हाल ही में केंद्र सरकार ने महिलाओं के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। जिसमें से एक महिला आरक्षण बिल भी है। संसद के मॉनसून सत्र में पारित महिला आरक्षण विधेयक जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी पर लागू नहीं होगा क्योंकि इसमें अनुच्छेद 239ए और 239 का कोई उल्लेख नहीं है। ऐसे में सरकार ने जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी की विधानसभाओं में महिला आरक्षण का लाभ मिले इसकी पूरी तैयार कर ली है। इसके लिए दो विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र पेश किए जाएंगे। बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पारित कराने के लिए सूचीबद्ध 18 विधेयकों में शामिल किया हैं।

विधेयक 2023 को भी शीतकालीन सत्र के लिए शामिल

इसके अलावा मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक 2023 को भी शीतकालीन सत्र के लिए शामिल किया गया है। इसके तहत चुनाव आयुक्तों के स्टेटस को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से घटाकर कैबिनेट सेक्रेटरी पर लाने का प्रावधान है।रिपोर्ट के अनुसार, सात पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर इन प्रावधानों की समीक्षा करने की मांग की थी।उपरोक्त दोनों विधेयकों के अलावा शीतकालीन सत्र के लिए केंद्र सरकार के एजेंडे में तीन नए विधेयकों को पारित करना शामिल है। ब्रिटिश युग के कानूनों को हटाने के लिए सरकार अपनी प्रतिबद्धता दिखा रही है।

संसदीय पैनल ने 50 से अधिक संशोधनों का सुझाव दिया

भारतीय दंड संहिता (1860), भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) और आपराधिक प्रक्रिया अधिनियम (1898) को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय साक्ष्य (बीएस) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) से बदला जाएगा। हाल ही में भाजपा सांसद बृजलाल की अध्यक्षता वाले एक संसदीय पैनल ने 50 से अधिक संशोधनों का सुझाव दिया था। इस दौरान तीन विधेयकों में कई प्रिंटिंग और संख्या संबंधी त्रुटियों को रेखांकित किया था।भारतीय न्याय संहिता में मॉब लिंचिंग पर सात साल की कैद या आजीवन कारावास या फिर मौत की सजा का प्रावधान है। वीडियो ट्रायल, एफआईआर की ई-फाइलिंग के माध्यम से बिना देरी न्याय को सक्षम बनाने की कोशिश की गई है। राजद्रोह की परिभाषा का भी विस्तार किया गया है। भ्रष्टाचार, आतंकवाद और संगठित अपराध को दंडात्मक कानूनों के तहत लाया गया है। सजा के नए रूपों के रूप में सामुदायिक सेवा और एकांत कारावास की भी शुरुआत की जाएगी।

पैनल कई सुझाव दिए हैं, जिन पर सरकार विचार कर सकती है। पैनल ने तर्क दिया है कि धारा 497 को भेदभाव के आधार पर रद्द कर दिया गया था। इसे लिंग-तटस्थ बनाने से इस कमी को दूर किया जा सकेगा। सरकार का मानना है कि विवाह की पवित्रता की रक्षा के लिए इस प्रावधान को बरकरार रखने की जरूरत है।

जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन से पहले विधानसभा में दो महिलाओं को नामांकित कर महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया जाता था मगर अब महिलाओं को एक तिहाई प्रतिनिधित्व मिलेगा। जम्मू कश्मीर इस समय केंद्र शासित प्रदेश है और विधानसभा चुनाव न होने के कारण विधानसभा नहीं है।

महिलाओं को मिलेंगी तीस सीटें

पूर्व जम्मू कश्मीर में विधानसभा में मुख्यमंत्री की सिफारिश पर राज्यपाल दो महिलाओं को नामांकित करते थे। समय समय की सरकारों की कोशिश पूर्व विधानसभा परिषद में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने की होती थी। जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद विधान परिषद को समाप्त किया जा चुका है। अब जब नई विधानसभा बनेगी और केंद्रीय महिला आरक्षण लागू होगा तो कुल 90 सीटों में महिलाओं को तीस सीटें मिलेगी।

मोदी सरकार महिलाओं को आरक्षण देने के लिए गंभीर

विशेषज्ञों के अनुसार अगर मौजूदा स्वरूप में कानून संसद में पास होता है तो कानूनी अड़चन के कारण यह जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होगा। एडवोकेट व कांग्रेस के प्रवक्ता रविंद्र शर्मा ने कहा कि सरकार को मौजूदा स्वरूप में पेश किए गए बिल में संशोधन करना होगा फिर यह जम्मू कश्मीर में लागू होगा। जब बिल चर्चा में आएगा तो सारी स्थिति साफ होगी। कांग्रेस की पूर्व प्रदेश प्रधान और पूर्व विधायक इंदु पवार ने कहा कि अगर सही मायनों में मोदी सरकार महिलाओं को आरक्षण देने के लिए गंभीर है तो इसे तत्काल लागू करना चाहिए।

यह कहा जा रहा है कि जनगणना और परिसीमन के बाद इसे लागू किया जाएगा तो यह किसी लालीपाप से कम नहीं है। महिला विधायक के तौर पर जम्मू कश्मीर की पूर्व विधानसभा में नामांकित हुई इंदु पवार ने कहा कि इस बिल को पहले कांग्रेस ने लाया था। नेशनल कांफ्रेंस की वरिष्ठ महिला नेता व पूर्व विधायक रही विमला लुथरा ने कहा कि हम इस बिल का पूरा समर्थन कर रहे हैं।(एएमएपी)