आपका अखबार ब्यूरो। 
किसानों के मोर्चे पर बुधवार को दो राहत भरी खबरें आईं। केंद्रीय सरकार ने गन्ना किसानों को साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये की सौगात दी है। चीनी निर्यात के फैसले से गन्ना किसानों को बड़ी राहत मिली है। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की सीमा पर बैठे आंदोलनकारियों के बारे में जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सरकार को एक समिति बनाने का सुझाव दिया। इससे आंदोलनकारियों और सरकार के बीच गतिरोध टूटने का रास्ता खुल गया है।

5 करोड़ किसानों, 5 लाख मजदूरों को लाभ

केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की कमेटी ने साठ लाख टन चीनी के निर्यात का फैसला लिया। इससे पांच करोड़ गन्ना किसानों और पांच लाख चीनी मिल मजदूरों को फायदा मिलेगा। निर्यात पर मिलने वाली साढ़े तीन हजार करोड़ की सब्सिडी सीधे गन्ना किसानों और मजदूरों के खाते में जाएगी। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में और कई अहम फैसले लिए गए। चीनी निर्यात के फैसले से किसान आंदोलन में शामिल किसानों की सरकार से शिकायत कम हो जाएगी। इसे मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक भी कह सकते हैं। क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में गन्ना किसानों की तादाद बहुत है। पिछले साल सरकार ने सब्सिडी नहीं दी थी इसलिए चीनी का निर्यात नहीं हुआ था। आज का फैसला गन्ना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी की तरह है।

सरकार को नोटिस

दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की सीमा पर जमे किसानों को वहां से हटाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार से किसान संघों की बातचीत का अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह एक समिति बनाने की प्रयास करेंगे जिसमें किसानों और सरकार के प्रतिनिधि होंगे। यह समिति इस मामले का हल सुझाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में किसान संघों को भी सम्मानजनक रास्ता  दिया। सरकार को इस सम्बन्ध में नोटिस भी जारी कर दिया।

किसान संघों ने समिति बनाने का सुझाव ठुकराया

पर किसान संघों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के समिति बनाने के सुझाव को नकार दिया है। उन्हें लग रहा है कि समिति बनने का मतलब मामला टल जाएगा। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट समिति के गठन के साथ ही किसानों से दिल्ली की सीमा की घेरेबंदी उठाने के लिए कहेगा। इससे सरकार को राहत मिलेगी तो अदालत के नाम पर किसान संघों को भी सम्मानजनक रास्ता मिलेगा। क्योंकि इतने दिनों की बातचीत से उन्हें यह बात समझ में आ गई है कि सरकार तीनों कृषि कानून वापस नहीं लेने वाली।
Farmers Protest: Bhartiya Kisan Sangh distances itself from Bharat Bandh

राजनीतिक लाभ के लिए कूदे तत्वों में खलबली

इन दोनों घटनाओं से इस आंदोलन से राजनीतिक लाभ के मकसद से कूदे तत्वों में खलबली मची है। इसलिए आज सोशल मीडिया पर तरह तरह की अफवाहें फैलाई गईं। एक अफवाह में सेना की किसी टुकड़ी के मूवमेंट को दिखाकर बताया गया कि सरकार ने किसानों को उठाने के लिए यूपी की सीमा पर सेना तैनात कर दी है। दूसरे वीडियो में कहा गया कि सरकार आंदोलनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग का फैसला कर चुकी है। और किसी भी समय किसानों पर पुलिस हल्ला बोल सकती है। हालांकि आंदोलनकारी किसानों और नेताओं ने इन अफवाहों पर विश्वास नहीं किया।