इसके पीछे बताया ये बड़ा कारण जिम्‍मेदार

रूस अब व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) का अनुमोदन रद्द करने जा रहा है, जिसके कि साफ संकेत उसने दिए हैं। उसने इस संबंध में साफ कहा है कि वह इस दिशा में तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है और जल्‍द ही इसके परिणाम सभी को दिखाई देंगे। यदि रूस इससे पीछे हटता है तो भविष्‍य में इसके परिणाम कितने भयानक हो सकते हैं, वह अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता, क्‍योंकि यह व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी)  एटमी धमाके पर पाबंदी लगाती है।

रूस के सीटीबीटी से मुकरते ही विश्‍व पर खड़ा हो जाएगा एटमी बम गिराए जाने का संकट

दरअसल, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा एटमी परीक्षण फिर शुरू करने की संभावना जताने के बाद रूस ने यह संकेत दिया है।  वहीं, क्रेमलिन (रूसी संसद) अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोदिन ने कहा, दुनिया की स्थिति बदल गई है और वाशिंगटन व ब्रुसेल्स ने हमारे विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया है। जिसको देखते हुए हमें यह सख्‍त कदम उठाना होगा।

उल्‍लेखनीय है कि वहीं, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी कह चुके हैं कि रूस के परमाणु सिद्धांत को आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं है, लेकिन वह अभी यह कहने के लिए तैयार नहीं हैं कि रूस को परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की आवश्यकता है या नहीं। पुतिन के कुछ घंटों बाद ही रूसी शीर्ष नेता और संसद अध्यक्ष वोलोदिन ने कहा कि अब रूस को सीटीबीटी की पुष्टि को रद्द करने पर विचार करना है, क्योंकि अमेरिका ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की है। पुतिन और वोलोदिन से संकेत मिलता है कि रूस सीटीबीटी के समर्थन को रद्द करने का मन बना चुका है, जो एटमी धमाके पर पाबंदी लगाता है।

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अमेरिका-रूस तनाम पूरी दुनिया के लिए है घातक

मौजूदा समय में रूस और अमेरिका के बीच तनाव 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के बाद से किसी भी दौर से अधिक रूप में देखी जा सकती है। ऐसे में रूस, अमेरिका या दोनों देशों के द्वारा परमाणु परीक्षणों को फिर से शुरू करना पूरी दुनिया को अत्यधिक अस्थिर करने वाला होगा। रूस को सोवियत संघ के परमाणु हथियार विरासत में मिले हैं। पुराने सोवियत संघ से मिले इन्हीं हथियारों की बदौलत रूस के पास दुनिया का एटमी हथियारों का सबसे बड़ा जखीरा है। ऐसे में यह तनाव वैश्विक संकट खड़ा कर सकता है।

अमेरिका पुराने हो चुके परमाणु हथियारों का करेगा परीक्षण

गौरतलब है कि अमेरिका में परमाणु हथियारों का भंडार है और ये हथियार कई साल पुराने हैं इसलिए अब अगले साल नेवादा के रेगिस्तान में इनके परीक्षण की तैयारी की जा रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन हथियारों के भूमिगत परीक्षण से कोई भी भयावह अनहोनी होने का जोखिम है। राष्ट्रीय रक्षा लैब के विशेषज्ञ 1992 में भूमिगत परीक्षण रोकने के बाद से एटमी हथियारों की विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं कर पाए हैं। लेकिन ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने साफ घोषणा कर दी है कि वे नियंत्रित तरीके से और बिना बड़ा एटमी धमाका किए, इन हथियारों का परीक्षण करने जा रहे हैं। लेकिन इसमें जोखिम फिर भी बराबर से बना हुआ है, जिससे कि फिलहाल इंकार नहीं किया जा सकता है ।

व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि के बाद भी हुए हैं ये अहम  परमाणु परीक्षण

आपको बतादें कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 1945 और 1996 की व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि के बीच पांच दशकों में, 2,000 से अधिक परमाणु परीक्षण किए गए हैं । इनमें से 1,032 अमेरिका ने और 715 सोवियत संघ ने किए। सोवियत संघ ने अपने विघटन से पूर्व आखिरी बार 1990 में परीक्षण किया, जबकि अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में परीक्षण किया था। सीटीबीटी के बाद से अब तक 10 परमाणु परीक्षण हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत ने 1998 में दो, पाकिस्तान ने भी 1998 में दो और उत्तर कोरिया ने 2006, 2009, 2013, 2016 (दो बार) और 2017 में परीक्षण किए।(एएमएपी)