सुप्रीम कोर्ट को गुरुवार को तीन नए जज मिले। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने तीनों को पद की शपथ दिलाई। ये जज दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, राजस्थान हाई के चीफ जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह और गौहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संदीप मेहता हैं। नई नियुक्तियों के साथ ही सुप्रीम में जजों के स्वीकृत सभी 34 पद भर गए हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पिछले हफ्ते इन तीनों जजों को सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त करने की अनुशंसा की थी।

कॉलेजियम में कौन से जज हैं?

तीनों जजों के नामों की सिफारिश चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की कॉलेजियम ने सोमवार (6 नवंबर) को की थी।

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कॉलेजियम ने क्या कहा था?

कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को भेजे अपने प्रस्ताव में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में मंजूरी प्राप्त कुल जजों की संख्या 34 है। अभी यह 31 न्यायाधीशों हैं। कोर्ट में काफी संख्या में लंबित मामले हैं। कॉलेजियम ने कहा, ‘‘लंबित मामलों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण जजों पर काम का बोझ काफी बढ़ गया है। इसे ध्यान में रखते हुए, यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो गया है कि कोर्ट में न्यायाधीशों की पूर्ण संख्या हो और किसी भी समय कोई रिक्ति न रहे, इसे मद्देनजर रखते हुए कॉलेजियम ने नामों की सिफारिश कर सभी तीन मौजूदा रिक्तियों को भरने का निर्णय लिया है।’’ प्रस्ताव में आगे कहा गया कि कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए हाई कोर्ट के पात्र मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ जजों के नामों पर विचार-विमर्श किया। इसके बाद ये नाम भेजे गए हैं।

क्या है कॉलेजियम?

कॉलेजियम का गठन 1993 में हुआ था। ये सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की एक कमेटी है। इसके अध्यक्ष चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया होते हैं। कॉलेजियम जजों की नियुक्ति और प्रमोशन से जुड़े मामलों पर फैसला लेती है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति कॉलेजियम की सिफारिश पर ही होती है। इसके लिए कॉलेजियम केंद्र सरकार को नाम भेजती है, जिसे सरकार राष्ट्रपति के पास भेजती है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद नोटिफिकेश जारी होता है और जज की नियुक्ति होती है। आमतौर पर सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों को मान लेती है। लेकिन कई बार कुछ नामों को दोबारा विचार करने को कहती है। हालांकि, अगर फिर से कॉलेजियम वही नाम सुझाती है तो सरकार उसे मंजूर करने के लिए बाध्य है। (एएमएपी)