महिलाएं बुर्का पहनकर घर से बाहर नहीं निकल सकतीं, वरना देना होगा बड़ा जुर्माना।
दरअसल, 2021 में स्विस मतदाताओं ने देश में कुछ मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले नकाब और बुर्के से चेहरे को ढंकने पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके बाद प्रदर्शनकारी स्की मास्क और बंदना पहनकर सड़कों पर उतर आए थे। कई नारीवादी संगठनों ने प्रतिबंध का विरोध किया था। उनका तर्क था कि इस पर वोट देना जनता पर निर्भर है।
बुर्का : बेकार, नस्लवादी और लिंगवादी
पर्पल हेडस्कार्व्स फेमिनिस्ट मुस्लिम वूमेन ग्रुप की प्रवक्ता इनेस एल-शिख ने इस संबंध में बताया कि यह बेकार, नस्लवादी और लिंगवादी है। उन्होंने बताया कि 2021 में स्विस संविधान में महिलाओं को उनकी इच्छानुसार कुछ भी पहनने से रोकने अस्वीकार्य माना गया था।
उन्होंने कहा कि बुर्के पर प्रतिबंध महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि उनके खिलाफ लगाया गया है जिसकी मानसिकता घृणित है । चाहे हम मिनी स्कर्ट में हों, बुर्के में हों या टॉपलेस हों, हम जो चाहते हैं वह खुद के लिए चुनने में सक्षम होना है। निश्चित तौर पर राष्ट्रीय कानून स्विट्जरलैंड को फ्रांस, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड जैसे देशों की कतार में खड़ा कर देगा जिन्होंने इसी तरह के कानून लागू किए हैं। यूरोप के बाहर चीन और श्रीलंका में भी बुर्के पर प्रतिबंध है।
स्विट्जरलैंड में ये व्यवस्था है लागू
स्विट्जरलैंड में प्रांतीय व्यवस्था को कम्यून कहा जाता है। यह अपने निर्णय लागू करने के लिए स्वतंत्र होती हैं। यहाँ की दो कम्यून दक्षिणी तिचिनो और उत्तरी सेंट गैलन में पहले ही बुर्का को प्रतिबंधित कर चुका है। संसद से पास कानून का आशय यह है कि कोई भी महिला या पुरुष चेहरा ढक कर अपनी पहचान न छिपा पाए। हालाँकि नए नियम में कुछ छूट भी दी गई हैं। तुर्की की सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलू के अनुसार यह छूट मजहबी आयोजनों, स्थानीय रीति-रिवाज से जुड़े कार्यक्रमों और थिएटर आदि में किए जाने वाले अभिनय आदि पर लागू होगी।(एएमएपी)