प्रमोद जोशी ।
लगता है कि भारत ने नेपाल के साथ रिश्तों को सुधारने की जो कोशिश की है उसे लेकर चीन में किसी किस्म की चिंता जन्म ले रही है। रविवार 29 नवंबर को चीन के रक्षामंत्री वेई फेंगही नेपाल के एक दिन के दौरे पर आए। यह दौरा अचानक ही बना। पर इसके पीछे भारत के थल सेनाध्यक्ष और विदेश सचिव के दौरे हैं, जो इसी महीने हुए हैं। उनके आगमन के कुछ दिन पहले 24 नवंबर को चीन के तीन अधिकारियों की एक टीम काठमांडू आई थी, पर इस तैयारी को अचानक हुई गतिविधि ही माना जाएगा। उन्होंने इस दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, जो रक्षामंत्री भी हैं और राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी तथा नेपाली सेना के प्रमुख पूर्ण चंद्र थापा से मुलाकात की और शाम को यहाँ से पाकिस्तान रवाना हो गए।

इस दौरान चीन-नेपाल रिश्तों को लेकर बातें हुईं और कोरोना के कारण रुके हुए कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी। इनमें ट्रेनिंग और छात्रों के आदान-प्रदान का कार्यक्रम तथा कुछ शस्त्रास्त्र की आपूर्ति शामिल है। पर जिस तरह से यह यात्रा हुई, उससे लगता है कि कोई और महत्वपूर्ण बात इसके पीछे थी।
Chinese Defence Minister Wei Fenghe's reaches Nepal for day long visit | India News | Zee News

नेपाली नेतृत्व को लेकर चीनी चिंता

पर्यवेक्षक मानते हैं कि इस यात्रा के पीछे नेपाल के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व को लेकर चीनी चिंता एक बड़ा कारण है। नेतृत्व का विवाद अभी तक सुलझा नहीं है। एक दूसरी वजह है वह खबर जो नेपाल और भारत के मीडिया में छाई रही। पिछले दिनों यह खबर चर्चा का विषय बनी रही कि हुमला क्षेत्र में चीन ने नेपाली जमीन पर कब्जा कर लिया है।
बताते हैं कि चीन का संदेश वेई फेंगही की यात्रा के पाँच दिन पहले आई टीम ने दे दिया था। चीन की उस टीम में दो लोग चीनी सैनिक आयोग से थे और एक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय मामलों के विभाग से। इस टीम ने ओली, पुष्प दहल कमल, गृहमंत्री राम बहादुर थापा, मुख्य विरोधी दल के नेता शेर बहादुर देउबा तथा विभिन्न एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की।

चीनी टीम की नाराजगी

चीन की वह टीम जिस समय आई थी, उसके दो दिन बाद ही भारत के विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला नेपाल के दौरे पर आए थे। चीनी टीम के दौरे का वह समय महत्वपूर्ण है। बताते हैं कि चीनी टीम की नाराजगी हुमला चीनी घुसपैठ की खबर को लेकर थी। इस खबर को नेपाली कांग्रेस काफी उछाल रही है। यह खबर नेपाली कांग्रेस के जीवन बहादुर शाही ने दी थी, जो करनाली में प्रांतीय असेम्बली के सदस्य हैं।
Nepal on priority for COVID-19 vaccine: Harsh Vardhan Shringla
भारत के विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला नेपाल के दौरे पर
इस खबर को लेकर 13 नवंबर को चीनी दूतावास ने भी नेपाली कांग्रेस को पत्र लिखा था। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भी इस सिलसिले में आलेख लिखा था, जिसमें और कहा गया था कि इस फर्जी खबर के पीछे नेपाली कांग्रेस है। चीन ने नेपाल को संदेश दिया है कि हम देश में स्थिरता बनाए रखना चाहते हैं और वर्तमान सरकार का समर्थन करते रहेंगे।
पिछले साल अक्तूबर में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग नेपाल आए थे। उनके बाद वेई फेंगही यहाँ आने वाले वरिष्ठतम चीनी नेता हैं। उनके पहले मई 2017 में चांग वानछुआन यहाँ आए थे, जो उस समय रक्षामंत्री थे।

क्यों घबराया चीन

चीनी रक्षामंत्री के इस दौरे को भारत सरकार के उन प्रयासों से भी जोड़कर देखना चाहिए, जो दोनों देशों को रिश्ते सुधारने की दिशा में हो रहे हैं। भारत के विदेश सचिव के दौरे के पहले भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के प्रमुख सामंत गोयल अक्तूबर में और उनके बाद भारत के सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे नवंबर के शुरू में नेपाल आए। लगता है कि इससे चीन के कान खड़े हुए हैं। उनके रक्षामंत्री की यात्रा एक तरह की घबराहट को बता रही है।
नेपाली मीडिया के अनुसार रविवार को वेई फेंगही 20-सदस्यों की टीम के साथ आए और कुछ समय सेना मुख्यालय में बिताने के बाद फौरन बालूवाटार स्थित प्रधानमंत्री निवास पर गए। प्रधानमंत्री के विदेशी मामलों के सलाहकार राजन भट्टराई ने नेपाली मीडिया काठमांडू पोस्ट को बताया कि ओली ने उन्हें भरोसा दिलाया कि नेपाल अपनी जमीन का इस्तेमाल चीन के खिलाफ नहीं होने देगा।
(लेखक ‘डिफेंस मॉनिटर’ पत्रिका के प्रधान संपादक हैं। यह लेख उनके ब्लॉग जिज्ञासा से लिया गया है)