श्रीश्री रविशंकर।
एक प्रश्न आया- मुझे आश्चर्य होता है कि मुझे बुरे और डरावने विचार अत्यन्त सकारात्मक जगह पर भी क्यों आते हैं और कभी प्रार्थना करते समय भी आते हैं? कृपया मेरी सहायता करें।
कोई बात नहीं। विचार तो विचार ही हैं। जब तक आपको इन विचारों के आने की जानकारी है तब तक आप सुरक्षित हैं, क्योंकि ये विचार आते और जाते हैं।
क्यों आते हैं नकारात्मक विचार
नकारात्मक विचार कई कारणवश आते हैं :
- शरीर में रक्तप्रवाह ठीक से न होना और श्वास की प्रक्रिया का ठीक से न होना जिससे आक्सीजन का प्रवाह दिमाग में ठीक से नहीं होता।
- शौच का नियमपूर्वक न होना। यदि कब्ज की शिकायत होती है तो ज्यादातर नकारात्मक विचार आते हैं ऐसा आपने देखा होगा।
- ऊर्जा की कमी या प्राण का कम होना।
क्या करने से होगा लाभ
इनके इलाज के ये तरीक़े हैं :
- रक्त का प्रवाह ठीक करो – सुबह उठकर व्यायाम करो, नाचो, योग ध्यान और प्राणायाम करो। इन सब से फायदा होगा।
- साल में एक दो बार शरीर की सफाई करो। योग में सिखाया जाता है कि पानी पीकर कुंजल (गले और पेट की सफाई होती है) द्वारा पूरे शरीर की सफाई हो जाती है। शंखप्रक्षालन भी करना चाहिए। जब आप खूब पानी पीते हैं और कुछ व्यायाम की क्रिया करते हैं तो पानी पूरे शरीर को साफ कर सारी अनावश्यक हानिकारक चीजों को बाहर फेंक देता है। इसलिए पुरातन काल से योगी लोग इन क्रियाओं को करने की सलाह देते आये हैं। इससे अनेकों लोगों के विचारों को सही दिशा मिली।
- अच्छे लोगों के साथ बुरे लोगों का साथ आपकी ऊर्जा को कम करेगा।
आप नहीं डरे तो ये चले जाएंगे
ये सब करने के बाद भी यदि नकारात्मक विचार आते हैं तो कोई बात नहीं वो आयेंगे और जायेंगे। यदि आप उनसे डर गये तो वह आपके पास आयेंगे। और यदि आप उनसे नहीं डरेंगे तो वह आपको छोड़ कर चले जायेंगे। मैं तुम्हें प्रार्थना करने से निरुत्साह नहीं कर रहा हूँ। ध्यान से पहले प्रार्थना की जा सकती है। पहले प्रार्थना कीजिए और फिर बैठ कर ध्यान कर सकते हैं।
ज़्यादा ज़रूरी क्या है
इन्द्रिय के साधन से इन्द्रियाँ अधिक ज़रूरी हैं। टेलीविज़न से तुम्हारी आँखें अधिक ज़रूरी हैं, संगीत या ध्वनि से तुम्हारे कान अधिक ज़रूरी हैं। स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों या आहार से जिह्वा अधिक ज़रूरी है। हमारी त्वचा, जो भी कुछ हम स्पर्श करते हैं उससे अधिक ज़रूरी है।
लेकिन मूर्ख सोचते हैं कि इन्द्रिय सुख देनेवाली वस्तुएँ इन्द्रियों से अधिक ज़रूरी हैं। उन्हें मालूम है कि अत्याधिक टीवी देखना आँखों के लिए अच्छा नहीं है, फिर भी वे परवाह नहीं करते और लंबे समय के लिए टेलीविज़न देखते रहते हैं। उन्हें मालूम है उनकी शरीर प्रणाली को अत्याधिक खाना नहीं चाहिए, लेकिन वे शरीर से आहार को अधिक महत्व देते हैं।