इन स्थलों में आकर सैलानी अपने को प्रकृति के निकट महसूस करते हैं। इनके अलावा कर्रा प्रखंड को लतरातू जलाशय, खूंटी का लटरजंग डैम, पेलौल डैम जैसे मानव निर्मित पर्यटन स्थल भी इन दिनों पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। हर साल अंतिम वर्ष की विदाई और नववर्ष के स्वागत में दूर-दूर से सैलानी इन स्थलों में पहुंचते है और प्रकृति के अनुपम उपहार और सौंदर्य को निहारते है। वैसे तो सालों भर इन पर्यटन और धार्मिक स्थलों में लोगों का आवगमन होता रहता है, पर नवंबर से फरवरी महीने तक हर दिन इन क्षेत्रों में सैलानियों की भारी भीड़ जुटती है। प्रकृति की अनमोल सुंदरता वाले दर्शनीय स्थल, पहाड़ी वादियों के बीच से बहती नदियों को निहारना काफी मनमोहक लगता है। जरूरत है इन मनमोहक स्थलों पर सुरक्षा के व्यापक उपाय करने के साथ इनको विकसित करने की।
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नहीं हो सका पर्यटन स्थलों का अपेक्षित विकास
इन पर्यटक स्थलों के समग्र विकास को लेकर सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा कुछ खास नहीं किया जा सका है। इस ओर से प्रशासनिक रवैया लगभग उदासीन ही रहा है। खूंटी जिले के पर्यटन स्थलों की चर्चा तो खूब होती है, पर धरातल पर कोई पहल होती नहीं दिखाई देती है। जिले के पर्यटन स्थलों में कहीं भी सैलानियों के ठहरने के लिए किसी प्रकार का कोई इंतजाम नहीं है। इतना ही नहीं, सैलानियों के खाने-पीने और अन्य सुविधाओं की भी पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं है। सड़कों की स्थिति को भी अब तक सुधारा नहीं जा सका है। (एएमएपी)