डॉ. मयंक चतुर्वेदी।
दरअसल भारत, अब पहले वाला भारत नहीं रहा है, जिस पर विकसित देश, दबाव बनाते थे, और भारत उनके दबाव को सहन करता हुआ दिखता था। ये नया भारत है, जो किसी को न डराने में, न दबाने में विश्वास करता है और न ही खुद के लिए दबने में इसका किंचित भी भरोसा है। जब जी-20 के मंच से भारत पृथ्वी को एक इकाई मानते हुए विश्व कुटुम्ब की अपनी धारणा को अभिव्यक्तिदेता है, तो वह साथ में यह भी स्पष्ट करता चलता है कि पृथ्वी एक, हम सब एक-दूसरे के परस्पर के सहयोगी हैं, किंतु इसमें किसी को भी यह अधिकार नहीं मिलता कि कोई भी किन्हीं को दबाएगा, डराएगा और अपनी सत्ता स्थापित करेगा, तब भी चुप बैठे रहना है। निश्चित ही जो गलत करेगा उसे फिर वैसे ही परिणाम भुगतने होंगे।
वास्तव में आज का भारत विश्व कूटनीति को ना सिर्फ समझता है, बल्कि वो कूटनीतिक चालों का जवाब, कूटनीतिक चालों से ही देना जानता है। इसीलिए आप देखेंगे कि जो ट्रूडो भारत से बेर लेकर फिर से कनाडा की सत्ता में वापिस आने का स्वप्न देख रहे हैं, उनकी बातों पर कनाडा की जनता ही विश्वास नहीं कर रही। जैसे ही उन्होंने भारत को खालिस्तानियों के हाथों की कठपुतली बन घेरने का प्रयास किया, खुद उनका जनाधार तेजी से अपने ही देश में खिसक गया। इससे जुड़े आंकड़े तो यहां तक कह रहे हैं कि अभी चुनाव हो जाएंगे तो वे बुरी तरह से परास्त होंगे। लेकिन इसके बावजूद भी उनके खालिस्तानी प्रेम के पीछे के राज को हमें समझना होगा। क्योंकि सत्ता में बने रहने एवं बहुत अधिक धन के लिए उनके पिता भी कभी सिखों को समर्थन देते रहे हैं तो आज वे अपने पिता के कदमों का अनुसरण कर रहे हैं। यही कारण है कि खालिस्तानी पिछले 45 वर्षों से कनाडा में पनप रहे हैं।
यह ट्रूडो की दोगली राजनीति ही है कि जो वह कह रहे हैं कि भारत, कनाडा के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी कर रहा है और दूसरा कि कनाडा के नागरिक की हत्या हुई है, इसलिए वो गुस्से में हैं। लेकिन आश्चर्य है कि ट्रूडो जिसे अपना नागरिक बता रहे हैं, उसकी नागरिकता ही संदेह के घेरे में है। कनाडा के अखबार ग्लोबल न्यूज ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की नागरिकता पर संदेह जताया है. उसने लिखा है कि निज्जर की नागरिक की अर्जी तीन बार खारिज की जा चुकी है, अत: ये साफ नहीं कि निज्जर को कनाडा की नागरिकता कब और कैसे मिली?
आज भारत पर आरोप लगाने वाले जस्टिन ट्रूडो को इस बात के लिए गंभीरता दिखानी चाहिए थी कि बीते पांच वर्षों में भारत ने कनाडा से ऐसे आतंकियों और अपराधियों को सौंपने के लिए कई बार अपील की है जोकि भारत में अपराध करके भागे हैं और फर्जी तरीके से कनाडा में जाकर रह रहे हैं । करीब दो दर्जन खालिस्तानी आतंकी और अपराधी आज भी कनाडा में मौजूद हैं और खुले आम अपनी आपराधिक गतिविधियां भी चला रहे हैं। इसमें खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के अलावा सिद्धू मूसेवाला मर्डर का मास्टरमाइंड गोल्डी बराड़, लखबीर सिंह उर्फ लांडा, चरणजीत सिंह, उर्फ रिंकू रंधावा, अर्शदीप सिंह, उर्फ अर्श डल्ला और रमनदीप सिंह उर्फ रमन जज जैसे गैंगस्टर्स को कनाडा ने अपने यहां शरण दे रखी है। इसके अलावा एनआईए की वॉन्टेड लिस्ट में शामिल गुरविंदर सिंह, सनोवर ढिल्लन, सतवीर सिंह वारिंग जैसे बड़े अपराधी भी कनाडा में छिपे हुए हैं। (एएमएपी)