अब तक मिलता था 33 प्रतिशत आरक्षण
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में अभी तक सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलता था । इस आरक्षण का प्रावधान नियम 1995 में किया गया था । वहीं, शिक्षक भर्ती में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है, जबकि पुलिस विभाग में ये 30 फीसदी है। अन्य बाकी सरकारी पदों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत के हिसाब से आरक्षण दिया जाता है।
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार ने इसे महिलाओं को आत्मनिभर और सशक्त बनाने की दिशा में सकारात्मक कदम करार दिया है। सरकारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, “किसी भी सेवा नियम में किसी बात के बावजूद, सीधी भर्ती के चरण में महिलाओं के पक्ष में राज्य के अधीन सेवा (वन विभाग को छोड़कर) में सभी पदों का 35 प्रतिशत महिलाओं के आरक्षण दिया जाएगा. उक्त आरक्षण क्षैतिज और प्रभाग-वार (हॉरिजेन्टल एण्ड कम्पार्टमेंट-वाइज) होगा।”
शिक्षक के रूप में मिलेगा महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण
इस संबंध में आपको बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य पुलिस और अन्य सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण और टीचिंग पदों पर महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है। वहीं, स्थानीय निकायों में एल्डरमैन समेत अन्य पदों पर भी महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा मध्य प्रदेश सरकार ने लड़कियों की बेहतर शिक्षा के लिए अपनी ओर से फीस वहन करने की बात कही है।
गौरतलब है कि पिछले महीने ही संसद के विशेष सत्र में मोदी सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाया था। जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद कानून बना दिया गया है। ये आरक्षण विधेयक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ के नाम से है, जो लोकसभा के साथ-साथ राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण देता है। राज्यसभा में बिल के समर्थन में 214 वोट डाले गए, जबकि विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा. इससे पहले लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास हो गया था।
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आपको बता दें कि महिला आरक्षण बिल को अभी भी लंबा सफर तय करना है। जनगणना और परमीसन के बाद महिला आरक्षण विधेयक साल 2029 के लोकसभा चुनाव तक ही लागू हो सकेगा। 128वें संविधान संशोधन विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को अब अधिकांश राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता होगी। इसे जनगणना के आधार पर संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा। सरकार ने कहा है कि इस प्रक्रिया को अगले साल शुरू किया जाएगा। देश के 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से करीब आधी महिलाएं हैं, लेकिन संसद में सिर्फ 15 प्रतिशत और राज्य विधानसभाओं में उनकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है । महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) और राज्य विधान परिषदों में लागू नहीं होगा। (एएमएपी)