दूतावास ने ‘मेजबान सरकार से समर्थन की कमी’ का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि उसने मेजबान (भारत) सरकार से महत्वपूर्ण समर्थन की कमी का अनुभव किया है, इससे अपनी जिम्मेदारी को प्रभावी ढंग से पूरा करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न हुई है। मिशन ने कहा, हम भारत में राजनयिक समर्थन की कमी और काबुल में वैध सरकार न होने के कारण अफगानिस्तान और उसके नागरिकों के सर्वोत्तम हितों की सेवा के लिए आवश्यक अपेक्षाओं और आवश्यकताओं को पूरा करने में अपनी कमियों को स्वीकार करते हैं।
बयान में कहा गया है कि राजनयिकों के लिए वीजा नवीनीकरण से लेकर सहयोग के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में समय पर और पर्याप्त समर्थन की कमी के कारण हमारी टीम में निराशा पैदा हुई और नियमित कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने की हमारी क्षमता बाधित हुई। इन परिस्थितियों को देखते हुए हमने मेजबान देश को मिशन के संरक्षक अधिकार के हस्तांतरण तक अफगान नागरिकों के लिए आपातकालीन कांसुलर सेवाओं को छोड़कर मिशन के सभी संचालन को बंद करने का कठिन निर्णय लिया है।

भारत छोड़ चुके अफगानी दूतावास कर्मी
2021 में बंद हो गया था अफगान में भारतीय दूतावास
2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने अफगानिस्तान में अपना दूतावास बंद कर दिया था। हालांकि, भारत सरकार ने अपदस्थ अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा नियुक्त राजदूत और मिशन स्टाफ को भारत में वीजा जारी करने और व्यापार मामलों को संभालने की अनुमति दी थी। लेकिन अब तालिबान ने भारत में अफगान के दूतावास में पूरी तरह कामकाज बंद करने का फैसला किया है। (एएमएपी)



