कांग्रेस मध्य प्रदेश में पहली बार बिना सिंधिया परिवार के चुनाव में उतरी थी। साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में चले जाने से कांग्रेस की कमलनाथ सरकार मध्य प्रदेश में गिर गई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से तब मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सत्ता में लौटे थे और सिंधिया को केंद्र में सिविल एविएशन मंत्रालय मिला था।
VIDEO | “The Assembly election results (in Madhya Pradesh, Rajasthan and Chhattisgarh) are enthusiastic for those who are committed to working for the people,” says PM @narendramodi speaking to media ahead of Parliament Winter Session.
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— Press Trust of India (@PTI_News) December 4, 2023
ग्वालियर चंबल संभाग में बीजेपी और कांग्रेस
माना जाता है कि 2018 में इस संभाग में कांग्रेस की जीत की एक वजह सिंधिया भी थे। सिंधिया जब कांग्रेस में थे, तब भी इस क्षेत्र में कांग्रेस की सीटें 2018 के नतीजों से कम रह चुकी हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में इस संभाग में कांग्रेस को 12 सीट पर जीत मिली थी। 2008 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इस संभाग में 13 सीटें मिली थीं।
वहीं बीजेपी को 2013 में चंबल ग्वालियर संभाग की 20 सीटें मिली थीं। 2008 में बीजेपी इस क्षेत्र में 16 सीटें जीत सकी थी। बीजेपी को ये सीटें तब मिली थीं, जब इस संभाग का अहम चेहरा माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे। अब जब सिंधिया बीजेपी में हैं, तब पार्टी इस संभाग में 18 सीटें जीत सकी है। मध्य प्रदेश में बीजेपी को 48.55, कांग्रेस को 40.40 और बसपा को 3.40 फ़ीसदी वोट मिले। इन 34 सीटों में से 20 सीटों पर बसपा तीसरे नंबर पर रही है।
इस संभाग में बसपा की भूमिका पर ‘सिंधिया और 1857’ किताब लिख चुके वरिष्ठ पत्रकार डॉ राकेश पाठक ने कहा, ”इस क्षेत्र में बसपा का प्रभाव पहले भी रहा है। इस बार बसपा उतनी सक्रिय नहीं थीं। मायावती ख़ुद भी कांग्रेस और इंडिया गठबंधन से दूर रहीं। बसपा, सपा और कुछ ऐसे छोटे दल हैं, जिनसे कांग्रेस को नुकसान हुआ ही होगा।
”हालांकि प्रतिशत में ये कम ही है। पर बसपा की वजह से कांग्रेस को नुकसान हुआ है। ये दोनों दल परंपरागत रूप से दलितों को अपना वोटर मानती रही हैं। 2018 में काफ़ी समय बाद कांग्रेस के पास ये वोट लौटा था। वो शायद इस बार बीजेपी की ओर गया।
ग्वालियर चंबल में सिंधिया परिवार की भूमिका
आज़ादी के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के दादा जीवाजी राव सिंधिया को मध्य भारत राज्य के पहले राजप्रमुख बनाए गए थे। सिंधिया परिवार के नेहरू-गांधी परिवार से भी अच्छे रिश्ते रहे।
#WATCH | Madhya Pradesh CM Shivraj Singh Chouhan along with party leaders Narendra Singh Tomar and Jyotiraditya Scindia observes election results as the counting of votes continues, in Bhopal
As per ECI, the BJP is leading on 153 seats in MP. pic.twitter.com/frlpg9rpdv
— ANI (@ANI) December 3, 2023
डॉ राकेश पाठक कहते हैं, ”सिंधिया परिवार का प्रभाव आज भी है पर ये वैसा नहीं है जैसा पहले हुआ करता था। फिर चाहे माधव राव सिंधिया के दौर की बात की जाए या फिर ख़ुद ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस में रहते हुए जो प्रभाव था। जब वो कांग्रेस में थे तो इस संभाग की हर टिकट तय करते थे। अब बीजेपी में हैं तो अपने ही लोगों को टिकट नहीं दिला पाए हैं। ज्योतिरादित्य का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है।
डॉ राकेश पाठक ने बीबीसी हिंदी से कहा, ”ज्योतिरादित्य सिंधिया के आने से बीजेपी को जितने फ़ायदे की उम्मीद होगी, उतना फ़ायदा नहीं हुआ। ग्वालियर ज़िले में तीन सीटें बीजेपी जीती, तीन कांग्रेस जीती यानी अपने शहर ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी को वैसी बढ़त नहीं दिला पाए, जैसी उन्होंने या बीजेपी ने उम्मीद की होगी।
वो कहते हैं, ”दतिया में तीन में से दो सीट कांग्रेस जीती है. भिंड में दो सीट कांग्रेस जीती है। हां इसे सफलता कहा जा सकता है कि 2018 में जिस कांग्रेस के पास 26 सीटें थीं, वो घट गई हैं। ये बीजेपी की बढ़त है। इसे सिंधिया का योगदान मान सकते हैं और नरेंद्र सिंह तोमर का योगदान मान सकते हैं। एक केंद्रीय मंत्री का चुनाव लड़ना आस-पास की सीटों पर प्रभाव डालता है। नरेंद्र सिंह का प्रभाव मुरैना ज़िले में रहा होगा पर जितनी सीटें बीजेपी को मिली हैं, उसे बहुत अच्छी बढ़त नहीं माना जा सकता है।
ग्वालियर चंबल में कितने ज़िले, कितनी सीटें?
ग्वालियर चंबल संभाग में कुल 34 विधानसभा सीटें हैं। ये 34 सीटें 8 ज़िलों में फैली हुई हैं।
ज़िला ग्वालियर: भीतरवार, डबरा, ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर दक्षिण, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर
ज़िला गुना: चाचौड़ा, गुना, राघोगढ़, बमोरी
ज़िला शिवपुरी: करैरा, शिवपुरी, पोहरी, पिछोर, कोलारस
ज़िला दतिया: भांडेर, दतिया, सेवढ़ा
ज़िला अशोकनगर: चंदेरी, मुंगावली, अशोकनगर
ज़िला मुरैना: सुमावली, जौरा, सबलगढ़, मुरैना, दिमनी, अंबाह
ज़िला भिंड: अटेर, लहार, भिंड, मेहगांव, गोहद
ज़िला श्योपुर: श्योपुर, विजयपुर
ग्वालियर चंबल में खेल किसने बिगाड़ा?
2018 चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें और बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं।
इन चुनावों के बारे में डॉ राकेश पाठक ने कहा, ”बीजेपी को 2008 और 2013 के नतीजों को ध्यान में रखते हुए जो उम्मीद थी, वैसा प्रदर्शन बीजेपी का नहीं रहा है। बीजेपी को चुनाव में फ़ायदा तो हुआ है पर अकेले ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से नहीं हुआ है। 2018 में कांग्रेस को जो जीत मिली थी, उसमें दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का योगदान था। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी का हाथ थामने को मुद्दा बनाया गया था।
इस बारे में डॉ राकेश पाठक बोले, ”ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद दो बड़ी चीजें हुईं। एक तो उपचुनाव में ग्वालियर की दोनों सीटें बीजेपी हार गई। बीजेपी सालों बाद मेयर का चुनाव हार गई। सिंधिया के रहते कांग्रेस ये चुनाव नहीं जीत सकी थी। जब कांग्रेस सिंधियामुक्त हुई तो ग्वालियर में महापौर का चुनाव जीत लिया। मुझे लगता है कि ग्वालियर चंबल संभाग ने सिंधिया के दल-बदल को उस तरह स्वीकार नहीं किया, जैसा बीजेपी और उनको लग रहा था।”
2023 विधानसभा चुनावी नतीजों ने इस संभाग में एक बड़ा झटका सिंधिया परिवार को भी दिया है.ग्वालियर ईस्ट सीट पर सिंधिया घराने की मामी माया सिंह भी 15 हज़ार वोटों से हारीं। इस सीट पर कांग्रेस के डॉ सतीश सिकरवार एक लाख से ज्यादा वोट हासिल करके विधायक चुने गए हैं। इस संभाग की 34 सीटों में से कई सीटें ऐसी रही हैं, जिसमें मायावती की बसपा के उम्मीदवारों ने अच्छे ख़ासे वोट जुटाए हैं।
कई सीटों पर बसपा उम्मीदवार दूसरे या तीसरे नंबर पर रहे
दिमनी सीट पर बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर ने क़रीब 79 हज़ार वोट हासिल करके जीत दर्ज की है। इस सीट पर बसपा के बलवीर सिंह दंडोतिया को 54 हज़ार वोट मिले हैं और वो दूसरे नंबर पर हैं।
वहीं कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर 24 हज़ार वोट मिले हैं और वो तीसरे नंबर पर रहे कहा जा रहा है कि अगर बसपा को मिला वोट कांग्रेस के खाते में गया होता तो वो इस जीत पर दर्ज कर सकती थी। ग्वालियर ग्रामीण सीट पर कांग्रेस के साहब सिंह गुर्जर 79 हज़ार वोट हासिल करके जीते। इस सीट पर बीजेपी के भरत सिंह कुशवाह को 76 हज़ार वोट मिले। वहीं बसपा के सुरेश बघेल को 26 हज़ार वोट मिले और वो तीसरे नंबर पर रहे।
#WATCH | Bhopal: Madhya Pradesh CM Shivraj Singh Chouhan, Union Ministers Jyotiraditya Scindia, Ashwini Vaishnaw, Narendra Singh Tomar and state BJP president VD Sharma pay tributes to Syama Prasad Mukherjee and Deendayal Upadhyaya, in Bhopal as the party heads towards a massive… pic.twitter.com/K4TaZIagSz
— ANI (@ANI) December 3, 2023
ग्वालियर दक्षिण सीट पर 82 हज़ार वोट हासिल करके नारायण सिंह कुशवाह जीते। कांग्रेस के प्रवीण पाठक इस सीट पर 2536 वोट से हारे। बसपा, आम आदमी पार्टी समेत दूसरे उम्मीदवारों ने इस सीट पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ा।
डबरा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। इस सीट पर इस बार इमरती देवी बीजेपी की टिकट पर मैदान में थीं और कांग्रेस के सुरेश राजे से महज 2267 वोटों के फासले से वो हारीं। इस सीट पर भी बसपा तीसरे नंबर पर रही। भीतरवार सीट पर कई बार विधायक रहे कांग्रेस के लखन सिंह यादव को इस बार बीजेपी के मोहन सिंह राठौड़ ने 22,354 वोटों के फासले से हराया।
गुना, शिवपुरी, दतिया का हाल
गुना की चाचौड़ा सीट पर बीजेपी की प्रियंका पेंची 1 लाख 10 हज़ार वोट हासिल करके जीतीं। इस सीट पर कांग्रेस दूसरे और आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रही।
हालांकि इस सीट पर जीत का फासला इतना बड़ा है कि बीजेपी के अलावा सभी उम्मीदवारों को मिले वोटों को जोड़ लिया जाए, तब भी बीजेपी उम्मीदवार से आगे नहीं निकला जा सकता था। यही हाल गुना सीट का भी है। बीजेपी के पन्ना लाल शाक्य ने एक लाख 14 हज़ार से ज़्यादा वोट हासिल कर जीत दर्ज की इस सीट पर कांग्रेस दूसरे और बसपा तीसरे नंबर पर रही इस सीट पर भी अगर सभी उम्मीदवारों के वोट एक साथ जोड़ लिए जाएं, तब भी वो बीजेपी उम्मीदवार को मिले वोटों से कम है।
राघोगढ़ सीट पर दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह ने भी जीत दर्ज की। हालांकि ये जीत का फ़ासला बीजेपी के हीरेंद्र सिंह बंटी से 4505 वोटों का रहा। यहां आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) और बसपा तीसरे, चौथे नंबर पर रह। बामोरी सीट पर कांग्रेस जीती बीजेपी दूसरे नंबर पर और बसपा तीसरे नंबर पर रही। करैरा सीट पर बीजेपी के खटिक राम प्रसाद जीते। कांग्रेस के प्रगिलाल जाटव 3103 वोटों से हारे इस सीट पर भी बसपा के शांति दास तीसरे नंबर पर रहे।
शिवपुरी सीट पर बीजेपी के देवेंद्र कुमार जैन ने एक लाख 12 हज़ार वोट हासिल किए। कांग्रेस इस सीट पर दूसरे नंबर पर रही। वहीं बसपा तीसरे नंबर पर रही पोहरी सीट में कांग्रेस के कैलाश कुशवाहा जीते दूसरे नंबर पर बीजेपी के सुरेश धाकड़ को लगभग 49 हज़ार वोटों से हार मिली। बसपा के पद्यमुन वर्मा 37 हज़ार वोटों से तीसरे नंबर पर रहे।
#WATCH | Union Minister and BJP leader Jyotiraditya Scindia says, “The victory in three states – PM’s leadership is not just for a state but the entire India…As far as Madhya Pradesh is concerned, PM had said “Modi ke mann mein MP aur MP ke mann mein Modi”…BJP Government will… pic.twitter.com/omzNhgp8Nh
— ANI (@ANI) December 4, 2023
बसपा इस संभाग की कई और सीटों पर तीसरे नंबर पर रही है, इनमें पिछोर, कोलारस, भांडेर सीटें शामिल हैं। दतिया सीट पर कांग्रेस के भारती राजेंद्र ने 7742 वोटों से एमपी के गृह मंत्री और बीजेपी उम्मीदवार डॉ नरोत्तम मिश्रा को हराया हालांकि इस सीट पर बसपा उम्मीदवार को बस 1156 वोट मिले और वो चौथे नंबर पर रहे सेवढ़ा सीट पर बीजेपी के प्रदीप अग्रवाल ने कांग्रेस के घनश्याम सिंह को 2558 वोटों से हराया इस सीट पर आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) को 29 हज़ार वोट और बसपा को 12 हज़ार वोट मिले हैं।
अशोकनगर, मुरैना, भिंड और श्योपुर का हाल
इन चार ज़िलों की जिन सीटों पर बसपा तीसरे नंबर पर रही है, उनमें चंदेरी, मुंगावली, अशोकनगर, जौरा, सबलगढ़, मुरैना, अंबाह, अटेर, लहार, भिंड, मेहगांव, गोहद, श्योपुर शामिल है। मुंगावली सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस को 5422 वोटों से हराया। इस सीट पर बसपा उम्मीदवार को 15 हज़ार वोट हासिल किए हैं।
सुमावली सीट पर बीजेपी ने 16 हज़ार वोटों से जीत दर्ज की। इस सीट पर बसपा उम्मीदवार कुलदीप सिंह को 56500 वोट मिले। वहीं कांग्रेस के अजब सिंह कुशवाहा को 55289 वोट मिले जौरा में कांग्रेस ने बीजेपी को 30 हज़ार वोटों से हराया। इस सीट पर तीसरे नंबर पर रहे बसपा के सोनराम कुशवाहा को 37 हज़ार वोट मिले सबलगढ़ सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस को 9805 वोटों से हराया। इसी सीट पर बसपा ने सोनी धाकड़ को 51 हज़ार वोट मिले। मुरैना सीट पर कांग्रेस ने बीजेपी को 19 हज़ार वोटों से हराया। इस सीट पर तीसरे नंबर पर रहे बसपा के राकेश रुस्तम सिंह को 37 हज़ार वोट मिले हैं।
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लहार सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस को 12397 वोटों से हराया। इसी सीट पर तीसरे नंबर पर बसपा के रसल सिंह को 31 हज़ार वोट मिले हैं। भिंड में बीजेपी के नरेंद्र सिंह कुशवाहा ने कांग्रेस के चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को 14146 वोटों से हराया। इस सीट पर बसपा के संजीव सिंह को क़रीब 35 हज़ार वोट मिले हैं। मेहगांव में कांग्रेस उम्मीदवार को बीजेपी से 22 हज़ार वोटों से हार मिली। इस सीट पर बसपा को 19506 वोट मिले। गोहद में कांग्रेस ने बीजेपी को 607 वोटों से हराया। इस सीट पर बसपा को 2919 वोट मिले। श्योपुर में कांग्रेस ने बीजेपी उम्मीदवार को 11,130 वोट से हराया। इस सीट पर बसपा उम्मीदवार को 23 हज़ार वोट मिले। विजयपुर में कांग्रेस ने बीजेपी को 18 हज़ार वोटों से हराया। तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार मुकेश मलहोत्रा को 44 हज़ार वोट मिले। वहीं चौथे नंबर पर बसपा के धारा सिंह कुशवाहा को 34 हज़ार वोट मिले।
इन आंकड़ों से जिस भी दल को फ़ायदा हुआ हो या नुकसान, कांग्रेस और सिंधिया परिवार के लिए कई मायनों में अहम रहा। यह पहली बार है जब सिंधिया परिवार किसी एक राजनीतिक दल के साथ सिमटकर रह गया है। सिंधिया परिवार जब से सियासत में आया तब से दोनों प्रमुख पार्टियों के साथ रहा।अब यह परिवार पूरी तरह से बीजेपी के साथ है। लेकिन कई विश्लेषक ऐसा मानते हैं कि इस परिवार की सियासी ताकत बीजेपी में वो नहीं है जो राजमाता विजयाराजे सिंधिया की हुआ करती थी।
कई जानकार मानते हैं कि राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया की जो स्थिति लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली बीजेपी में थी, मोदी और शाह की अगुवाई वाली बीजेपी में नहीं है। यशोधरा राजे सिंधिया इस बार चुनाव मैदान से बाहर रहीं और राजघराने की मामी माया सिंह चुनाव हार गईं।(एएमएपी)