राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक सप्ताह में दो बार मुख्यमंत्री पद छोड़ने की बात कही है। राजनीतिक विश्वलेषक गहलोत के बयान को सोची समझी रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं। विश्लेषकों का तर्क है कि चुनाव से पहले गहलोत का इस तरह का बयान देना उनकी मजबूरी है। गहलोत अच्छी तरह जानते हैं कि चुनाव के बाद यदि सरकार रिपीट होती है तो एक बार फिर पायलट कैंप के चुनौती मिलेगी। ऐसे में चुनाव से पहले गहलोत सियासी मैसेज देना चाहते हैं। ताकि पब्लिक की सहानुभूति मिल सके। गहलोत कह चुके हैं कि वह जो कुछ बोलते हैं। सोच समझकर बोलते हैं। ऐसे में उनके बयान को सियासी बयान माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कांग्रेस पार्टी बिना सीएम फेस के चुनाव लड़ रही है। संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल कह चुके हैं कि कांग्रेस चुनाव में सीएम फेस घोषित नहीं करती है। सामूहिकता से निर्णय लिए जाते हैं।
सियासी जानकारों का कहना है कि सीएम अशोक गहलोत ख़ुद को सत्ता का स्वाभाविक उत्तराधिकारी समझते हैं। ऐसे में यह सवाल भी खड़ा होता है कि गहलोत किस रणनीति के तहत त्याग के मूड में दिख रहे हैं। मुख्यमंत्री पद का दावा नहीं कर रहे है। सीएम गहलोत का यह जज्बाती फैसला नहीं है। रणनीति के तहत यह बयान दे रहे हैं। सरकार रिपीट नहीं होती है तो अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। क्योंकि तीन बार सत्ता में रहते हुए चुनाव हारने का ठपा गहलोत पर लगेगा। ऐसे में पायलट कैंप एक बार फिर गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल सकता है।

गहलोत फिर बोले- मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहता हूं
सरकार रिपीट का दावा
राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में है। सीएम गहलोत का दावा है कि उनकी सरकार रिपीट होगी। सीएम गहलोत का कहना है कि सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं का फायदा मिलेगा। फ्री इलाज से लेक 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने की योजना का लाभ मिलेगा। सियासी जानकारों का कहना है कि राजस्थान में हार पांच साल बाद सरकार बदलने का ट्रेंड रहा है। 1993 के बाद राजस्थान में कभी सरकार दोबारा रिपीट नहीं हुई है।(एएमएपी)



