पाकिस्तान ने एक बार फिर संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कश्मीर राग अलाप अपनी बेइज्जती कराइ है. दरअसल, पाकिस्‍तान ने इजरायल और फलस्तीन में जारी जंग के बीच यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाया, जिसपर भारत ने पाकितान की बोलती बंद कर दी। यूएन में पाकिस्‍तान के स्‍थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा कि कश्मीर के लोगों का हाल भी मौजूदा समय में फलस्तीनियों जैसा है. जिस तरह से इजरायल, फलस्तीन में लोगों की आजादी को दबा रहा है, ठीक उसी तरह से भारत भी कश्‍मीर में कश्‍मीरियों की आवाज सुनने से इनकार कर रहा है. जिसपर भारतीय अधिकारी ने कहा कि भारत हमेशा से इजरायल फलस्तीन मसले का शांतिपूर्ण समाधान का पक्षधर रहा है।

पाकिस्तान को नहीं मिलेगा जवाब’

रवींद्र ने कहा, ‘एक प्रतिनिधि ने आदतन उन केंद्रशासित प्रदेशों का जिक्र किया जो हमारे देश का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा हैं.मैं इन टिप्पणियों को उतनी ही तवज्जो दूंगा, जितनी उन्हें दी जानी चाहिए और समय को ध्यान में रखते हुए इसका जवाब नहीं दूंगा.’ इससे पहले, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि सभी तरह के आतंकवादी कृत्य गैर-कानूनी और अनुचित हैं, चाहे उन्हें लश्कर-ए-तैयबा ने मुंबई में लोगों को निशाना बनाकर अंजाम दिया हो या हमास ने किबुत्ज बेरी में लोगों को निशाना बनाया हो।

‘आतंकवाद के सभी कृत्य गैरकानूनी और अनुचित’

ब्लिंकन ने कहा, ‘हमें अपनी रक्षा करने और ऐसी भयावहता की पुनरावृत्ति रोकने के किसी भी राष्ट्र के अधिकार की पुष्टि करनी चाहिए. इस परिषद का कोई भी सदस्य, इस संपूर्ण निकाय का कोई भी राष्ट्र अपने लोगों की हत्या बर्दाश्त नहीं कर सकता और न ही करेगा.’उन्होंने कहा, ‘जैसा कि इस परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बार-बार कहा है कि आतंकवाद के सभी कृत्य गैरकानूनी और अनुचित हैं. ये गैरकानूनी और अनुचित हैं, फिर चाहे नैरोबी में लोगों को निशाना बनाया गया हो या बाली में… ये हमले इस्तांबुल में हुए हों या मुंबई में, न्यूयॉर्क में हुए हों या किबुत्ज बेरी में.’

उन्होंने कहा, ‘ये गैरकानूनी और अनुचित हैं, चाहे उन्हें आईएसआईएस ने अंजाम दिया हो या बोको हराम, अल शबाब, लश्कर-ए-तैयबा या हमास ने अंजाम दिया हो.’ऐसा प्रतीत होता है कि ब्लिंकन ने अपनी टिप्पणी में पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा मुंबई में 26 नवंबर 2008 में किए गए आतंकवादी हमलों का जिक्र किया।

भारत ने की पाकिस्तान की बोलती बंद

इजरायल फलस्तीन संघर्ष पर प्रतिक्रिया देने के तुरंत बाद भारतीय अधिकारी ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि ‘मैं खत्‍म करूं उससे पहले मैं उस टिप्‍पणी का जिक्र करना चाहता हूं जो एक प्रतिनिधिमंडल की तरफ से बिल्‍कुल किसी पुरानी आदत की तरह था. इसमें उन संघ शासित प्रदेशों का जिक्र था जो मेरे देश का आतंरिक और अभिन्‍न अंग हैं. मैं ऐसी टिप्‍पणियों को अवमानना का प्रयास मानता हूं और इन पर जवाब देकर इन्‍हें कोई सम्‍मान नहीं देना चाहता हूं।

अनवारुल हक काकर ने भी अलापा कश्मीर राग

गौरतलब है कि महीने भर पहले पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने भाषण के दौरान कश्मीर का राग अलापा था, तब भी भारत ने  पाकिस्तान को जमकर लताड़ा था. तब भारत ने करारा हमला करते हुए कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे में जो भारतीय क्षेत्र हैं उन्हें खाली करना चाहिए और सीमा पार आतंकवाद को रोकना चाहिए. साथ ही आरोप लगाया था कि पाकिस्तान सबसे बड़ी संख्या में आतंकियों को पनाह देता है. अभी तक इस देश ने 26/11 के आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।

 

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‘मेरे देश का अभिन्‍न अंग’

भारत के अधिकारी ने यूएनएससी में कहा कि भारत, इजरायल फिलिस्‍तीन मसले का शांतिपूर्ण और दीर्घकालिक समाधान चाहता है। इसके बाद उन्‍होंने कहा, ‘मैं खत्‍म करूं उससे पहले मैं उस टिप्‍पणी का जिक्र करना चाहता हूं जो एक प्रतिन‍िधिमंडल की तरफ से बिल्‍कुल किसी पुरानी आदत की तरह था। इसमें उन संघ शासित प्रदेशों का जिक्र था जो मेरे देश का आतंरिक और अभिन्‍न अंग हैं। मैं ऐसी टिप्‍पणियों को अवमानना का प्रयास मानता हूं और इन पर जवाब देकर इन्‍हें कोई सम्‍मान नहीं देना चाहता हूं।’ यूएन में पाकिस्‍तान के स्‍थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने तीन दिन पहले गाजा नरसंहार का जिक्र करते हुए कश्‍मीर पर बयान दिया था। उन्‍होंने कश्‍मीर की स्थितियों को गाजा की तरह बताया था।

क्‍या कहा था पाकिस्‍तान ने

मुनीर अकरम ने कहा था कि सुरक्षा परिषद पर विश्व शांति को बढ़ावा देने की प्राथमिक जिम्मेदारी है। वह गाजा में नरसंहार को रोकने में विफल रही है। यह ठीक उसी तरह से जिस तरह से यह भारत के अवैध कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में नरसंहार और अत्‍याचार को नहीं रोक पाई है। मुनीर अकरम की मानें तो कब्जे वाले फिलिस्तीन में इजरायल की तरह भारत के नौ लाख सैनिक ने कश्मीरियों की आजादी की लड़ाई को बेरहमी से दबाने की कोशिश की है। उनकी मानें तो यह कश्मीर के लिए आखिरी समाधान का अशुभ संकेत है।

एक महीने पहले ही की थी बोलती बंद

एक महीने पहले ही पाकिस्‍तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल-हक-काकर ने भी महासभा में कश्‍मीर का मसला उठाया था। तब भी भारत ने पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार किया था। भारत ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सबसे बड़ी संख्या में यह देश आतंकियों को पनाह देता है। अभी तक इस देश ने 26/11 के आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। बल्कि उन्‍हें सुरक्षा मुहैया कराई हुई है। भारत की तरफ से कहा गया था कि सबसे पहले सीमा पार आतंकवाद को रोकें और आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को तुरंत बंद करें। दूसरा, दूसरा, अवैध और जबरन कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों को खाली करें। और तीसरा, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ गंभीर और लगातार हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकें।  (एएमएपी)