मुंबई में हुई विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठक के दूसरे दिन एक फैसला लिया गया है। बैठक में तय किया गया कि 13 सदस्यों की समन्वय समिति बनायी जाएगी । इस समिति में टीएमसी के अभिषेक बनर्जी, शिवसेना के संजय राउत, आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा, एनसीपी के शरद पवार, कांग्रेस के. केसी वेणुगोपाल शामिल होंगे। इसके अलावा उमर अब्दुल्ला, हेमंत सोरेन, एमके स्टालिन और तेजस्वी यादव भी इसका हिस्सा होंगे। इसके अलावा गठबंधन ने अपना नारा भी फाइनल कर लिया है। इस स्लोगन में भारत और इंडिया दोनों को शामिल किया गया है। यह स्लोगन है- जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया।

संयोजक बनाए जाने पर नहीं हुआ फैसला

समिति में समाजवादी पार्टी के नेता जावेद खान, जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह, सीपीआई के नेता डी. राजा और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को भी जगह दी है। इंडिया गठबंधन के लिए किसी एक वरिष्ठ नेता को संयोजक बनाए जाने की भी चर्चा थी, लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। नीतीश कुमार और मल्लिकार्जुन खरगे का नाम संयोजक के तौर पर चल रहा था। सूत्रों का कहना है कि गठबंधन के लिए संयोजक के पद पर शायद आज फैसला न हो पाए। यही नहीं संयोजक भी कोई एक ही हो सकता है और उसे लेकर खींचतान की स्थिति न हो, इसलिए इस पर कोई बात नहीं की जा रही है।

गठबंधन का “लोगो” भी नहीं हो पाया फाइनल

बैठक में चर्चा के बावजूद भी गठबंधन अपना लोगो फाइनल नहीं कर पायी है। सूत्रों का कहना है कि कुछ और सुझाव मांगे गए हैं, जिनके आने पर ही इस पर फैसला लिया जाएगा। इसके अलावा सीट बंटवारे को लेकर भी जल्द फैसला हो सकता है। हालांकि कहा जा रहा है कि कांग्रेस सीट बंटवारे को लेकर जल्दबाजी में फैसला लेने से बचना चाहती है। उसे लगता है कि विधानसभा चुनावों के नतीजे के बाद ही इस पर फैसला लिया जाए। उसे लगता है कि यदि इलेक्शन के नतीजे उसके लिए बेहतर होते हैं तो वह मोलभाव के लिए मजबूत स्थिति में होगी।

संयोजक को लेकर उठ रहा बड़ा सवाल

शरद पवार जैसे सीनियर नेता को 13 सदस्यों की समिति में शामिल किए जाने से सवाल उठ रहा है कि अब कोई संयोजक बनाया भी जाएगा या नहीं। दरअसल वह गठबंधन के सबसे सीनियर नेताओं में से एक हैं। ऐसे में नीतीश कुमार या फिर मल्लिकार्जुन खरगे जैसे किसी अन्य नेता की लीडरशिप में वह काम करेंगे या नहीं। यह भी एक सवाल है। यही वजह है कि माना जा रहा है कि अब शायद किसी संयोजक का ऐलान न किया जाए। “इंडिया” गठबंधन के फैसले इसी समन्वय समिति के जरिए ही लिए जा सकते हैं।(एएमएपी)