बाड़मेर जिले में चालीस एकड़ में बनने जा रहा है ये बाजरा अनुसंधान संस्‍थान।
बाजरा स्‍वास्‍थ्‍य के लिए है बहुत लाभकारी।
केंद्र की मोदी सरकार दे रही मोटे अनाज को बढ़ावा।

केन्द्र सरकार वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेटस ईयर के रूप में मना रही है। इसके लिए भारतीय मिलेटस जिसे मोटा अनाज भी कहा जाता है। केंद्र सरकार ने इसे श्रीअन्न का भी नाम दिया है। श्रीअन्न में मुख्य रूप से बाजरा, ज्वार, रागी, कुटकी आदि शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और भारत की पहल पर ही संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मोटा अनाज को इंटरनेशनल मिलेटस ईयर के रूप में मनाने और इसे आमजन द्वारा अधिकाधिक अपने भोजन की थाली में शामिल करके बढ़ावा देने को लेकर सहमति बनी है, इसी को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार राजस्‍थान में एक नया बाजरा अनुसंधान संस्थान खोलने जा रही है, जिसकी कि नींव उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राजस्थान में बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी में रखने जा रहे हैं। वे चालीस एकड़ में बनने वाले आईसीएआर के राष्ट्रीय स्तर के इस बाजरा अनुसंधान संस्थान का 27 सितंबर को शिलान्यास करेंगे।केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के अनुसार उनके संसदीय क्षेत्र बाड़मेर के गुड़ामालानी में आईसीएआर के राष्ट्रीय स्तर के बाजरा अनुसंधान संस्थान खोलने की स्वीकृति सहित सारी प्रक्रिया पूरी हो गई है और 27 सितंबर को धनखड़ इसका शिलान्यास करेंगे। इस अवसर पर धनखड़, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भूमिपूजन करके इस संस्थान की नींव रखेंगे।

सर्वाधिक 57 प्रतिशत बाजरे की खेती होती है राजस्थान में

चौधरी ने बताया कि मोटे अनाज अत्यधिक पोषक, अम्ल-रहित, ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होते हैं। इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण खत्म करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होता है क्योंकि इससे प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। वहीं, मोटे अनाज की खेती कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद करती है जो आज एक वैश्विक समस्या है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की ओर से मोटा अनाज या श्रीअन्न को देश दुनिया में बढ़ावा देने के लिए बजट 2022-23 में विभिन्न सराहनीय कदम उठाये गए।

उन्‍होंने बताया कि इसी बजट के दौरान आईसीएआर- आईआईएमआर, हैदराबाद को बाजरा के लिए वैश्विक केंद्र बनाने की घोषणा की गयी। मोटा अनाज या श्रीअन्न में भी बाजरा सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान माना जाता है। इसे सर्वाधिक 4.1 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया जाता है। राजस्थान में देश का सर्वाधिक 57 प्रतिशत बाजरे की खेती होती है।

बाजरा का आटा सेहत के लिए इतना है फायदेमंद

न्यूटिषियन जरनल के अध्ययन के अनुसार भारत वर्ष के तीन साल तक के बच्चे यदि 100 ग्राम बाजरा के आटे का सेवन करते हैं तो वह अपनी प्रतिदिन की आयरन (लौह) की आवश्यकता की पूर्ति कर सकते हैं। जो दो साल के बच्चे हैं वह इसमें कम मात्रा का सेवन करें। बाजरे का आटा विशेषकर भारतीय महिलाओं के लिए खून की कमी को पूरा करने का एक सुलभ साधन है। भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में महिलाएं एवं बच्चों में लौहतत्व (आयरन) एवं मिनरल (खनिज लवण) की कमी पाई जाती है। न्यूटिषियन हारवेस्टप्लस  विभागाध्यक्ष डा. एरिक बोई के अनुसार गेहूं एवं चावल से, बाजरा आयरन एवं जिंक का एक बेहतर श्रोत है।

मधुमेह की रोकथाम से भी मददगार होता है मोटा अनाज

उल्‍लेखनीय है कि मोटे अनाज देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा में बड़े पैमाने पर योगदान करते हैं। इन्हें न्यूट्री-सीरियल्स के रूप में जाना जाता है क्योंकि ये मानव शरीर के सामान्य कामकाज के लिए आवश्यक अधिकांश पोषक तत्व प्रदान करते हैं। मोटे अनाज में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है और यह मधुमेह की रोकथाम से भी मददगार होता है। ये आयरन, जिंक और कैल्शियम जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत हैं। मोटे अनाज वजन कम करने और उच्च रक्तचाप में मददगार होते हैं। इनका आम तौर पर फलियों के साथ सेवन किया जाता है, जो प्रोटीन युक्त होता है।

भारत में पैदा होता है विश्‍व का 41 फीसदी मोटा अनाज

भारत विश्व में मोटे अनाजों के अग्रणी उत्पादकों में एक है और वैश्विक उत्पादन में भारत का अनुमानित हिस्सा करीब 41 फीसदी है। भारत के शीर्ष पांच मोटा अनाज उत्पादक राज्य हैं – राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश। मोटा अनाज निर्यात का हिस्सा कुल उत्पादन का एक प्रतिशत है। अनुमान है कि 2025 तक मोटे अनाज का बाजार वर्तमान 9 बिलियन डॉलर बाजार मूल्य से बढ़कर 12 बिलियन डॉलर हो जाएगा।

भारत जिन प्रमुख देशों को मोटे अनाज का निर्यात करता हैं, उनमें संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, सऊदी अरब, लीबिया, ओमान, मिस्र, ट्यूनीशिया, यमन, ब्रिटेन तथा अमेरिका हैं। भारत द्वारा निर्यात किए जाने वाले मोटे अनाजों में बाजरा, रागी, कनेरी, जवार और कुट्टू शामिल हैं। मोटे अनाज आयात करने वाले प्रमुख देश हैं – इंडोनेशिया, बेल्जियम, जापान, जर्मनी, मेक्सिको, इटली, अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील और नीदरलैंड। वहीं, मोटे अनाज के अंतर्गत आठ फसलें शामिल हैं। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मोटा अनाज की फसल कहा जाता है। ये फसलें आम तौर पर सीमांत और असिंचित भूमि पर उगाई जाती हैं, इसलिए इनकी उपज स्थायी खेती और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करती है। सरकार के प्रोत्साहन और स्वास्थ्य के प्रति लोगों की सजगता बढ़ने से इनकी खरीद बढ़ी है। खरीद बढ़ने से लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ी है।(एएमएपी)