प्रमोद जोशी ।
भारतीय विदेश और रक्षा-नीतियों के संदर्भ में इन दिनों काफी हलचल है। पहली बार भारत ने चीन के खिलाफ साफ शब्दों में बोलना शुरू किया है। देश के पूर्व विदेश सचिव और पूर्व रक्षा सलाहकार श्याम सरन इसे ‘ऐतिहासिक हिचकिचाहट’ से निजात पाना कहते हैं। देश की इस नीति की आने वाले समय में परीक्षा होगी।
देखना होगा कि चीन किस हद तक ताकतवर देश बनता है और हिंद महासागर क्षेत्र में कितने देशों को अपने साथ जोड़ पाता है। पिछले कुछ सप्ताह के घटनाक्रम पर गौर करें, तो पाएंगे कि नेपाल और बांग्लादेश में भारत ने चीनी प्रभाव के बरक्स अपनी पकड़ को बेहतर बनाया है।
‘ऐतिहासिक हिचकिचाहट’ से निजात
हिंद महासागर के बदलते सुरक्षा परिदृश्य पर श्याम सरन ने बिजनेस स्टैंडर्ड में ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र, क्वाड और भारत की भूमिका’ शीर्षक आलेख में कहा है कि कम से कम इस बात के लिए चीन का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उसने भारत को ‘ऐतिहासिक हिचकिचाहट’ से निजात पाने में मदद की और वह क्वाड (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सुरक्षा संवाद का अनौपचारिक रणनीतिक मंच) को अपनी हिंद-प्रशांत नीति के केंद्र में ला सका। चीन ने पूर्वी लद्दाख में जो आक्रामकता दिखाई उसने भारत को प्रोत्साहित किया कि वह क्वाड के रूप में चारों देशों के गठजोड़ को संस्थागत स्वरूप प्रदान करे।
अमेरिका से सटीक खुफिया आंकड़े मिलेंगे
क्वाड के विदेश मंत्री अब वार्षिक मुलाकात करेंगे। इन चार देशों के साथ भारत का सुरक्षा सहयोग अब द्विपक्षीय लॉजिस्टिक्स, संचार और खुफिया जानकारी साझा करने की व्यवस्थाओं पर आधारित है। इनमें से अंतिम और सबसे महत्त्वपूर्ण है अमेरिका के साथ हस्ताक्षरित बेसिक एक्सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बीएसीए)। इससे भारत को अमेरिका से सटीक स्थानीय खुफिया आंकड़े मिलेंगे जो उसे अन्य बातों के अलावा मिसाइल से सटीक निशाना लगाने में सक्षम बनाएंगे। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को भी मलाबार नौसैनिक कवायद में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था
यह बात बहुत अहम है क्योंकि केवल ऐसी कवायदों के जरिये ही क्वाड देश एक दूसरे के साथ बहुपक्षीय ढंग से जुड़ रहे हैं। भारत के क्वाड साझेदार देशों के साथ जो द्विपक्षीय सुरक्षा रिश्ते हैं, उन्हें बहुपक्षीय बनाने की दिशा में यह पहला कदम है। अब यह संभावना अधिक भरोसेमंद नजर आ रही है और चीन की भारत के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया को लेकर निरंतर बढ़ती आक्रामकता के बाद इसमें और तेजी आ सकती है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले दिनों जब कहा कि वह यह भविष्य के परिदृश्य के केंद्र में रहने वाला है तो वह दरअसल क्वाड के बदले हुए आकलन को ही पेश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एशिया को बहुध्रुवीय बनाने के लिए क्वाड अनिवार्य है। ऐसे एशिया के बिना बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था बनाना मुश्किल होगा।
(लेखक ‘डिफेंस मॉनिटर’ पत्रिका के प्रधान संपादक हैं। यह लेख उनके ब्लॉग जिज्ञासा से लिया गया है)