इजरायल पर शनिवार तड़के गाजा पट्टी से हजारों रॉकेट दागे गए और इसी के साथ ही युद्ध की शुरुआत हो गई, क्योंकि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जनता को यह स्पष्ट कर दिया कि हम युद्ध में हैं।
इजरायल और फलस्तीन के बीच विवाद कोई नया नहीं है। साल 2021 में भी दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात पनपे थे। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी। ठीक ऐसा ही दृश्य एक बार फिर से शनिवार तड़के देखने को मिला। हमास ने गाजा पट्टी से हजारों रॉकेट दागे, वहीं इजरायल ने भी जवाबी कार्रवाई की। आइये ऐसे में जानते हैं कि इजरायल-फलस्तीन विवाद क्या है।
क्या है विवाद?
इजरायल और फलस्तीन के बीच विवाद कोई नया नहीं है। सबसे पहले हम इसकी भूगोलीय स्थिति के बारे में समझते हैं। दरअसल, इजरायल के पूर्वी और दक्षिण-पश्चिम हिस्से में दो अलग-अलग क्षेत्र मौजूद हैं। पूर्वी हिस्से में वेस्ट बैंक और दक्षिण-पश्चिम हिस्से में एक पट्टी है, जिसे गाजा पट्टी के तौर पर जाना जाता है। वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी को ही फलस्तीन माना जाता है। हालांकि, वेस्ट बैंक में फलस्तीन नेशनल अथॉरिटी सरकार चलाती है और गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा है, जो इजरायल विरोधी एक चरमपंथी संगठन है।
इजरायल और फलस्तीन के बीच विवाद कोई नया नहीं है। साल 2021 में भी दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात पनपे थे। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी। ठीक ऐसा ही दृश्य एक बार फिर से शनिवार तड़के देखने को मिला। हमास ने गाजा पट्टी से हजारों रॉकेट दागे, वहीं इजरायल ने भी जवाबी कार्रवाई की। आइये ऐसे में जानते हैं कि इजरायल-फलस्तीन विवाद क्या है।
क्या है विवाद?
इजरायल और फलस्तीन के बीच विवाद कोई नया नहीं है। सबसे पहले हम इसकी भूगोलीय स्थिति के बारे में समझते हैं। दरअसल, इजरायल के पूर्वी और दक्षिण-पश्चिम हिस्से में दो अलग-अलग क्षेत्र मौजूद हैं। पूर्वी हिस्से में वेस्ट बैंक और दक्षिण-पश्चिम हिस्से में एक पट्टी है, जिसे गाजा पट्टी के तौर पर जाना जाता है। वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी को ही फलस्तीन माना जाता है। हालांकि, वेस्ट बैंक में फलस्तीन नेशनल अथॉरिटी सरकार चलाती है और गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा है, जो इजरायल विरोधी एक चरमपंथी संगठन है।
इजरायल को देश नहीं मानता हमास
भले ही इजरायल के प्रधानमंत्री यह कह रहे हो कि हम युद्ध में हैं और हमास को अंजाम भुगतने की चेतावनी दे रहे हो, लेकिन हमास को तो जरा सा भी फर्क नहीं पड़ रहा और वह लगातार गोलीबारी कर रहा है। दरअसल, हमास इजरायल को देश के तौर पर देखता ही नहीं है और उसे निशाना बनाता रहता है, जबकि इजरायल और अमेरिका हमास को एक चरमपंथी संगठन मानते हैं। साथ ही हमास को नेस्तनाबूत करने की मंशा रखते हैं।
फलस्तीन अरबी और बहुसंख्य मुस्लिम बहुल इलाका है, जहां की आबादी तकरीबन 20 लाख है। साल 1947 के बाद संयुक्त राष्ट्र ने फलस्तीन को यहूदी और अरब राज्य में विभाजित करने के लिए मतदान किया था, जिसके बाद से छह मार्च, 1948 को अरब और यहूदियों के बीच पहला संघर्ष हुआ और तब से लेकर आज तक फलस्तीन और इजरायल के बीच संघर्ष जारी है।
यह विवाद तकरीबन 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। प्रथम विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य को हराने के बाद ब्रिटेन ने पश्चिम एशिया के इस हिस्से पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था, जिसे फलस्तीन के नाम से जाना जाता है। यह वो दौर था जब इजरायल की स्थापना नहीं हुई थी और वेस्ट लैंड से लेकर गाजा पट्टी तक का इलाका फलस्तीन का हिस्सा था। यहां पर यहूदी और अरब रहा करते थे। धीरे-धीरे यहूदियों और अरब लोगों के बीच में अपने लोगों के लिए देश बनाने की मांग उठने लगी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी ब्रिटेन से यहूदी लोगों के लिए फलस्तीन को स्थापित करने की बात कही।
दूसरी ओर बहुसंख्यक अरब अपने लोगों के लिए फलस्तीन नाम से एक नया देश बनाने की मांग कर रहे थे। यही से शुरुआत इस विवाद का जन्म हुआ, जो बदस्तूर जारी है। फलस्तीन और इजरायल के बीच का विवाद तो अंग्रेज भी नहीं सुलझा पाए थे। इसी वजह से उन्होंने 1948 में फलस्तीन को उसी के हाल पर छोड़ दिया और वहां से चले गए। यहूदी नेताओं ने मिलकर इजरायल की स्थापना का एलान किया। जिसका फलस्तीनियों ने जमकर विरोध किया और पड़ोसी अरब देशों ने तो हमला भी बोल दिया था।
युद्ध के बीच कई फलस्तीनियों को अपना घर छोड़ना पड़ा और फलस्तीन के ज्यादातर हिस्से पर इजरायल ने कब्जा कर लिया था। युद्ध के बाद जार्डन ने वेस्ट बैंक और मिस्र ने गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया, जबकि यरूशलम के पश्चिमी
फलस्तीन अरबी और बहुसंख्य मुस्लिम बहुल इलाका है, जहां की आबादी तकरीबन 20 लाख है। साल 1947 के बाद संयुक्त राष्ट्र ने फलस्तीन को यहूदी और अरब राज्य में विभाजित करने के लिए मतदान किया था, जिसके बाद से छह मार्च, 1948 को अरब और यहूदियों के बीच पहला संघर्ष हुआ और तब से लेकर आज तक फलस्तीन और इजरायल के बीच संघर्ष जारी है।
यह विवाद तकरीबन 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। प्रथम विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य को हराने के बाद ब्रिटेन ने पश्चिम एशिया के इस हिस्से पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था, जिसे फलस्तीन के नाम से जाना जाता है। यह वो दौर था जब इजरायल की स्थापना नहीं हुई थी और वेस्ट लैंड से लेकर गाजा पट्टी तक का इलाका फलस्तीन का हिस्सा था। यहां पर यहूदी और अरब रहा करते थे। धीरे-धीरे यहूदियों और अरब लोगों के बीच में अपने लोगों के लिए देश बनाने की मांग उठने लगी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी ब्रिटेन से यहूदी लोगों के लिए फलस्तीन को स्थापित करने की बात कही।
दूसरी ओर बहुसंख्यक अरब अपने लोगों के लिए फलस्तीन नाम से एक नया देश बनाने की मांग कर रहे थे। यही से शुरुआत इस विवाद का जन्म हुआ, जो बदस्तूर जारी है। फलस्तीन और इजरायल के बीच का विवाद तो अंग्रेज भी नहीं सुलझा पाए थे। इसी वजह से उन्होंने 1948 में फलस्तीन को उसी के हाल पर छोड़ दिया और वहां से चले गए। यहूदी नेताओं ने मिलकर इजरायल की स्थापना का एलान किया। जिसका फलस्तीनियों ने जमकर विरोध किया और पड़ोसी अरब देशों ने तो हमला भी बोल दिया था।
युद्ध के बीच कई फलस्तीनियों को अपना घर छोड़ना पड़ा और फलस्तीन के ज्यादातर हिस्से पर इजरायल ने कब्जा कर लिया था। युद्ध के बाद जार्डन ने वेस्ट बैंक और मिस्र ने गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया, जबकि यरूशलम के पश्चिमी
हिस्से पर इजरायल का नियंत्रण स्थापित हो गया था।
1967 का छह दिवसीय युद्ध
1967 में हुए युद्ध में सीरिया ने गोलान हाइट्स में स्थित इजरायली गांवों पर बमबारी तेज कर दी थी, जबकि मिस्र ने सिनाई सीमा के पास अपनी सेनाएं जुटाईं और इजरायली जहाजों को अकाबा की खाड़ी का इस्तेमाल नहीं करने दिया। इजरायल ने ऐसे में मिस्र पर अचानक हवाई हमला किया और मिस्र की वायु सेना को नेस्तनाबूत कर दिया। इजरायली सेना ने मिस्र, सीरिया और जॉर्डन की सेना मात दे दी और सिनाई प्रायद्वीप, गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक और पूर्वी यरूशलम पर कब्जा कर लिया।
1973 योम किपुर युद्ध
युद्ध के निशां कभी मिटते नहीं है। तभी तो 1973 में मिस्र और सीरिया ने यहूदी कैलेंडर के सबसे पवित्र दिन योम किपुर पर इजरायल पर अचानक हमला कर दिया। शुरुआत में इजरायली सेना को काफी ज्यादा मशक्कत करनी पड़ी और भारी
नुकसान भी हुआ, लेकिन इजरायली सेना ने अंतत: अरब सेनाओं को पीछे धकेल दिया।
1979 मिस्र-इजरायल शांति संधि
1979 में मिस्र और इजरायल को यह समझ में आ गया कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। ऐसे में दोनों देशों के बीच में एक शांति संधि हुई और इस संधि के साथ ही 30 वर्षों से चली आ रही युद्ध की स्थिति समाप्त हो गई। इस संधि की शर्तों के मुताबिक, इजरायल ने सिनाई प्रायद्वीप को अपने कब्जे से मुक्त करते हुए मिस्र को लौटा दिया। साथ ही मिस्र ने इजरायल के अस्तित्व को मान्यता दे दी।
1982 लेबनान युद्ध
इजरायल ने फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) को समाप्त करने के उद्देश्य के साथ ही लेबनान पर धावा बोल दिया और लेबनान की राजधानी बेरूत पर कब्जा कर लिया। इजरायली सेना के बेरूत पर कब्जे के साथ ही पीएलओ को शहर खाली करना पड़ा। इसके बाद इजरायल ने लेबनान से पीछे हटने का फैसला किया और युद्ध समाप्त हो गया।
2006 लेबनान युद्ध
हिज्बुल्लाह ने इजरायल पर रॉकेट हमला कर दिया। साथ ही इजरायली सेना के दो सैनिकों को भी कब्जे में ले लिया था। दरअसल, हिज्बुल्लाह लेबनान का एक शिया राजनीतिक और अर्द्धसैनिक संगठन है। सैनिकों को छुड़ाने के लिए इजरायल ने दक्षिणी लेबनान पर हमला कर दिया। 34 दिन तक चले इस युद्ध में तकरीबन हजार लेबनानी मारे गए, जबकि अन्य दस लाख लेबनानी विस्थापित हुए थे। हालांकि, युद्धविराम के साथ इजरायली सेना पीछे हट जाती है।
सनद रहे कि 2006 में हमास ने गाजा पट्टी पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया और 2007 के अंत में इजरायल ने गाजा पट्टी पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए। इजरायल के प्रतिबंध से गाजा पट्टी में रहने वाले फलस्तीनी काफी नाराज हुए और उन्होंने इसका विरोध भी किया, लेकिन इजरायल ने जनवरी 2008 में हुए हमलों के बाद गाजा पर और प्रतिबंध लगा दिए। इजरायल-फलस्तीन विवाद दुनिया के सबसे जटिल और संवेदनशील मुद्दों में से एक है। इस विवाद की वजह से दोनों पक्षों को हिंसा, विस्थापन और पीड़ा का सामना करना पड़ा। इजरायली और फलस्तीन दोनों के इस भूमि से गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं और दोनों की ही अपनी शिकायतें भी हैं।
सनद रहे कि 2006 में हमास ने गाजा पट्टी पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया और 2007 के अंत में इजरायल ने गाजा पट्टी पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए। इजरायल के प्रतिबंध से गाजा पट्टी में रहने वाले फलस्तीनी काफी नाराज हुए और उन्होंने इसका विरोध भी किया, लेकिन इजरायल ने जनवरी 2008 में हुए हमलों के बाद गाजा पर और प्रतिबंध लगा दिए। इजरायल-फलस्तीन विवाद दुनिया के सबसे जटिल और संवेदनशील मुद्दों में से एक है। इस विवाद की वजह से दोनों पक्षों को हिंसा, विस्थापन और पीड़ा का सामना करना पड़ा। इजरायली और फलस्तीन दोनों के इस भूमि से गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं और दोनों की ही अपनी शिकायतें भी हैं।
गाजा पट्टी के ठिकानों को बनाया निशाना
इजरायली सेना ने गाजा पट्टी के कई ठिकानों को निशाना बनाकर हमला किया। हमास द्वारा इजरायल के खिलाफ एक नए सैन्य अभियान के एलान के बाद यरूशलम में हवाई हमले के लिए सतर्क करने वाले सायरनों की आवाज सुनाई दे रही है। इजरायल ने रॉकेल रोधी प्रणाली को एक्टिवेट कर दिया है। इससे पहले हमास ने दावा किया कि उसने इजरायल में 5,000 से अधिक रॉकेट दागे हैं।(एएमएपी)