स्टालिन ने शहर के प्रेसीडेंसी कॉलेज परिसर में स्थापित की गई पूर्व प्रधानमंत्री की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने इस साल अप्रैल में तमिलनाडु विधानसभा में इस बाबत घोषणा की थी। स्टालिन ने समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर सिंह के परिजन भी मौजूद रहे।
अनावरण के बाद स्टालिन, यादव और अन्य लोगों ने सिंह की प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित की।
बाद में, इस मौके पर एक जन सभा को संबोधित करते हुए, सत्तारूढ़ द्रमुक के अध्यक्ष स्टालिन ने कहा कि वह कॉलेज परिसर में सामाजिक न्याय के संरक्षक की प्रतिमा स्थापित करना अपना कर्तव्य मानते हैं ताकि सिंह के जीवन और उपलब्धियों से सब लोग सीख सकें। उन्होंने कहा, ” उनका इतिहास विद्यार्थियों को बताया जाना चाहिए। इसलिए हमने एक कॉलेज में उनकी प्रतिमा लगवाई है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रतिमा मरीना तट पर द्रमुक के दिवंगत अध्यक्ष एम करुणानिधि के स्मारक के पास स्थित है। स्टालिन ने कहा कि वह सिंह से केवल दो बार मिले थे और पूर्व प्रधानमंत्री ने 1988 में चेन्नई में उनके द्वारा निकाले गए विशाल जुलूस के लिए उनकी सराहना की थी।
उन्होंने समारोह में भाग लेने के लिए सिंह के परिवार, उनकी पत्नी सीता कुमारी, बेटे अजय सिंह और अन्य लोगों की सराहना की। स्टालिन ने कहा, ‘मैं आपको वीपी सिंह के परिवार के रूप में नहीं पुकारना चाहता हूं… हम भी वीपी सिंह के परिवार का हिस्सा हैं। हम सिंह की प्रतिमा स्थापित करके उनके प्रति अपना आभार व्यक्त कर रहे हैं, जिन्होंने मंडल आयोग की सिफारिश को दृढ़ता से लागू किया।’
अजय सिंह ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।
अखिलेश यादव ने कहा कि प्रतिमा के अनावरण से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पूरे देश में एक स्पष्ट संदेश गया है। स्टालिन ने अप्रैल में घोषणा की थी कि तमिलनाडु सरकार सिंह की एक प्रतिमा स्थापित करेगी। उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री ने बी.पी. मंडल आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्र सरकार की नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था।
तमिलनाडु में जाति आधारित आरक्षण 69 फीसदी है।
मुख्यमंत्री ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण नीति के उचित कार्यान्वयन की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर आरक्षण नीति के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक सर्वदलीय सांसद समिति का गठन किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार, उसके तहत आने वाले संस्थानों और यहां तक कि न्यायापालिका में ओबीसी के ‘अपर्याप्त प्रतिनिधित्व’ की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च जाति के लोग केंद्र सरकार में पदों पर आसीन हैं और ओबीसी, एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व कम है। उन्होंने कहा, ‘न्यायपालिका में भी स्थिति बहुत गंभीर है। पिछड़े और वंचित वर्गों का प्रतिनिधित्व निर्धारित मानक से बहुत कम है।’
उन्होंने सिंह की ‘चुनाव सुधार’, किसानों के मुद्दों का समाधान करने के लिए समिति बनाने समेत कई अन्य पहल को भी याद किया।
स्टालिन ने कहा कि अंतरराज्यीय नदी जल विवाद पर कावेरी अधिकरण की स्थापना भी सिंह ने की थी।(एएमएपी)