केन्‍द्र की मोदी सरकार ने विपक्षी दलों को एक बार फिर चिंता में डाल दिया है। जहां एक ओर विपक्षी गठबंधन “इंडिया” तीसरी बैठक करने जा रहे हैं, वहीं 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र बुलाने के सरकार के आश्चर्यजनक फैसले ने विपक्षी गुट को हैरान कर दिया है। बता दें कि जरूरत पड़ने पर देश के राष्ट्रपति को संसद का विशेष सत्र बुलाने का अधिकार है। केंद्र सरकार ने इसी प्रावधान का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति से संसद का विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश की और मंजूरी भी ले ली। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पांच दिन के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की जानकारी दी है।

सरकार कुछ बड़ा करने वाली है

यह बैठक संसद के नए भवन में होगी। इस दौरान करीब 10  विधेयक पेश किए जा सकते हैं। केंद्रीय सचिवालय के अधिकारियों और राजनीतिक दलों को इतने भर से संतोष नहीं हो रहा है। सभी को लग रहा है कि सरकार कुछ बड़ा करने वाली है। यूपी के एक बड़े राजनीतिक दल ने संसद के पांच दिन के विशेष सत्र के बारे में जानने की कोशिश की। वह मीडिया में भी लोगों को फोन कर रहे हैं। आशंका भी जता रहे हैं कि सरकार दिसंबर-जनवरी तक प्रस्तावित लोकसभा चुनाव कराने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है। यह भी संभव है कि लोकसभा के साथ देश में सभी विधानसभा चुनावों को कराने की घोषणा हो जाए? मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता भी इसकी टोह लेने में लगे हैं।

विपक्ष में घबराहट

मोदी सरकार की रणनीति चाहे जो भी रही हो लेकिन विपक्षी गठबंधन की बैठक से ठीक पहले संसद के विशेष सत्र की घोषणा पर मुंबई में विपक्षी नेताओं ने माथापच्ची तेज कर दी है। विपक्षी गठबंधन के अधिकांश नेताओं ने विपक्षी दलों की एकता और कुनबा बढ़ाने पर जोर दिया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि बीजेपी लोकसभा चुनाव पहले करा सकती है, ने कहा कि विपक्षी दलों को अपने प्रयास और तेज करने चाहिए। सूत्रों ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि मोदी सरकार का यह ऐलान आश्चर्य करने वाला है क्योंकि संसद के विशेष सत्र के दौरान ही महाराष्ट्र में गणेश उत्सव होना है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार के पास कुछ न कुछ बड़ी प्लानिंग है।

दूसरी तरफ आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि विपक्षी दलों को सीट बंटवारे पर बातचीत तेज करनी चाहिए और 30 सितंबर तक संयुक्त उम्मीदवार व्यवस्था की घोषणा करने का प्रयास करना चाहिए। इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि गठबंधन में शामिल पार्टियों को उन प्रमुख बिंदुओं की पहचान करनी चाहिए जिन्हें संयुक्त घोषणापत्र का हिस्सा बनाया जाना है  और महात्मा गांधी की जयंती (2 अक्टूबर) पर इसकी घोषणा कर देनी चाहिए।

मोदी सरकार के इन कदमों से विपक्ष की रणनीति हो सकती है ध्वस्त

विपक्ष जहां ‘मोदी हटाओ’ के फार्मूले पर मंथन कर रहा है, वहीं मोदी देश के विकास के लिए पार्टी के शेष रह गए एजेंडे को पूरा कर यह नैरेटिव सेट करेंगे कि वे देश को आगे बढ़ाने के अभियान में जुटे हैं। सूत्रों के अनुसार सत्र के दौरान जिन अहम बिलों जैसे यूसीसी, महिला आरक्षण, एक देश एक चुनाव को पारित कराने की बात है, वे लोकसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित हो सकते हैं। एक देश एक चुनाव की सोच से विपक्ष असहमत नहीं है। महिला आरक्षण विधेयक का विरोध असंभव है। ऐसे में ये विधेयक विपक्ष की उस रणनीति को कुंद कर सकते हैं जो सिर्फ मोदी को हटाने पर केंद्रित है।

मोदी देश की अर्थव्यवस्था को अगले पांच सालों में पांचवें से तीसरे नंबर पर लाने का ऐलान कर चुके हैं। मौजूदा रिपोर्ट इसके सकारात्मक रूप से आगे बढ़ने की ओर इशारा करती हैं। लोकसभा एवं विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण के जरिये सीधे आधी आबादी तक पहुंच बनी है। चुनाव से पूर्व अयोध्या में भव्य राम मंदिर की शुरुआत सीधे जनता से जुड़ना दर्शाता है।

सरकार ने विशेष सत्र बुलाने का कोई कारण नहीं बताया

अभी सरकार की तरफ से संसद का विशेष सत्र बुलाने के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया गया है। लोकसभा सचिवालय सूत्रों को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक संसद का विशेष सत्र पहली बार 1970 के दशक में बुलाया गया था। इसके बाद से कई बार संसद के विशेष सत्र का आयोजन किया गया है।(एएमएपी)