इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को दोषमुक्त कर दिया है। कई दिनों तक चली बहस के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। बता दें कि निचली अदालत ने उन्‍हें फांसी की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ उन्‍होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की अदालत ने यह फैसला सुनाया।

याचिकाओं पर चली लंबी सुनवाई

मोनिंदर सिंह पंढेर की वकील के मुताबिक सुरेंद्र कोली को 14 मामलों में और मोनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। दोनों आरोपियों ने खुद को सजा-ए-मौत दिए जाने के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्‍होंने कोर्ट में कहा था कि इन घटनाओं का कोई चश्‍मद्दीद गवाह नहीं है। सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्‍य साक्ष्‍यों के आधार पर उन्‍हें फांसी की सजा सुनाई गई है। दोनों की याचिकाओं पर लंबी सुनवाई चली। अंतत: सोमवार को हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली और पंढेर को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है। इसके साथ ही उन्‍हें इन मामलों में मिली फांसी की सजा रद्द कर दी गई है। स्टिस अश्‍वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एसए हुसैन रिजवी की बेंच ने कोली और पंढेर के पक्ष में ये फैसला सुनाया है।

वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता मनीषा भंडारी ने कहा कि पंढेर के खिलाफ कुल छह केस थे जिनमें से एक में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले ही बरी कर दिया था। बाकी तीन में निचली अदालत से बरी हो गए थे। बचे दो मामलों में फांसी की सजा थी। उनमें सोमवार को उन्‍हें बरी कर दिया गया। अब इनके खिलाफ कोई सजा लंबित नहीं है। उम्‍मीद है कि जल्‍द से जल्‍द वे बाहर आ जाएंगे। अधिवक्‍ता ने कहा कि इस मामले में पूरी जांच प्रक्रिया सवालों के घेरे में है।

कोली ने दर्जनों लड़कियों की निर्मम हत्या और रेप के आरोप के एक दर्जन से अधिक मामलों में फांसी की सजा के खिलाफ अपील दाखिल की थी। पंढेर को भी दो मामलों में फांसी की सजा मिली थी। नोएडा स्थित पंढेर की कोठी में निठारी गांव की लड़कियों को लाकर हत्या की गई थी।

सीबीआई अदालत ने सुनाई थी दोनों को फांसी की सजा

2005 से 2006 के बीच हुए इस कांड ने मानवता को शर्मसार कर दिया था। नोएडा के सेक्टर 30 स्थित ग्राम निठारी में कोठी नंबर डी 5 में रहने वाले उद्योगपति मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोहली पर महिलाओं और मासूम बच्चियों के साथ रेप के बाद उनकी हत्या कर शव के टुकड़े-टुकड़े करके नाले में फेंक देने के आरोप लगे थे। बताया गया था कि कई को कोठी में ही दफन कर दिया गया था। सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी। बाद में सीबीआई अदालत ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई।
खुद को निर्दोष बताते हुए की थी याचिका दायर
कोली और पंढेर 2006 से दोनों गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं। उन्‍होंने सीबीआई के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था। हाईकोर्ट ने दोनों की याचिका को स्वीकार कर लिया था। इनकी अपीलों पर लंबी बहस के बाद खंडपीठ ने सितम्‍बर में फैसला सुरक्षि‍त कर लिया था। इसमें आरोप साबित न हो पाने के कारण दोनों को निर्दोष करार देते हुए फांसी की सजा रद्द कर दी गई है।  (एएमएपी)