नेपाल सरकार द्वारा लाए गए नए शिक्षा बिल के विरोध में निजी विद्यालय संचालकों ने सरकार पर मनमानी का आरोप लगाते हुए स्कूलों को अनिश्चितकालीन बन्द करने की चेतावनी दी है। निजी विद्यालयों के संचालकों की तीन अलग अलग संगठनों ने संयुक्त रूप से बयान जारी करते हुए सरकार से तत्काल इस बिल पर पुनर्विचार करने की मांग की है। निजी विद्यालयों के संचालकों ने कहा है कि यदि सरकार ने उनकी मांग को अनसुना किया तो मजबूरन उनको देशभर के निजी स्कूलों के पठन पाठन के काम को बन्द करना होगा।दरअसल, सरकार की तरफ से लाए गए नए शिक्षा बिल में निजी स्कूलों को ट्रस्ट के तहत लाने और गैर मुनाफा संस्था घोषणा करने को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव है। नए शिक्षा बिल को लेकर शिक्षा मंत्री अशोक राई ने बताया कि निजी स्कूलों के संचालक विद्यालय चलाने को निजी व्यापार के रूप में प्रयोग करते हैं और अपने मुनाफे के लिए बच्चों के अभिभावकों से मनमाने ढंग से पैसा वसूल करते हैं।

शिक्षा मंत्री का तर्क है कि देश के प्रत्येक छात्र को शिक्षा देना राज्य का कर्तव्य है लेकिन निजी विद्यालयों ने शिक्षा को व्यापार बना दिया है और निजी या कंपनी के फायदे के लिए अनुचित तरीके से पैसे वसूलते हैं। इस पर लगाम लगाने के लिए इस बिल में यह प्रावधान किया गया है जो निजी विद्यालय अभी कंपनी एक्ट के तहत व्यापार के रूप में विद्यालय चला रहे हैं, उन पर लगाम लगे और ऐसी सभी कंपनियों या प्राइवेट लिमिटेड को ट्रस्ट के तहत गैर मुनाफा वाली संस्था के रूप में बदला जा सके।

सरकार के इस तर्क से निजी विद्यालय के संचालकों की संस्था संतुष्ट नहीं है। निजी विद्यालयों के संचालकों की संस्था प्राइवेट एण्ड बोर्डिंग स्कूल आर्गेनाइजेशन (PABSON), National -PABSON तथा हायर इंस्टीट्यूट एण्ड सेकेंडरी स्कूल एसोसिएशन (HISSAN) की तरफ से कहा गया है कि सरकार मुनाफा रोकने के नाम पर निजी विद्यालयों के अधिकारों को खत्म करना चाहती है।

इन तीनों संस्थाओं ने संयुक्त रूप से बयान जारी करते हुए 13 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया है। इन संस्थाओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर इस विवादित प्रावधान को नए शिक्षा बिल से नहीं हटाया गया तो 14 अगस्त से सभी निजी विद्यालयों को अनिश्चितकाल के लिए बन्द कर दिया जाएगा।(एएमएपी)