देश के कई राज्‍यों में हाथियों के आतंक की खबरें सुनाई देती है, अभी झारखण्‍ड में हाथियों को मानव जीवन पर संकट खड़ा किए 24 घण्‍टे भी नहीं बीते थे कि छतीसगढ़ राज्‍य से उनके आतंक की खबर सामने आई है। कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल में लगभग 60 हाथियों के झुंड में से 12 हाथियों ने झिनपुरी भदरापारा में रात्रि ग्रामीणों का घर घेर लिया। एक मिट्टी के मकान को जगह-जगह से छेद कर अंदर रखे धान और चावल को खा गए। घर पर रखे सामान को बिखेर दिया। ग्रामीणों ने अपने परिवार सहित भाग कर किसी तरह जान बचाई। इस घटना के बाद गांव में हड़कंप मच गया। पूरा गांव रतजगा करने को मजबूर हो गया।

रात को जब परिवार गहरी निंद्रा में सो रहा था, तब किया हाथियों ने घर पर हमला

वन परिक्षेत्र केंदई के ग्राम झिनपुरी निवासी राम सिंह मरकाम अपने घर में पांच सदस्यों के साथ सो रहा था रात 3:00 बजे अचानक हाथियों की आहट सुनाई दी उसने परिवार के सभी सदस्यों को लेकर सुरक्षित स्थान पर जाना ही उचित समझा। चुपचाप कमरे से निकल कर गांव के ही पास दूसरे रिश्तेदार के घर जाकर सबने पनाह ली। हाथियों ने घर के अंदर रखे धान और चावल को खा लिया। यही नहीं बाकी अन्य सामान को भी तोड़फोड़ दिया। सुबह जब राम सिंह घर पहुंचा तो मकान को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त पाया।

ये हाथी पहले कई लोगों को उतार चुके हैं मौत के घाट

घटना की सूचना पर वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी मौके पर पहुंचे और घटनाक्रम की जानकारी लेते हुए किसानों का क्षतिपूर्ति हेतु बयान दर्ज किया। इससे एक दिन पूर्व ही इससे पहले छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के रामानुजगंज में पिछले 4 महीनों से जंगली हाथियों का आतंक बढ़ा हुआ है। रविवार (12 नवंबर) की सुबह एक हाथी ने जंगल की ओर गए बुज़ुर्ग व्यक्ति की कुचलकर हत्या कर दी थी, जिसके चलते दिवाली पर्व की खुशी बुजुर्ग व्यक्ति के घर मातम में बदल गयी।

बताया गया कि रामानुजगंज फॉरेस्ट रेंज के अंतर्गत ग्राम पंचायत चाकी के रहने वाले बिफन भुइयां सुबह करीब पांच बजे शौच के लिए जंगल की ओर निकले थे।  इसी दौरान एक दंतैल हाथी ने ग्रामीण पर हमला कर दिया । हाथी ने बुजुर्ग को कुचलकर मार डाला था।  काफी देर तक बुजुर्ग व्यक्ति के घर वापस नहीं आने पर उसे  ढूंढने गए परिवार वालों और गांव वालों ने शव को जंगल में देखा, ग्रामीणों ने बताया कि रामानुजगंज परिक्षेत्र में हाथियों का आतंक लगातार बढ़ता ही जा रहा है । यहां बीते चार महीने में तीन ग्रामीणों को हाथी ने कुचलकर मार डाला गया है ।

यहां यदि इससे ओर पहले की बात करें तो रामपुर के जंगल में मवेशियों को चराने गए चरवाहे को हाथियों ने कुचलकर मार डाला था । साथ ही  हाथियों ने गांव के एक मिट्टी के घर के दीवार को गिरा दिया था,  जिससे मलबे के नीचे दबकर एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।  इसके अलावा धनतेरस के दिन ही मरवाही के उषाड़ बीट के गांव में हाथी ने किसान दंपति पर हमला कर दिया था। दोनों पति-पत्नी धान की कटाई के बाद खलिहान में अपने फसल की देखरेख करने के लिए तंबू लगाकर रह रहे थे,

इसी दौरान रात को हाथी खलिहान में घुसा और उन पर हमला कर दिया ।  हाथी के हमले से किसान की मौके पर ही मौत हो गई,  वहीं पत्नी को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। इधर चार महीने से लगातार जंगली हाथियों के आतंक के बावजूद भी इन हाथियों को खदेड़ने में वन विभाग की टीम नाकाम साबित हो रही है।

झारखंड के कस्बों में इस तरह से मचा है गजराज का खौफ

छत्‍तीसगढ़ की तरह ही झारखंड के कस्बों में गजराज का खौफ कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है ।  पिछले कई महीनो से रांची समेत राज्य के कई जिलों में हाथियों के झुंड ने कई लोगों की जान ले ली है और किसानों के फसलों और घरों को नुकसान भी पहुंचाया है । दूसरी ओर वन विभाग की तरफ से हाथियों को बचाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. वन विभाग की तरफ से हाथियों द्वारा अगर किसी व्यक्ति की मौत होती है, यह फिर फसल या घरों को नुकसान होता है, तो ऐसे में वन विभाग की तरफ से राशि भी उपलब्ध कराई जा रही है। यही नहीं हाथियों से बचाव के लिए राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जानकारी के लिए पैम्फलेटका भी वितरण किया जा रहा है ।

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वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव ने कहा कि झारखंड में लगभग 600 के आसपास हाथियों के झुंड पाए गए हैं. जिसमें रांची, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह और पलामू जैसे इलाकों में देखे जा रहे हैं ।  हाथियों द्वारा नुकसान पहुंचाने की वजह बिल्कुल स्पष्ट है, क्योंकि ऐसे कई इलाकों में फोरलेन और पक्के सड़क बनाए गए हैं. जिसकी वजह से हाथी शहरों में आ जा रहे हैं। हालांकि वन विभाग द्वारा ऐसे कई जागरूकता अभियान भी ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही है, ताकि उससे ग्रामीण सजग रहे हैं.।

यही नहीं वन विभाग की तरफ से टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है ताकि ग्रामीण किसी भी समस्या को लेकर वह टोल फ्री से अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक संयज श्रीवास्तव ने कहा कि हाथियों की एक्टिविटी जानने के लिए बहुत जल्द जीपीएस और ट्रेकर का इस्तेमाल करेगी ताकि हाथी किस वक्त, किस जगह और वह किस ओर जा रहा है, उसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को जीपीएस और सेटेलाइट के माध्यम से मिल सके।(एएमएपी)