असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने तिनसुकिया में एक सर्वदलीय बैठक में कहा कि बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए दिसंबर में राज्य विधानसभा में एक विधेयक पेश करेंगे। मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि हम राज्य में लव जिहाद रोकने के भी लिए विधेयक में कुछ बिन्दु जोड़ेंगे। बता दें कि उन्‍होंने बहुविवाह को प्रतिबंधित करने के लिए जनता से सोशल मीडिया के जरिए राय मांगी थी। शनिवार को हुई बैठक के बाद उन्होंने कहा कि जनता की राय के बाद हम बहुविवाह को समाप्त करने के लिए जल्द ही ठोस कदम उठाएंगे। बहुविवाह एक से अधिक व्यक्तियों (एकाधिक पति/पत्नी) से विवाह करने की प्रथा है।

जनता की राय और सुझाव भी मांगे

बैठक में सरमा ने कहा कि राज्य सरकार बहुविवाह पर प्रतिबंध लगा सकती है या नहीं? इसका विश्लेषण करने के लिए एक कानूनी समिति का गठन किया गया था और हमें सकारात्मक विचार मिले हैं। हमने बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्तावित विधेयक पर जनता की राय और सुझाव भी मांगे। हमें जवाब में कुल 149 सुझाव मिले हैं। इनमें से 146 सुझाव विधेयक के पक्ष में हैं और वे बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन करते हैं। हालांकि, तीन सुझावों ने बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपना विरोध व्यक्त किया है। हमारा अगला चरण विधेयक का मसौदा तैयार करना है। उन्होंने कहा कि हम अगले 45 दिनों में विधेयक को अंतिम रूप दे देंगे। मुझे लगता है कि मैं इस साल दिसंबर में विधानसभा में विधेयक पेश कर पाऊंगा।

लव जिहाद भी रोकेंगे

इससे पहले असम में बहुविवाह को समाप्त करने के लिए कानून बनाने के लिए राज्य विधानमंडल की विधायी क्षमता की जांच करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति ने इस साल 6 अगस्त को अपनी रिपोर्ट असम के मुख्यमंत्री को सौंपी। इस बीच मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हम राज्य में लव जिहाद को रोकने के लिए विधेयक में कुछ बिंदु जोड़ेंगे।’

सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को वापस लेने के मुद्दे पर बात करते हुए असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हमें इस पर निर्णय लेना होगा कि एएफएसपीए को हटाया जाए या नहीं। यह राज्य सरकार का विचार है और केंद्र सरकार अंतिम विचार करेगी। मैं इस महीने केंद्र सरकार के साथ इस पर चर्चा करूंगा। इस महीने के अंत में एक ठोस निर्णय लिया जाएगा।”

गौरतलब है कि सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 भारत की संसद का एक अधिनियम है जो भारतीय सशस्त्र बलों को “अशांत क्षेत्रों” में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष शक्तियां प्रदान करता है। अशांत क्षेत्र अधिनियम, 1976 के अनुसार एक बार ‘अशांत’ घोषित होने के बाद क्षेत्र को कम से कम तीन महीने तक यथास्थिति बनाए रखनी होती है।(एएमएपी)