आस्था, पवित्रता व सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के दूसरे दिन “खरना” की हार्दिक शुभकामनाएं। समस्त छठ व्रतियों के इस कठिन तप को नमन् करते हुए यही प्रार्थना है कि आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों।
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— UP Tourism (@uptourismgov) November 18, 2023
खूंटी के राजा कुंजला निवासी समाजसेवी काशीनाथ महतो कहते हैं कि यही एक ऐसा त्योहार है, जहां न ऊंच-नीच का भेद होता है न ही अमीर-गरीब में कोई अंतर। इसमें न किसी विशेष व्यक्ति या धर्म के जयकारे होते हैं और न ही किसी से अनुदान और अनुकम्पा की अपेक्षा रहती है। राजा-रंक एक कतार में खड़े होते हैं। समझ से परे रहने वाले मंत्रों के उच्चारण की भी जरूरत नहीं पड़ती। न किसी विशेष दान-दक्षिणा की जरूरत है और न ही किसी दिखावट या आडंबर की।
तोरपा के समाजसेवी तुलसी भगत कहते हैं कि इस पर्व में न कोई प्रदूषण होता है और न ही गंदगी फैलती है। इस पर्व की पहली शर्त ही है शुद्धता और पवित्रता। रनिया प्रखंड के समाजसेवी और भाजपा नेता नारायण साहू कहते हैं कि इसी पवित्रता और सरलता के कारण ही बिहार-झारखंड से निकला यह पर्व अब पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय त्योहार बन चुका है। छठ महापर्व के दौरान साफ-सफाई से लेकर अन्य कार्यों में दूसरे समुदाय के लोग भी पूरी आस्था के साथ हाथ बंटाते हैं। (एएमएपी)