आपका अखबार ब्यूरो।
किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बुधवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई बैठक में दोनों पक्ष दो कदम आगे बढ़े हैं। दोनों पक्षों ने बैठक के बाद कहा कि किसानों की दो मांगें सरकार ने मान ली। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार को चार मांगों का चार्टर भेजा था। दोनों पक्ष आगे की बातचीत के लिए चार जनवरी को फिर मिलेंगे। आज की बातचीत के बाद किसानों ने ऐलान किया कि 31 दिसम्बर की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को स्थगित कर दिया गया है।
बातचीत की प्रगति से दोनों पक्ष संतुष्ट
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि बातचीत बहुत सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। उन्होंने किसान यूनियन के नेताओं से एक बार फिर अपील की कि मौसम के देखते हुए बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को वापस भेज दिया जाय। पर किसान नेता इसके लिए तैयार नहीं हुए। बुधवार की बात की प्रगति से दोनों पक्ष संतुष्ट नजर आए। आज पहली बार दोनों पक्षों ने दोपहर का खाना साथ खाया। किसानों के लिए लंगर के खाने को ही मंत्रियों और अधिकारियों ने भी खाया। पहली बार किसान संगठनों के नेता भी मंत्रियों के साथ सहज नजर आ रहे थे।
सरकार ने बड़ा दिल दिखाया
किसान नेताओं ने भी कहा कि सरकार ने हमारी दो बातें मान ली हैं। पहली मांग थी कि प्रस्तावित बिजली सुधार विधेयक में सिंचाई के काम के लिए मिलने वाली बिजली सब्सिडी राज्य पहले की ही तरह देते रहें। प्रस्तावित विधेयक में यह व्यवस्था थी कि किसान पहले बिजली का बिल जमा करेगा उसके बाद सब्सिडी का पैसा उसके खाते में आएगा। सरकार ने किसानों की इस मांग को मान लिया है। दूसरी मांग थी कि पराली जलाने के मामले में किसानों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जाय। सरकार ने इस मांग को भी मान लिया है। किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार ने बड़ा दिल दिखाया है।
किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा के पश्चात मीडिया को संबोधित किया…#FarmBills2020 https://t.co/SCe8JZiRxj
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 30, 2020
सरकार निजी क्षेत्र को एमएसपी पर खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकती
जो दो मुद्दे बचे हैं, उनमें से एक मांग एमएसपी को कानूनी रूप देने की है। इस मसले पर सरकार का रुख है कि इसे कानूनी रूप तो नहीं दिया जा सकता। पर किसान इस बारे में भी प्रस्ताव दें सरकार उस पर खुले मन से विचार करने को तैयार है। सरकार कई बार कह चुकी है कि वह यह लिखित आश्वासन देने को तैयार है कि एमएसपी को खत्म नहीं किया जाएगा। सरकार ने कहा कि सरकार एमएसपी को कानूनी जामा पहना तो सकती है लेकिन उस दाम पर खरीदने के लिए निजी क्षेत्र को मजबूर नहीं कर सकती। किसान अभी इस पर तैयार नहीं हैं।
तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का मामला
चौथा मुद्दा तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की किसानों की मांग है। इस पर अभी बातचीत नहीं हुई है। पर सरकार इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है। वह बार बार कह रही है कि किसान संगठन तीनों कानूनों के हर पहलू पर चर्चा करें और जो सुझाव देंगे उस पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी।