महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 45 वें दीक्षान्त समारोह में शामिल हुईं राष्ट्रपति
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को यहां महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 45 वें दीक्षान्त समारोह में कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में बेटियों के बेहतर प्रदर्शन में विकसित भारत और बेहतर समाज की झलक दिखाई देती है। समारोह में विद्यापीठ के विभिन्न संकायों में सर्वोच्च अंक पाने वाले 16 मेधावी विद्यार्थियों में स्वर्ण पदक वितरित कर राष्ट्रपति ने प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय के स्वर्णिम इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में योगदान का जिक्र कर कहा कि काशी विद्यापीठ के प्रथम प्रबंधन बोर्ड के सदस्यों में महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, जमनालाल बजाज, जवाहरलाल नेहरू, आचार्य नरेंद्र देव और पुरुषोत्तम दास टंडन जैसे महापुरूष इतिहास निर्माता शामिल थे। काशी विद्यापीठ के असाधारण आचार्यो में आचार्य नरेंद्र देव, डॉ संपूर्णानंद, बाबू श्रीप्रकाश जैसे मूर्धन्य विद्वान सदैव याद रखे जाएंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रिटिश शासन की वित्तीय सहायता और नियंत्रण से दूर रहते हुए भारतीय संसाधनों से निर्मित काशी विद्यापीठ का नामकरण महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ करने के पीछे हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान जताने की भावना निहित है।
President Droupadi Murmu graced 45th convocation of Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith at Varanasi. The President said that Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith, as an institution born out of the non-cooperation movement, is a living symbol of our great freedom struggle.… pic.twitter.com/RaMYZK5CgI
— President of India (@rashtrapatibhvn) December 11, 2023
राष्ट्रपति ने कहा कि यह विद्यापीठ असहयोग आंदोलन से उत्पन्न संस्था के रूप में हमारे महान स्वाधीनता संग्राम का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने कहा कि 10 फरवरी, 1921 को इस विद्यापीठ का उद्घाटन करते हुए महात्मा गांधी ने कहा था कि जितने सरकारी विद्यालय हैं, उनमें हमें विद्या नहीं लेनी है। हम उस झंडे के नीचे नहीं रह सकते, जिसको सलाम करने के लिए हमारे छात्रों को मजबूर किया जाता है। यदि हमारे विद्यालय खुलेंगे तो विद्या अपने आप पवित्र हो जाएगी। विकसित भारत के निर्माण में काशी विद्यापीठ के विद्यार्थी व आचार्य की भूमिका अहम होगी। ऐसे सामाजिक ज्ञान केंद्र की परंपरा के अनुरूप इस विद्यापीठ के आचार्य और विद्यार्थियों को भी अपने संस्थान के गौरव को निरंतर समृद्ध करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने काशी नगरी के महिमा का उल्लेख कर कहा कि काशी निरंतर अस्तित्व में बनी रहने वाली विश्व की प्राचीनतम नगरी है। बाबा विश्वनाथ और मां गंगा के आशीर्वाद से परिपूर्ण नगरी काशी सबको आकर्षित करती रही है और करती रहेगी। राष्ट्रपति मुर्मू ने काशी में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का उल्लेख किया। राष्ट्रपति ने कहा कि जिस तरह मां गंगा भारतीय संस्कृति की जीवन धारा है और भारतीय ज्ञान अध्यात्म और आस्था की संवाहक है, उसी तरह काशी नगरी भारतीय संस्कृति की कलातीत धरोहर है। उन्होंने कहा कि काशी भारतीय ज्ञान परंपरा का केंद्र रही है और और वर्तमान में भी यहां के संस्थान आधुनिक ज्ञान विज्ञान के संवर्धन में अपना योगदान दे रहे हैं। लगभग 1300 वर्ष पहले जगद्गुरु आदि शंकराचार्य की यात्रा भी तभी पूरी हुई, जब काशी में आकर उन्होंने यहां के विद्वानों के साथ शास्त्रार्थ किया।
राष्ट्रपति ने काशी के देव-दीपावली के आयोजन का जिक्र किया, जिसमें 70 देशों के प्रतिनिधि आए, जो अद्भुत था। राष्ट्रपति ने कहा कि बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से काशी का सम्मान नित नई-नई ऊंचाइयों को छू रहा है। वैश्विक जी- 20 सम्मेलन के माध्यम से भारत ने अपनी संस्कृति और वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा से पूरी दुनिया में अपना परचम लहराया। काशी की सेवा, काशी का स्वाद, काशी की संस्कृति और काशी का संगीत जी-20 के लिए जितने मेहमान आए, इसे समेटे हुए अपने साथ लेकर गए । जी-20 की अद्भुत सफलता बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से ही संभव हुई है।
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दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति और प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन ने किया। समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत कर राज्यपाल आनंदी बेन ने स्वर्ण पदक पाने वाले छात्रों को बधाई दी। समारोह में राष्ट्रपति की सराहना कर राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में आप देश के विकास में अपनी विशिष्ट भूमिका का निर्वहन कर रही हैं। महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए नारी शक्ति वंदन बिल का जारी होना आपके कार्यकाल की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। राष्ट्रपति देश की महिलाओं की सशक्तीकरण का सशक्त उदाहरण हैं। समारोह की शुरूआत शैक्षणिक शिष्टयात्रा से हुई। काशी विद्यापीठ के कुलपति ने स्वागत भाषण दिया। (एएमएपी)