आधुनिक भारत के लिए बड़ी सफलता
डॉन ने लिखा है कि यह आधुनिक भारत के लिए बड़ी सफलता है, जिसने दुनिया के अमीर देशों के मुकाबले कहीं कम खर्च में यह उपलब्धि पा ली है। एक दशक पहले ही भारतीयों ने मंगलयान मिशन भी लॉन्च किया था और 2019 में चंद्रयान-2 भी भेजा था, जो मामूली अंतर से चूक गया था। अब उन्होंने फिर प्रयास किया तो कामयाबी के झंडे गाड़ दिए। पाकिस्तानी अखबार ने लिखा है कि यह भारत के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की गुणवत्ता को दिखाता है। इसके अलावा सरकार ने भी सपोर्ट किया। यही नहीं अखबार ने भारत की सफलता से पाकिस्तान को सबक लेने की भी नसीहत दी है।
पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी में सुधार की जरूरत
अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान के स्पेस प्रोग्राम की शुरुआत भारत से पहले ही हुई थी और कुछ शुरुआती सफलता भी मिली थी। हमने 1960 के शुरुआती दशक में रॉकेट लॉन्च किया था, जिसका श्रेय अब्दुस सलाम को जाता है। हमने 1990 में बद्र-1 सैटेलाइट स्पेस में लॉन्च किया था। इसमें हमें अमेरिका की मदद मिली थी। हालांकि तब से अब तक तीन दशक से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली है। अखबार ने पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी स्पेस एंड अपर एटमॉसफेयर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (Suparco) में भी सुधार की वकालत की और कहा कि इसके बिना कुछ हासिल होना संभव नहीं है।
भारत से बहुत कुछ सीखने की जरूरत
अखबार ने लिखा कि हमारे स्पेस प्रोग्राम जमीन पर ही रह जाने की वजह है कि स्पेस एजेंसी कमान पूर्व सैनिक संभाल रहे हैं। एक्सपर्ट्स के हाथ में यहां कुछ भी नहीं है। इसके अलावा हमारे यहां साइंस की पढ़ाई कमजोर है। प्रतिभाएं तैयार नहीं हो रही हैं और जो तैयार भी होती हैं, वे पलायन कर जाती हैं। दुख की बात है कि साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी के उत्पादक नहीं बल्कि ग्राहक भर बनकर रह गए हैं। हमने अपने सबसे काबिल लोगों को पलायन के जरिए खोया है। इसकी वजह भ्रष्ट नौकरशाही है, जिससे लोगों को अपने ही देश में मौके नहीं मिलते। हमें भारत से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।(एएमएपी)