अमेरिका ने इजराइल को फिलहाल गाजा आक्रमण में देरी करने कहा है, जिसके कई कारण हैं. सबसे पहले, अमेरिका बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत को आगे बढ़ाना चाहता है. हमास द्वारा दो महिलाओं की रिहाई के बाद बाकी बंधकों की रिहाई की अमेरिका को उम्मीद है. बाइडेन प्रशासन का मानना है कि आगे की बातचीत से बाकी बंधकों की सुरक्षित वापसी हो सकती है।
बिगड़ते मानवीय संकट से अमेरिका चिंतित
Hamas doesn’t care who stands in their way of annihilating Israel—even when it’s the people of Gaza: pic.twitter.com/jLrphrrAee
— Israel Defense Forces (@IDF) October 23, 2023
हमास के खात्मे के समर्थन में अमेरिका लेकिन क्या है प्लान
अमेरिका की इजराइल को सख्त सलाह
खाड़ी देशों पर मध्यस्थता की जिम्मेदारी
डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में मौजूद थिंक टैंक चैथम हाउस के मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका प्रोग्राम की डायरेक्टर सनम वाकील का कहना है कि मध्य पूर्व में इस बात का डर बना हुआ है कि युद्ध की वजह से बाकी देश भी चपेट में आ सकते हैं. उनका कहना है कि खाड़ी देशों को लगता है कि हिंसा से उनकी घरेलू सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है. युद्ध के चलते फलस्तीनी लोग इजरायल छोड़कर पड़ोसी मुल्क जॉर्डन, मिस्र, लेबनान और यहां तक कि ईरान भी जा सकते हैं।
अमेरिका, यूरोपीय देश, रूस और चीन इजरायल-हमास के बीच मध्यस्थता के लिए आगे आए हैं. लेकिन वाकील का कहना है कि इसकी जिम्मेदारी खाड़ी देशों को उठानी चाहिए. उन्होंने कहा कि अमेरिका, चीन समेत अन्य मुल्कों का कदम महत्वपूर्ण होगा, मगर शांति के लिए अगुवाई खाड़ी देशों को करनी चाहिए. चीन पहले ही सऊदी अरब और ईरान को करीब ला चुका है. ऐसे में वह अब यहां पर भी मदद करना चाहता है. लेकिन हमास संग बात करना थोड़ा कठिन होने वाला है।
खाड़ी के कौन से देश करवा सकते हैं मध्यस्थता?
मध्यस्थता के लिए सबसे पहला नाम मिस्र का आता है, मगर वह थोड़ा अनिच्छुक नजर आ रहा है. मिस्र ने गाजा तक मदद के लिए मानवीय कॉरिडोर बनाने की बात भी कही है. लेकिन मिस्र नहीं चाहता है कि गाजा से लोग उसके यहां आएं. वह गाजा के साथ अपने राफाह क्रॉसिंग को खोलने को इच्छुक भी है, मगर उसे फलस्तीनी शरणार्थियों का डर सता रहा है. मिस्र को हमास से भी खतरा है. हालांकि, इन सबके बाद भी गाजा का पड़ोसी होने के बाद उसे शांति की पहल करनी चाहिए।
दूसरा नाम जॉर्डन का है, जो पहले भी फलस्तीनी लोगों के हक की आवाज उठा चुका है. जॉर्डन और इजरायल के बीच शांति समझौता भी है. लेकिन हमास के साथ उसके ज्यादा संबंध नहीं हैं. जॉर्डन ने दो-देश वाला सुझाव भी दिया है. जॉर्डन के इजरायल के साथ-साथ अमेरिका से भी अच्छे संबंध है. वह फलस्तीनी लोगों का हितैषी भी माना जाता है, क्योंकि उसने हाल ही में गाजा के लिए 4 मिलियन यूरो का दान दिया है. इसलिए वह इजरायल-हमास के बीच मध्यस्थता करवा सकता है।
अगला नंबर कतर का है, जिसके हमास के साथ करीबी रिश्ते हैं. कतर में हमास का ऑफिस भी है. कतर युद्धविराम और इजरायल की जेलों में बंद 36 फलस्तीनी महिलाओं और बच्चों के बदले हमास के जरिए अगवा किए गए लोगों की अदला-बदली पर बातचीत की कोशिश कर रहा है. कतर ने पहले भी इजरायल और हमास के बीच मध्यस्थता करवाने में मदद की है. वह ईरान और अमेरिका के बीच भी चर्चा करवाने का काम कर चुका है. ऐसे में उस पर भी सबकी निगाहें हैं।
तुर्की को भी ऐसे मुल्क के तौर पर देखा जा रहा है, जो इजरायल-हमास के बीच मध्यस्थता करवा सकता है. हमास के ऑफिस भी तुर्की में हैं. वह फलस्तीनी नेताओं के साथ भी चर्चा के लिए उन्हें इंस्ताबुल बुलाता रहता है. तुर्की ने इस हफ्ते हमास और इजरायल के बीच मध्यस्थता करवाने का ऑफर भी दिया. तुर्की और इजरायल के बीच रिश्ते भी सुधर गए हैं. यही वजह है कि तुर्की वो संभावित देश हो सकता है, जो गाजा को शांति की ओर लेकर जाए। (एएमएपी)