दरअसल, अल नीनो के दौरान हवाएं काफी कमजोर रहती हैं। खासतौर पर सर्दियों में इनकी गति तीन से पांच किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भी कम होने लगती है। इसीलिए वायु प्रदूषण से बचने के लिए इस बार एनसीआर में लोगों को पहले के मुताबिक अधिक प्रदूषण का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में इस बार दिल्ली एनसीआर के वायु गुणवत्ता आयोग ने चरणबद्ध कार्य योजना (ग्रेडिड एक्शन प्लान) में संशोधन किया है और चार चरण में विभाजित कर दिया है। इस संबंध में एक रिपोर्ट हाल ही में वायु गुणवत्ता आयोग ने केंद्र सरकार को सौंपी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि आयोग ने पुराने प्रावधानों में बदलाव करके इस साल के लिए सख्ती को और बढ़ा दिया है। यह पूर्वानुमान प्रतिदिन होने वाले गुणवत्ता स्तर के बदलाव के आधार पर तैयार होगा। आयोग ने वायु गुणवत्ता की पहली श्रेणी में 201 से 300 को खराब, 301 से 400 को बेहद खराब, 401 से 450 की श्रेणी गंभीर और इससे अधिक की श्रेणी को अधिक गंभीर श्रेणी में रखा है।
प्रदूषण स्तर बढ़ते ही तत्काल कार्रवाई की जा सके, इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय एक उपसमिति भी बनाएगा। इसके अतिरिक्त यह भी स्पष्ट किया है कि जैसे ही प्रदूषण की स्थिति तीसरी श्रेणी में पहुंचती है तो राज्य स्तर पर मुख्य सचिव हालात की सीधी निगरानी करेंगे। इस बार सीधेतौर पर आम जनता को जोड़ने के लिए हर श्रेणी का सिटीजन चार्टर भी वायु गुणवत्ता आयोग ने तैयार किया है। चरणबद्ध कार्य योजना को 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू किया गया था। इसमें पहली बार व्यापक स्तर पर बदलाव किया है।
इसके पहले चरण में ये किए गए बदलाव
धूल कण कम करने के लिए कदम उठाने होंगे और निर्माण व तोड़फोड़ की गतिविधियां रुक जाएंगी। इसके अतिरिक्त स्थानीय निकाय यह भी सुनिश्चत करेंगे कि खुले में कहीं पर कचरा नहीं डाला जाएगा। धूल कण कम करने के लिए पानी छिड़काव की मशीनें प्रयोग होगी और मशीन से सफाई होगी। प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक वाहनों का उपयोग किया जाएगा।
दूसरा चरण के प्रमुख बदलाव
हर दिन केवल मशीनों से सफाई सुनिश्चित करनी होगी। पानी का छिड़काव करना राज्य सरकार के लिए अनिवार्य होगा। होटल, रेस्तरां समेत अन्य जगहों पर कोयले का इस्तेमाल बंद होगा और आपात सेवाओं को छोड़कर अन्य के लिए डीजल का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। पार्किंग के दाम बढ़ाकर निजी वाहनों के उपयोग को कम किया जाएगा। वहीं, तीसरे चरण में सड़क से वाहन कम करने के लिए आम जनता के लिए खास जगहों से सार्वजनिक बस सेवा की पहल जरूरी होगी। सरकारी परियोजनाओं को छोड़कर अन्य सभी गतिविधियों पर निर्माण गिराने का काम रोका जाएगा। ईट के भट्टे, पत्थर तोड़ने वाली मशीनें और खुदाई पर भी पूरे एनसीआर में रोक होगी।
चौथा चरण की ये है विशेषता
इसके अंतर्गत जरूरी सामान लेकर अन्य राज्यों से राष्ट्रीय राजधानी आने वाले ट्रक के अतिरिक्त अन्य ट्रक दिल्ली एनसीआर में प्रवेश नहीं करेंगे। इसी पर अनिवार्य सेवाओं के अतिरिक्त उपयोग किए जा रहे डीजल वाहन इस्तेमाल नहीं किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त जहां पर प्राकृतिक गैस (पीएनजी) की सुविधा नहीं है, वहां सभी औद्योगिक गतिविधियां बंद हो जाएंगी। राज्य सरकार इस स्थिति में 50 फीसद कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति दे सकती है और केंद्र सरकार के कर्मचारी घर से ही अपना काम करेंगे।(एएमएपी)