केंद्र सरकार के ‘सर्वश्रेष्ठ ग्राम पर्यटन’ पुरस्कार की दौड़ में इस बार सबसे अधिक आकृष्ट किया है तमिलनाडु के उल्लादा गांव ने। यह गांव पहाड़ियों पर सब्जियों की हरी-भरी खेती करने वाले, महकदार चाय की पत्तियां उगने वाले बागान, युक्लिपटस डिस्टिलरी की इकाई से लैस है। रेलवे लाइन से गुजरने वाले इस गांव का उत्पादन और तरक्की बढ़ाने में नीलगिरी माउंटेन का अहम योगदान है। यह पुरस्कार नई दिल्ली में बुधवार केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की तरफ से दिया जाएगा।

नीलगिरी के जिला पर्यटन अधिकारी का कहना है, “उल्लादा के पुरस्कार जीतने का प्रमुख कारण यह भी है कि यहां परिवहन सुविधा मौजूद है, वहीं ग्रामीणों की परंपरा और संस्कृति ने लोगों को मेहनतकश और उद्यमी बना दिया। इस पुरस्कार में केंद्र सरकार का मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण है।”

यहां के गांव वालों की परंपरा, संस्कृति, खान-पान और जीवनशैली अद्वितीय है। यहां विदेशियों का भी समुदाय वर्षों से निवास करता है। यहां लोगों का मानना है कि उल्लादा गांव के पास वह सबकुछ है जो एक ग्रामीण व्यक्ति को चाहिए। यहां के लोग अगर मेहनती हैं तो अनुभवी भी। गांव की मजबूत कृषि व्यवस्था पर्यटकों को खूब भाता है। यही कारण है कि नीलगिरी में केटी पंचायत के गांव को यह पुरस्कार मिला। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बुधवार को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में ग्राम प्रधान बी माथन के नेतृत्व में उल्लादा के प्रतिनिधियों- कक्कमल्ला, एन विनोथ, मूर्ति और एम राजेश को यह सौंपा जाएगा।

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “पुरस्कार के लिए मूल्यांकन करने के लिए दिल्ली से अधिकारी पिछले साल पांच बार हमारे गांव आए। टीम ने हमारे घरों का निरीक्षण किया और निर्माण की अनूठी बदाग शैली की सराहना की। उन्होंने हमारे खेती के तरीकों को देखा और हमारे मंदिर का भी दौरा किया।” उल्लादा गांव के किसान कक्कमल्ला ने कहा, “हमने नहीं सोचा था कि हम जीतेंगे, लेकिन अब जब हम जीत गए हैं तो यह गर्व की बात है।”

उल्लादा रेलवे ट्रैक के करीब स्थित एकमात्र गांव है। 2006 में माउंटेन ट्रेन की रात्रि सेवा आरंभ हुई थी। यहां का रहन-सहन पर्यटकों को सबसे ज्यादा लुभाता है। कैंपफायर, बडागा व्यंजन और उल्लादा गांव में सब्जियां। सब्जियां यहां सड़कों पर भी ताजा बिकती हुई दिखाई देती है। सबसे बड़ी बात है कि यहां की सब्जियां ऑर्गेनिक हैं क्योंकि यहां रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है। ऑर्गेनिक सब्जियां स्वादिष्ट भी होती हैं और चमकदार भी।

बडागाओं में बसे उल्लादा की अर्थव्यवस्था छोटी जोतों में कृषि और चाय की खेती से संचालित होती है। गाँव में पर्यटन की खोज पिछले वर्षों में भी की गई थी जब दशकों पहले ऊटी और केटी के बीच विशेष पर्वतीय ट्रेन सेवाएँ शुरू की गई थीं। हालाँकि, हाल के दिनों में केंद्र द्वारा प्रचारित पर्यटकों की बढ़ती संख्या के कारण यह गाँव सुर्खियों में रहा है।(एएमएपी)