राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में जो काम सरकारें नहीं कर पाईं, उसे प्रकृति ने 24 घंटे में कर दिखाया। शनिवार वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में बड़ा सुधार हुआ है। प्रकृति को चुनौती देते हुए कृत्रिम वर्षा कराने की चर्चा के बीच सामान्य बरसात ने ही दिल्ली- एनसीआर में पिछले कुछ दिनों से कुंडली मारकर बैठे प्रदूषण की कमर तोड़ दी। प्रकृति ने ऐसा कुछ किया कि मात्र 24 घंटे के भीतर राष्ट्रीय राजधानी के एक्यूआई में 158 अंक तक की कमी दर्ज की गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में शनिवार सुबह वायु गुणवत्ता स्तर घटकर 224 पर आ गया। यह शुक्रवार 400 के पार था।

दो दिन पहले गुरुवार को दिल्ली की हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में थी। अगले दिन शुक्रवार को यह दो पायदान नीचे खिसकर ‘खराब’ श्रेणी में आ गई। सुबह लोग सोकर उठे तो बाहर का नजारा बदला सा मिला। एक हफ्ते से जहरीली हवा में सांस ले रहे नागरिकों को हल्की बूंदाबांदी के बीच हवा साफ मिली। वर्षा का दौर रुक- रुककर दिनभर चला। इससे वातावरण में मौजूद प्रदूषक कण काफी हद तक धुल गए।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, आज सुबह दिल्ली के आनंद विहार में 282, आरके पुरम में 220, पंजाबी बाग में 236 और आईटीओ में 263 एक्यूआई दर्ज किया गया। हालांकि यह अभी भी ‘खराब’ श्रेणी में है। मगर पिछले 48 घंटे में इसमें भारी गिरावट आई है। यह बात अलग है कि अभी भी दिल्ली के 15 इलाके ऐसे हैं जहां का एक्यूआई 300 के ऊपर है, लेकिन दिल्ली के वातावरण में छाई स्माग की चादर काफी हद तक साफ हो गई है।

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इस बीच पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने कहा है कि इस राहत के ज्यादा नहीं, सिर्फ दो दिन तक रहने की संभावना है। इसके बाद प्रदूषण के स्तर में फिर बढ़ोतरी होने के आसार हैं। दीपावली के अगले दिन 13 नवंबर से हवा के फिर से ‘गंभीर’ श्रेणी में चले जाने की आशंका है। प्रदूषण के स्तर में होने वाला यह बदलाव काफी कुछ दीवाली पर होने वाली आतिशबाजी और पटाखों पर भी निर्भर करेगा।

प्रकृति की मेहरबानी से गदगद दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 13 नवंबर से सम-विषम लागू नहीं किया जाएगा। वर्षा के कारण दिल्ली के पर्यावरण में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। एक्यूआई भी काफी नीचे आ गया है। हवा की गति बढ़ने से अगले एक-दो दिन में यह और गिर सकता है। दीवाली के बाद की स्थिति देखकर ही सम-विषम पर निर्णय किया जाएगा। (एएमएपी)