड़ सकता है। याची ने अदालत को बताया कि उन्होंने इस संबंध में चुनाव आयोग का भी रुख किया है। भारद्वाज ने कहा कि अब तक इस संबंध में चुनाव आयोग की ओर से कोई ऐक्शन नहीं लिया गया है। ऐसे में हमारे पास अदालत का रुख करने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा था।

(एएमएपी)