वाराणसी में विशेष न्यायाधीश एमपी MLA/सिविल जज (सीनियर डिविजन) उज्ज्वल उपाध्याय की कोर्ट ने कोयला व्यवसायी नंद किशोर रुंगटा के अपहरण के बाद परिवार को धमकी देने के मामले में आरोपी पूर्व माफिया विधायक मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है। इस मामले में पिछली तारीख पर बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने 15 दिसंबर तक फैसला सुरक्षित रख लिया था।
Uttar Pradesh: MP/MLA Court Varanasi sentences gangster turned politician Mukhtar Ansari to five and a half years rigorous imprisonment in a 26-year-old case of threatening the witness of the murder of a coal businessman Nand Kishore Rungta. In the last one and a half years,… pic.twitter.com/OZdkjAtwuX
— ANI (@ANI) December 15, 2023
बता दें कि कोयला कारोबारी नंद किशोर रूंगटा की किडनैपिंग के बाद उसके परिजनों को बम से उड़ने की धमकी दी गई थी। इसके बाद महावीर प्रसाद रूंगटा ने भेलूपुर थाने में 5 नवंबर 1997 को बम से उड़ने की धमकी के मामले में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने विवेचना के बाद धमकी के मामले में मुख्तार के खिलाफ उसी समय आरोप पत्र दाखिल किया था।
बता दें कि 22 जनवरी 1997 को वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र में स्थित जवाहर नगर कॉलोनी में रहने वाले नंदकिशोर के दफ्तर पर मुख्तार का साला अताउर रहमान बाबू हजारीबाग का कोयला कारोबारी विजय बनकर पहुंचा। अताउर ने नंदकिशोर रुंगटा को इस बहाने से अपनी कार में बैठा लिया कि कोयले के कारोबार से जुड़े दस्तावेज दिखाने हैं। कहा गया कि अताउर ने इसके बाद नंदकिशोर रूंगटा को चाय में नशीली दवा पिलाकर अपहरण कर लिया।
मुख्तार ने रूंगटा के परिवार को फिरौती के लिए कॉल की और एवज में 5 करोड़ की फिरौती मांगी। परिवार ने यह रकम मुख्तार अंसारी को पहुंचा दी थी इसके बावजूद मुख्तार अंसारी ने नंदकिशोर को नही छोड़ा और उनकी हत्या कर दी। नंद किशोर रूंगटा की लाश आज तक नही मिली। सीबीआई ने इस मामले में मुख्तार अंसारी के अलावा दो अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया जिसमें उसका शार्प शूटर और करीबी रिश्तेदार अताउर रहमान बाबू और दूसरा शाहबुद्दीन था। ये दोनों ही आरोपी 26 साल बाद भी सीबीआई की पकड़ में नहीं आ सके हैं और मौजूदा समय में सीबीआई की तरफ से 2 लाख का इनाम घोषित है।
26 वर्ष पुराना है मुकदमा
प्रकरण के मुताबिक, भेलूपुर थाना क्षेत्र के जवाहर नगर के रहने वाले कोयला व्यवसायी नाद किशोर रुंगटा की 22 जनवरी 1997 को अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। इस हत्या की गाज मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गे अताउर रहमान उर्फ सिकंदर पर गिरी थी।
क्या धमकी दी गई थी?
इसके बाद 5 नवंबर 1997 की शाम नंद किशोर रुंगटा के भाई महावीर प्रसाद रुंगटा के लैंडलाइन पर धमकी दी गई कि अपहरण कांड में पुलिस अथवा सीबीआई में पैरवी न करें, नहीं तो पूरे परिवार को बम से उड़ा दिया जाएगा। इस संबंध में भेलूपुर थाने में एक दिसंबर को मुकदमा दर्ज कराया गया था। मुख्तार अंसारी कोर्ट से अपहरण केस में पहले ही बरी हो चुके हैं।
साज को लेकर मुख्तार अंसारी के वकील ने क्या कहा?
मुख्तार के वकील ने कहा कि आईपीसी की धारा 506 (2)के तहत मुख्तार अंसारी को साढ़े पांच साल की सजा हुई है। हम इसके खिलाफ अपील करेंगे। वकील ने कहा कि वादी कोर्ट को यह बता पाने में असमर्थ रहा कि किस नंबर से उसको धमकी दी गई है, जबकि उस दौरान सारे फोन की रिकॉर्डिंग हो रही थी। ये एक मजबूत आधार है और हम इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे।
फैसले के खिलाफ करेंगे अपील
मुख्तार अंसारी को सजा सुनाए जाने के बाद मुख्तार अंसारी के वकील काफी निराश दिखाई दिए। मीडिया से बात करते हुए मुख्तार अंसारी के वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने बताया की सुनवाई के दौरान वादी महावीर प्रसाद रुंगटा से जब उसे फोन नंबर के बाबत पूछा गया तो वह फोन नंबर भी नहीं बता पाए जिस पर धमकी का ज़िक्र किया गया है। जबकि उसे वक्त उनके घर के सभी फोन नंबर पुलिस ने सर्विलांस पर लगा रखे थे सारे फोन रिकॉर्डिंग पर थे।
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फैसला सुनाए जाने के बाद हमने जज को यह भी बताया कि नंदकिशोर रूंगटा के अपहरण हत्या मामले में मुख्तार अंसारी पहले ही बरी हो चुका है ऐसे में धमकी का सवाल ही नहीं उठता। इसके अलावा जितनी सजा सुनाई गई है उससे ज्यादा वक्त मुख्तार अंसारी को जेल में रहते हो गया है। हम इस फैसले से निराश हैं और इसके खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे। (एएमएपी)