दिया गया बेहद कड़ा प्रशिक्षण
सेना समेत सुरक्षा से जुड़ी सभी एजेंसियों को किसी भी संभावित खतरों से कैसे बचाव करना है, उसे लेकर बेहद कड़ा प्रशिक्षण दिया गया है। सेना के विशेष कमांडो दस्ते और दूसरी यूनिट के कमांडो को ड्रोन, मिसाइल और 9/11 जैसे विमान हमलों को लेकर क्या-क्या सावधानियां बरतनी हैं और इस दौरान फंसे लोगों को कैसे सुरक्षित स्थान तक पहुंचाना है, इसके लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं।
स्पेशल कमिश्नर रैंक के अफसर को मिली जिम्मेदारी
बैठक के दौरान सुरक्षा जिम्मेदारियों को सात डोमेन और एरिया में बांटा गया है। इसमें हवाई अड्डा, आयोजन स्थल, मेहमानों के रुकने वाली जगह, राजघाट, वीआईपी काफिले की सुरक्षा का प्रबंधन, आतंक विरोधी उपाय और कानून व्यवस्था शामिल हैं। इनमें से हर एक का नेतृत्व वेन्यू कमांडर करेगा, जो स्पेशल कमिश्नर रैंक का अधिकारी होगा। इस दौरान एडिशनल डीसीपी और डीसीपी रैंक के अधिकारी भी शामिल होंगे। इन अधिकारियों को अलग-अलग रंग की वर्दी भी दी गई है। कुछ नीले सूट पहनेंगे तो कुछ उसी रंग के सफारी सूट में होंगे।

विशेष जवानों की टीमें तैयार
हर आपात स्थिति से निपटने के इंतजाम
सोमवार को राजधानी के विभिन्न इलाकों में सुरक्षा तैयारियां जांची गईं। इस दौरान एक कॉल कर सुरक्षा ऑपरेशन में तैनात कमांडो द्वारा हमलावरों से लोहा लेने की तकनीक की जांच की गई। वहीं, आपात स्थिति में फंसे अतिविशिष्ट लोगों को किस तरह सुरक्षित लेकर सुरक्षित स्थान ले जाना है, इसकी बारीक जांच के लिए डमी का इस्तेमाल कर हेलीकाप्टर के जरिये रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया।(एएमएपी)



