जानकारी के अनुसार, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई के नेतृत्व में गठित एक समिति अगले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को समान नागरिक संहिता पर एक रिपोर्ट सौंप सकती है। दिवाली के अगले सप्ताह उत्तराखंड विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जाएगा। सत्र में समान नागरिक संहिता विधेयक पारित किया सकता है, जिससे इसे कानूनी दर्जा दिया जाएगा। इस साल जून में, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) मसौदा समिति के सदस्य, सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने कहा कि उत्तराखंड के लिए समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार हो चुका है और जल्द ही उत्तराखंड सरकार को सौंप दिया जाएगा।
#WATCH | Dehradun: On Uniform Civil Code, Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami says, “We have already said that as we will get the draft of the UCC committee, whose draft is in the last process, we will try to complete the further process sooner.” pic.twitter.com/WWIRTjlyo2
— ANI (@ANI) November 11, 2023
इसके अलावा, सूत्रों ने यह भी कहा कि उत्तराखंड के नक्शेकदम पर चलते हुए गुजरात भी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता लागू कर सकता है। इस कदम के साथ ही गुजरात समान नागरिक संहिता लागू करने वाला दूसरा राज्य बन जाएगा।
सीएम ने दिया था यूसीसी को लेकर बड़ा संकेत
दो दिन पहले उत्तराखंड स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने भी यूसीसी को लेकर बड़ा संकेत दिया था। उन्होंने कहा था, समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट लगभग तैयार है। हमारा राज्य आज 23 साल का हो गया है। अपने 23वें वर्ष में उत्तराखंड ने देश के सबसे कड़े नकल विरोधी और धर्मांतरण विरोधी कानूनों को लागू होते देखा है। हमने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण दिया है। समान नागरिक संहिता का मसौदा लगभग तैयार हो गया है। राज्य में धार्मिक पर्यटन को और बढ़ावा दिया जा रहा है। केदारनाथ की तर्ज पर कुमाऊं क्षेत्र के प्राचीन मंदिर को विकसित किया जा रहा है।
उत्तराखंड सरकार को मिले 20 लाख सुझाव
बताते चलें कि UCC का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक्सपर्ट की एक कमेटी बनाई थी। रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई को चेयरमैन बनाया गया था। कमेटी को करीब 20 लाख सुझाव मिले थे। दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करेंगे। उसके बाद एक कमेटी बनाई गई। कमेटी ने उत्तराखंड के लोगों से सुझाव मांगे। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों से भी सुझाव मांगे गए थे। कमेटी ने एक ऑनलाइन पोर्टल बनाकर भी सुझाव मांगे थे। इस कमेटी ने UCC को अधिक प्रभावी बनाने के लिए बाहर के देशों के कानूनों की भी समीक्षा की है।
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क्या है यूसीसी
यूनिफॉर्म सिविल कोड( यूसीसी ) समान नागरिक संहिता में लैंगिक समानता और पैतृक संपत्तियों में बेटियों के लिए समान अधिकार पर जोर दिया गया है। सूत्रों की बात मानें तो यह महिलाओं की विवाह योग्य आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष करने का सुझाव नहीं देता है। समिति की सिफारिश में कहा गया है कि महिलाओं के लिए विवाह की आयु 18 वर्ष ही बरकरार रखी जानी चाहिए। यह एक ऐसा कानून बनाना है जो शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से संबंधित मामलों में सभी धर्मों पर लागू होगा। विधेयक का विशेषतौर पर विवाह पंजीकरण, तलाक, संपत्ति अधिकार, अंतर-राज्य संपत्ति अधिकार, रखरखाव, बच्चों की हिरासत आदि में एकरूपता पर फोकस है। (एएमएपी)