‘कंथारपुर महाकाली वड’ के विकास के लिए सरकार ने आवंटित किए 15 करोड़ रुपये।
‘कंथारपुर वड परिसर’ विकास : प्राचीन स्थल, आधुनिक पहचान
‘कंथारपुर महाकाली वड’ प्रोजेक्ट चरणबद्ध ढंग से चलाया जा रहा है। हाल में बावड़ी (स्टेपवेल) प्रकार के निर्माण का 69 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। पहले चरण में परिसर में ध्यान व योग केन्द्र, आयुर्वेदिक उपचार केन्द्र, संग्रहालय, पाथ-वे, लैंडस्कैपिग जैसी सुविधा विकसित की जा रही हैं। इस प्रोजेक्ट में योग-ध्यान केन्द्र तथा प्रार्थना खंड के संदर्भ में राज्य में योग-विज्ञान के लिए विख्यात लकुलिश योग विश्वविद्यालय के साथ परामर्श किया गया है। गुजरात पवित्र यात्राधाम विकास बोर्ड (जीपीवाईवीबी) के सचिव आरआर रावल ने बताया कि आगामी द्वितीय चरण में मंदिर का रिनोवेशन, लैंडस्कैपिंग, कम्पाउंड वॉल, लिफ़्ट तथा ब्यूटीफ़िकेशन के कार्य शुरू किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि बावड़ी (स्टेपवेल) प्रकार की इमारत में संग्रहालय का भी निर्माण किया जाएगा।

नवम्बर, 2024 में प्रोजेक्ट पूरा होगा
योजना के अनुसार यह प्रोजेक्ट नवम्बर-2024 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है। 5 मई, 2021 को शुरू हुए इस प्रोजेक्ट के दूसरे चरण का कामकाज पूरा करने की समयावधि 15 माह रखी गई है। अर्थात् इस प्रोजेक्ट के नवम्बर, 2024 में पूरा होने की आशा है। इस प्रकार वर्ष 2025 के आरंभ में अध्यात्म में रुचि रखने वाले साधकों को गांधीनगर के पास नया साधना केन्द्र प्राप्त हो जाएगा।
कंथारपुर-आध्यात्मिक केन्द्रबिंदु : रावल
गुजरात पवित्र यात्राधाम विकास बोर्ड (जीपीवाईवीबी) के सचिव आर.आर.रावल कहते हैं, “कंथारपुर महाकाली वड विकास प्रोजेक्ट” में दूसरे चरण में 9 करोड़ 70 लाख रुपये की लागत से विभिन्न विकास कार्य आरंभ किए जा रहे हैं।” कंथारपुर महाकाली वड परिसर को केवल धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में ही नहीं, अपितु आध्यात्मिक केन्द्र के रूप में विकसित करने की दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। भूमि के गर्भ में 22 फ़ीट गहराई में निर्मित हो रहे ध्यान-केन्द्र की भूमिका देते हुए रावल कहते हैं कि यह केन्द्र साधकों को भौतिक जगत से अलिप्त होने का अवसर प्रदान करेगा और परम शांति की अनुभूति कराएगा।(एएमएपी)



