(27 अप्रैल पर विशेष)।

देश-दुनिया के इतिहास में 27 अगस्त की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख सारे संसार के कारनामों को समेट कर सर्वोच्च मंच प्रदान करने वाली गिनीज बुक के लिए खास है। 1955 में 27 अगस्त को पहली बार गिनीज बुक का प्रकाशन हुआ था। अब तो अकसर खबरें छपती और दिखाई जाती हैं कि फलां व्यक्ति का नाम गिनीज बुक में दर्ज किया गया।गिनीज बुक की कहानी शुरू होती है 1950 के दशक से। आयरलैंड में गिनीज ब्रेवरी कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर सर ह्यूज बीवर अपने दोस्तों के साथ पक्षियों का शिकार कर रहे थे। तभी उनके सामने से चिड़ियों का एक झुंड बड़ी तेजी से गुजर गया। ह्यूज और उनके साथी हैरत में पड़ गए कि इतनी तेजी से उड़ने वाले यह पक्षी आखिर हैं कौन? सब अलग-अलग जवाब देने लगे, लेकिन परेशानी यह थी कि किसका जवाब सही है, इसे पता करने का कोई तरीका नहीं था। ह्यूज और उनके दोस्तों ने किताबों में भी देखा, लेकिन कोई सटीक जानकारी नहीं मिली।

तब ह्यूज को यह आइडिया आया कि एक ऐसी किताब बनाई जाए जिसमें सारे फैक्ट्स हों। 1954 में ह्यूज ने इस आइडिया को दो जुड़वां भाइयों नोरिस और रोस के साथ साझा किया। यह दोनों दोनों लंदन में एक फैक्ट फाइंडिंग एजेंसी में काम करते थे। दोनों को यह आइडिया पसंद आया और गिनीज बुक पर काम शुरू हुआ।

लंदन की फ्लीट स्ट्रीट पर एक पुराने जिम को कार्यालय का रूप दिया गया। काम शुरू हुआ और 27 अगस्त 1955 को पहली गिनीज बुक बाजार में आई। 198 पन्नों की यह किताब लोगों को इतनी पसंद आई कि दिसंबर तक ब्रिटेन में बेस्ट सेलर बन गई। अगले ही साल अमेरिका में गिनीज बुक लॉन्च की गई। 1960 तक गिनीज बुक की पांच लाख कॉपी बिक चुकी थीं। इसके बाद अलग-अलग भाषाओं में यह किताब छापी जाने लगी। आज 100 से ज्यादा देशों में 37 भाषाओं में गिनीज बुक का प्रकाशन होता है।(एएमएपी)