इसरो ने बताया क्यों अहम है ये होप टेस्ट
इसरो का कहना है कि विक्रम की दोबारा सॉफ्ट लैंडिंग होना इसलिए अहम है क्योंकि इससे मिशन के सैंपल लेकर लौटने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस बीच चांद पर एक बार अगले एक से दो दिन में अंधेरा छाने वाला है। फिर लैंडर को अगले 15 दिन अंधरे में गुजारने होंगे। दरअसल चांद पर एक दिन धरती पर 15 दिनों के बराबर होता है। 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान की लैंडिंग हुई थी। उस दौरान चांद पर दिन था और सूरज की रोशनी थी। इसरो के जानकारों का कहना है कि चांद पर लैंडिंग के लिए ऐसा वक्त चुना गया था, जब दिन की शुरुआत हुई थी। इसका मकसद यह था कि अगले 15 दिनों तक विक्रम को मौका मिल सके और चंद्रमा की कुछ जानकारी जुटाने के लिए वक्त मिल पाए।
क्या अंधेरा छंटने पर फिर ऐक्टिव होगा चंद्रयान?
एक अहम सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि यदि चंद्रयान दिन में ही काम करता है तो फिर दोबारा जब चांद पर दिन होगा तो वह दोबारा ऐक्टिव हो सकेगा। इसरो के सूत्रों का कहना है कि चंद्रयान के लैंडर और रोवर में सोलर पैनल लगे हैं, जो सूरज की रोशनी में चलते हैं। इसके लिए जरूरी है कि उन्हें सूर्य का प्रकाश मिले। यदि सूर्य का प्रकाश नहीं मिलता है तो उनके सोलर पैनल कुछ ही घंटे चल सकेंगे। हालांकि यह कन्फर्म नहीं है कि दोबारा दिन होने पर वे सक्रिय होंगे या नहीं। ऐसा होता है तो इसरो के लिए यह भी एक बड़ी उपलब्धि जैसी होगी।(एएमएपी)