प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटेन पीएम सुनक के बीच हुई बैठक।
प्रधानमंत्री मोदी एवं सुनक के हुए इस आपसी संवाद को लेकर भी इसमें जानकारी दी गई और बताया गया कि वे इस बात पर सहमत हुए कि अतीत पर निर्माण करना और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करना, अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी, व्यापार और नवाचार में आधुनिक साझेदारी को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। प्रधान मंत्री सुनक और प्रधान मंत्री मोदी ने व्यक्तिगत रूप से फिर से मिलने के अवसर का स्वागत किया और ऋषि सुनक ने एक सफल जी20 शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए फिर से प्रधान मंत्री मोदी को बधाई दी। इसके साथ ही उन्होंने कई कांसुलर मुद्दों पर भी चर्चा की।
उल्लेखनीय है कि जी-20 शिखर सम्मेलन से पूर्व भारत और ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते पर जो बातें सामने आईं थीं उससे लग रहा था कि अभी शायद इन दिशा में भारत को अधिक सफलता नहीं मिले1 ब्रिटेन की तरफ से समझौते को लेकर कड़ी टिप्पणियां लगातार आ रही थीं। इस संबंध में समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट भी सामने आई जिसके मुताबिक, सुनक के प्रवक्ता ने कहा था कि ‘प्रधानमंत्री ऐसा मानते हैं कि ब्रिटेन में विदेशों से आने वालों की जो संख्या है, वो काफी ज्यादा है. हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि मुक्त व्यापार समझौते के लिए प्रवासन नीति, जिसमें स्टूडेंट वीजा भी शामिल है, उसमें कोई बदलाव नहीं करेंगे’।
इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने मुक्त व्यापार समझौते को लेकर भारत के सामने एक शर्त रख दी थी। सुनक ने कहा कि ब्रिटेन भारत के साथ तभी मुक्त व्यापार का समझौता करेगा जब इससे पूरे ब्रिटेन को फायदा होगा। गौरतलब है कि भारत ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते को बेहद अहम मानता है क्योंकि इसका लक्ष्य ब्रिटेन का एक बड़ा निर्यातक बनना है। वहीं, ब्रिटेन भी यूरोपीय संघ से निकलने (ब्रेग्जिट) के बाद व्यापार के अपने अवसरों में विस्तार करना चाहता है। इस समझौते से ब्रिटेन को अपनी व्हिस्की, प्रीमियम कारों और कानूनों सेवाओं के लिए भारत में व्यापक पहुंच मिलेगी। दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार, उत्पत्ति के नियम और निवेश संधि जैसे मुद्दों पर अभी भी सहमति होनी बाकी है। भारत को उम्मीद है कि ब्रिटेन के साथ जल्द से जल्द यह समझौता हो जाएगा।
आपको बतादें कि FTA विभिन्न देशों या क्षेत्रीय ब्लॉकों के बीच एक समझौता होता है जो व्यापार बढ़ाने के दृष्टिकोण से आपसी बातचीत के माध्यम से व्यापार बाधाओं को कम करने या उन्हें समाप्त करने का लक्ष्य रखता है। इसमें माल, सेवाएँ, निवेश, बौद्धिक संपदा, प्रतिस्पर्द्धा, सरकारी खरीद और अन्य क्षेत्र शामिल हैं। मुक्त व्यापार की यह अवधारणा व्यापार संरक्षणवाद या आर्थिक अलगाववाद का विलोम है। FTAs को अधिमान्य व्यापार समझौते, व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते और व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।(एएमएपी)