प्रत्येक भारतीय हुआ गौरवान्वित
चंद्रयान की सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर निरंतरता की तरफ भी हमारा ध्यान आकर्षित करती है। जबकि भारत ने आजादी के 13-14 साल बात ही अंतरिक्ष की तरफ देखना शुरू कर दिया था। भारत के आरंभिक अंतरिक्ष कार्यक्रम उसकी वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं के बारे में बताते हैं, जब हम अपने अतीत की तरफ निगाह डालते हैं तो उन उपलब्धियों पर गर्व महसूस होता है, जो देश ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में प्राप्त की हैं। बिरला ने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में हमारी महत्वपूर्ण उपलब्धियों के लिए पूरे देश को बधाई देते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। इन उपलब्धियों से प्रत्येक भारतीय गौरवान्वित हुआ है और वैश्विक स्तर पर हमारे देश का कद बढ़ा है।’
मानवता को समर्पित चंद्रयान की सफलता
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि तेईस अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनकर हमने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। चंद्रयान-3 की मिशन की सफलता हमारे वैज्ञानिकों की अथक प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जो निरंतर ब्रह्मांड के सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचने का प्रयास करते आए हैं। इस सदन के माध्यम से मैं इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए इसरो के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों और भारत के लोगों को बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि भारत विश्व कल्याण के लिए अपनी सफलताओं और उपलब्धियों को दूसरों के साथ साझा करने में विश्वास रखता है। इसलिए हमने चंद्रयान तीन की सफलता को विश्व के वैज्ञानिक समुदाय और पूरी मानवता को समर्पित किया है।
वैज्ञानिक महत्वाकांक्षाओं और प्रयासों के प्रतीक नाम ‘शिवशक्ति प्वाइंट’
उन्होंने प्रज्ञान रोवर द्वारा चंद्रमा पर सल्फर, ऑक्सीजन, अल्युमिनियम, कैल्शियम और आयरन जैसे तत्वों की मौजूदगी सहित अन्य अमूल्य जानकारी भेजने का जिक्र करते हुए कहा कि इससे अंतरिक्ष के बारे में मानव ज्ञान में वृद्धि होगी और भावी अभूतपूर्व खोजों का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा मैं चंद्रमा पर चंद्रयान-2 के पदचिह्नों ‘तिरंगा प्वाइंट’ और चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल को ‘शिवशक्ति प्वाइंट’ का नाम दिये जाने का भी स्वागत करता हूं। ये नाम हमारी सदियों पुरानी विरासत के साथ हमारी वैज्ञानिक महत्वाकांक्षाओं और प्रयासों के प्रतीक हैं।
नये भारत में महिलाओं का योगदान
चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 मिशन में बड़ी संख्या में महिला वैज्ञानिकों के योगदान को रेखांकित करते हुए बिरला ने कहा कि इससे नये भारत में महिलाओं के योगदान का पता चलता है। भारत की अंतरिक्ष परियोजनाओं के तुलनात्मक दृष्टि से किफायती होने का जिक्र करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि इससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमताओं के साथ-साथ भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा का परिचय भी मिलता है। उन्होंने कहा, ”इन उपलब्धियों के फलस्वरूप भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी देशों में अपना स्थान बनाया है।”
चंद्रयान 3 से पहले ISRO से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं
1963- भारत ने थुम्बा से पहले राकेट का प्रक्षेपण किया, जिससे विशेषज्ञों को अनुसंधान के अवसर मिले।
1965- थुम्बा में अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीकी केन्द्र की स्थापना हुई, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की मुख्य उपलब्धियों में से एक है।
1972- अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग की स्थापना हुई, जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रबंधन और नियोजन के लिए जिम्मेदार हैं।
1975- भारत ने अपना पहला उपग्रह आर्यभट्टका का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया, जिससे देश ने अंतरिक्ष में अपने पैरों को जमाया।
1980- रोहिणी उपग्रह का सफल प्रक्षेपण हुआ, जिससे भारत ने स्वयं को उपग्रह की दुनिया में मानवर बनाया।
1990- इन्सैट-1D का सफल प्रक्षेपण कर भारत ने अपनी तकनीकी नौसिखियों की पुनर्निर्माण की उपलब्धि प्राप्त की।
2008- चन्द्रयान-1 के सफल प्रक्षेपण ने भारत को चंद्रमा की ओर पहुंचाया और उसकी अंतरिक्ष अनुसंधान में नई ऊँचाइयों को हासिल करने की क्षमता दिखाई।
2019- चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण ने भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया, जो चंद्रमा के प्रति अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।
2023- सारी दुनिया चंद्रयान-3 की तरफ देख रही है, जो भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।
एक नये युग की शुरूआत
चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग के बाद अब भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी इसरो ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सोलर मिशन ‘आदित्य-एल1’ को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। इसके साथ ही आकाशगंगा में अंतरिक्ष अन्वेषण का एक नया युग शुरू हो गया है। यह सिर्फ चुनिंदा घटनाओं का ब्योरा है जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में हुए हैं। इन उपलब्धियों ने भारत को विश्व भर में अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक मान्यता प्राप्त करने में मदद की है और आगे भी देश को अग्रणी भूमिका में रहने में सहायक सिद्ध हो सकती है।(एएमएपी)



